मुजफ्फरनगर: हाईवे निर्माण की जद में आए 14 मकान, लगाए लाल निशान, चलेगा हथौड़ा पर नहीं मिलेगा मुआवजा

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अमर उजाला ब्यूरो, मुजफ्फरनगर
Published by: Dimple Sirohi
Updated Wed, 20 Apr 2022 11:23 AM IST

सार

मुजफ्फरनगर में हाईवे निर्माण की जद में आ रहे 14 मकानों पर प्रशासन जल्द ही हथौड़ा चलाएगा। वहीं अब ये पीड़ित 14 परिवार आशियाने के लिए अधिकारियों के चक्कर काटने को मजबूर हो रहे हैं ।

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मुजफ्फरनगर में पानीपत-खटीमा हाईवे के निर्माण से जागाहेड़ी बस स्टैंड पर पिछले 70 सालों से रह रहे वाल्मीकि समाज के 14 परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति बन गई है। इन मकानों को चिन्हित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्रशासन के रिकॉर्ड में परिवार बंजर भूमि में रह रहे हैं, जिस कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। जबकि परिवारों का कहना है कि पहले वह गांव के बीच में रहते थे। जमीन के तबादले में उन्हें बस स्टैंड पर बसाया गया था। जिस जमीन को सरकारी बताया जा रहा है, वह उनकी अपनी है। 

ये है मामला
वाल्मीकि समाज के बिजेंद्र कुमार, सुंदर, ओमवीर, सुरेश, रणधीर सिंह, वीरपाल ने बताया कि उनके पूर्वज गांव के बीच में रहते थे। साल 1952-53 में गांव के ही एक व्यक्ति ने उन्हें मुख्य मार्ग पर करीब साढ़े तीन बीघा जमीन दे दी और जिस जमीन पर उनके मकान थे, वह ले ली थी। गांव में 1958 में चकबंदी हुई थी, जिसका रिकॉर्ड 1960 में अपडेट किया गया। उनके पूर्वजों ने शपथ पत्र के आधार पर जमीन का तबादला किया था, जिसका रिकॉर्ड उनके पास है।

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घर छिन जाएंगे, लेकिन मुआवजा नहीं मिलेगा
परिवारों को हाईवे के लिए जमीन छोड़नी होगी, लेकिन उन्हें सिर्फ मकान के ढांचे का ही मुआवजा मिलेगा, जमीन का नहीं। ग्राम प्रधान विपिन कुमार बताते हैं कि राजस्व रिकॉर्ड में जमीन बंजर दर्शाई गई है। जमीन का मुआवजा नहीं मिलने के कारण इन परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति खड़ी हो जाएगी।

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अधिक से अधिक मिले मुआवजा 
पुरकाजी सुरक्षित सीट से रालोद के विधायक अनिल कुमार का कहना है कि परिवारों को अधिक से अधिक मुआवजा मिलना चाहिए। लंबे समय से परिवार यहां रह रहे थे।

परिवारों को बसाने का करें इंतजाम
चरथावल से सपा विधायक पंकज मलिक का कहना है कि इन परिवारों को बसाने का इंतजाम प्रशासन को करना चाहिए। जरूरतमंद परिवारों की अधिक से अधिक मदद होनी चाहिए।

विस्तार

मुजफ्फरनगर में पानीपत-खटीमा हाईवे के निर्माण से जागाहेड़ी बस स्टैंड पर पिछले 70 सालों से रह रहे वाल्मीकि समाज के 14 परिवारों के सामने बेघर होने की स्थिति बन गई है। इन मकानों को चिन्हित कर लाल निशान लगा दिए गए हैं। जल्द ही भूमि के अधिग्रहण की प्रक्रिया शुरू हो जाएगी। प्रशासन के रिकॉर्ड में परिवार बंजर भूमि में रह रहे हैं, जिस कारण उन्हें मुआवजा नहीं मिलेगा। जबकि परिवारों का कहना है कि पहले वह गांव के बीच में रहते थे। जमीन के तबादले में उन्हें बस स्टैंड पर बसाया गया था। जिस जमीन को सरकारी बताया जा रहा है, वह उनकी अपनी है। 

ये है मामला

वाल्मीकि समाज के बिजेंद्र कुमार, सुंदर, ओमवीर, सुरेश, रणधीर सिंह, वीरपाल ने बताया कि उनके पूर्वज गांव के बीच में रहते थे। साल 1952-53 में गांव के ही एक व्यक्ति ने उन्हें मुख्य मार्ग पर करीब साढ़े तीन बीघा जमीन दे दी और जिस जमीन पर उनके मकान थे, वह ले ली थी। गांव में 1958 में चकबंदी हुई थी, जिसका रिकॉर्ड 1960 में अपडेट किया गया। उनके पूर्वजों ने शपथ पत्र के आधार पर जमीन का तबादला किया था, जिसका रिकॉर्ड उनके पास है।

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