बिजनौर जनपद में एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद की हत्या के मामले में आरोपी मुनीर को 10 साल की सजा सुनाई। विवादित प्रॉपर्टी के चलते मुनीर ने तंजील अहमद की हत्या की थी। मुनीर ने तंजील अहमद को प्रॉपर्टी से हटाने के लिए 2016 में उनका खात्मा करने की ठान ली थी।
बिजनौर जनपद में एडीजे गैंगस्टर कोर्ट डॉ. विजय कुमार ने गैंग बनाकर हत्या, लूट आदि गंभीर अपराध कर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों में आतंक मचाने के मामले में दोषी पाते हुए गैंगस्टर मुनीर को 10 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मुनीर के साथी रैय्यान को भी पांच साल की कारावास और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। दोष सिद्ध नहीं होने पर तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया।
शासकीय अधिवक्ता सलीम अख्तर के अनुसार थानाध्यक्ष स्योहारा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गैंग लीडर मुनीर और उसके साथी रैय्यान, जैनी, तंजीम अहमद और रिजवान निवासी सहसपुर गैंग बनाकर अपराध करते हैं। जनपद बिजनौर और अन्य राज्यों में हत्या, लूट, डकैती जैसे जघन्य अपराध कर इन्होंने धन अर्जित किया है। मुनीर ने अपने साथियों के साथ मिलकर एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या की थी। वहीं धामपुर में पंजाब नेशनल बैंक की कैशवैन से 95 लाख रुपये की रकम लूट ली थी।
कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से आठ गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिए अपने निर्णय में मुनीर और रैय्यान को गैंगस्टर एक्ट में दोषी पाया और मुनीर को 10 साल कारावास और रैय्यान को पांच साल कारावास की सजा सुनाई। जैनी, तंजीम और रिजवान को गैंगस्टर एक्ट में संदेह का लाभ देते हुए दोष सिद्ध नहीं होने पर बरी कर दिया।
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मुनीर पर दर्ज हैं 35 मुकदमे
पुलिस की ओर से बताया गया कि मुनीर पर 35 मुकदमे दर्ज हैं। बिजनौर, दिल्ली, अलीगढ़ समेत अन्य राज्यों में मुनीर पर केस दर्ज हैं। मुनीर पर हत्या, लूट और अन्य अपराधों के 13 मुकदमे बिजनौर जिले में ही दर्ज हैं।
छावनी में तब्दील रहा जजी परिसर
मुनीर की पेशी को लेकर सुरक्षा के चाक चौबंद इंतजाम किए गए थे। खुद एएसपी सिटी डॉ. प्रवीन रंजन सिंह ने सुरक्षा की कमान संभाल रखी थी। जजी में चप्पे-चप्पे पर पुलिस की नजर रही। बिना चेकिंग के किसी को भी अंदर नहीं जाने दिया गया। कोर्ट में जहां मुनीर को लाकर पुलिस की गाड़ी खड़ी की गई थी, उसके चारों ओर भारी पुलिस बल तैनात रहा। इस दौरान सीओ सिटी कुलदीप गुप्ता, प्रभारी निरीक्षक राधेश्याम समेत स्वाट और क्यूआरटी सहित भारी पुलिस फोर्स मौजूद रही।
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रात में करीब एक बजे तंजील अहमद और उनका भाई रागिब दोनों अपनी गाड़ी से बैंक्वट हाल से निकले तो मुनीर व रेहान ने अपनी बाइक तंजील की गाड़ी के पीछे लगा ली। इसके बाद मौका पाते ही मुनीर ने गाड़ी चला रहे तंजील अहमद पर पिस्टल से गोलियां बरसा दीं।
पिस्टल से गोलियां दागने के बाद रेहान से रिवाल्वर लिया और फिर गोलियां बरसाईं। रागिब की पीछे से गाड़ी आती देख दोनों सहसपुर की ओर फरार हो गए। रेहान ने पुलिस को बताया कि जैनी से मुनीर ने अपनी बाइक, बैग लिया और रात में ही अकेला भाग निकला। दोनों अपने-अपने घर चले गए।
रेहान ने पुलिस को बताया कि तंजील ने एक बार उसकी फूफी से बदसलूकी की थी और उनके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई थी। इस वजह से वह बदले की आग में झुलस रहा था और तंजील से बदला लेना चाहता था। आज कोर्ट में इस मामले में सुनवाई हुई, जिसके बाद मुनीर को 10 साल की सजा का एलान कर दिया।
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बिजनौर जनपद में एडीजे गैंगस्टर कोर्ट डॉ. विजय कुमार ने गैंग बनाकर हत्या, लूट आदि गंभीर अपराध कर उत्तर प्रदेश, दिल्ली और अन्य राज्यों में आतंक मचाने के मामले में दोषी पाते हुए गैंगस्टर मुनीर को 10 वर्ष के कारावास और एक लाख रुपये अर्थदंड की सजा सुनाई है। मुनीर के साथी रैय्यान को भी पांच साल की कारावास और 50 हजार रुपये के अर्थदंड की सजा सुनाई है। दोष सिद्ध नहीं होने पर तीन आरोपियों को बरी कर दिया गया।
शासकीय अधिवक्ता सलीम अख्तर के अनुसार थानाध्यक्ष स्योहारा ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि गैंग लीडर मुनीर और उसके साथी रैय्यान, जैनी, तंजीम अहमद और रिजवान निवासी सहसपुर गैंग बनाकर अपराध करते हैं। जनपद बिजनौर और अन्य राज्यों में हत्या, लूट, डकैती जैसे जघन्य अपराध कर इन्होंने धन अर्जित किया है। मुनीर ने अपने साथियों के साथ मिलकर एनआईए के डिप्टी एसपी तंजील अहमद और उनकी पत्नी फरजाना की हत्या की थी। वहीं धामपुर में पंजाब नेशनल बैंक की कैशवैन से 95 लाख रुपये की रकम लूट ली थी।
कोर्ट में अभियोजन पक्ष की ओर से आठ गवाह पेश किए गए। कोर्ट ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद दिए अपने निर्णय में मुनीर और रैय्यान को गैंगस्टर एक्ट में दोषी पाया और मुनीर को 10 साल कारावास और रैय्यान को पांच साल कारावास की सजा सुनाई। जैनी, तंजीम और रिजवान को गैंगस्टर एक्ट में संदेह का लाभ देते हुए दोष सिद्ध नहीं होने पर बरी कर दिया।
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