यूपी में भाजपा कैसे जीती और क्यों कम हो गई सीटें? क्या कहता है पार्टी का एनालिसिस

0
24

[ad_1]

उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में जीतने के बाद अब भारतीय जनता पार्टी में समीक्षा का दौर जारी है। खबर है कि भाजपा की प्रदेश इकाई ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को एक विस्तृत रिपोर्ट भेजी है। कहा जा रहा है कि इस रिपोर्ट में भाजपा के सीटों के गणित से लेकर समाजवादी पार्टी के प्रदर्शन की जानकारी शामिल है। 10 मार्च को घोषित हुए चुनाव परिणाम में भाजपा ने 273 सीटें जीतने में सफलता हासिल की थी। वहीं, पार्टी ने योगी आदित्यनाथ को दोबारा मुख्यमंत्री बनाया था।

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार, 80 पन्नों की रिपोर्ट में ‘बहुजन समाज पार्टी के वोट शिफ्ट होना’ और ‘फ्लोटिंग वोट’ को पार्टी की जीत का बड़ा कारण माना गया है। साथ ही यह भी कहा गया है कि OBC वोट का कटना और सहयोगियों के वोट भाजपा को नहीं मिलने के चलते राज्य में भाजपा की सीटों का आंकड़ा कम हुआ। साल 2017 के मुकाबले 2022 में यूपी में भाजपा की सीटों में बड़ी गिरावट हुई है।

अखबार ने सूत्रों के हवाले से बताया गया कि प्रधानमंत्री कार्यालय की तरफ से उठे सवाल के बाद यह रिपोर्ट सौंपी गई है। सूत्रों का कहना है कि रिपोर्ट के अनुसार, सहयोगी दलों निषाद और अपना दल के जाति आधार यानि कुर्मियों और निषाद ने भाजपा का समर्थन नहीं किया। जबकि, भाजपा का वोट बैंक इन पार्टियों को पहुंचा। सूत्रों ने बताया कि इन जातियों से कम समर्थन को ही उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य की हार का बड़ा कारण माना गया है।

संबंधित खबरें

अखबार के मुताबिक, कुशवाह, मौर्य, सैनी, कुर्मी, निषाद, पाल, शाक्य, राजभर ने बड़े स्तर पर भाजपा को वोट नहीं किया और सपा का समर्थन किया। जबकि, साल 2017 में इन जातियों ने भाजपा की मदद की थी। इसके अलावा सपा में मुस्लिम समुदाय के ‘ध्रुवीकरण’ को भी कुछ सीटों पर हार का कारण माना जा रहा है।

यह भी पढ़ें -  Meerut News Live: क्रांति दिवस आज, क्रांतिवीरों के शौर्य को नमन, पारा होगा 40 के पार गर्मी करेगी परेशान

अखबार के अनुसार, भाजपा ने सरकार की अलग-अलग योजनाओं पर भी अनुमानित 9 करोड़ लाभार्थियों की वोटिंग का आकलन किया। पार्टी के एक नेता ने कहा, ‘यह पता चला है कि अधिकांश ने राजनीतिक रूप से भाजपा का समर्थन नहीं किया, लेकिन उन्होंने एनडीए की कल्याणकारी योजनाओं की तारीफ की है।’

क्यों चिंतित है भाजपा?

अखबार के अनुसार, सूत्रों ने कहा कि पार्टी नेतृत्व 2017 की तुलना में सीटों की कमी होने को लेकर चिंतित है। पार्टी ने 2022 चुनाव से पहले राज्य में सदस्यता अभियान चलाया था। यहां विशेष अभियान में भाजपा ने 80 लाख नए सदस्य शामिल करने का दावा किया था, जिसके चलते पार्टी के सदस्यों की संख्या 2.9 करोड़ पर पहुंच गई थी। वहीं, 2019 में पार्टी ने 30 लाख नए सदस्य जोड़े थे।

कहां बिगड़ा भाजपा का खेल?

अखबार के मुताबिक, भाजपा ने गाजीपुर, आंबेडकर नगर और आजमगढ़ जिले में खराब प्रदर्शन किया है। इन तीन जिलों में भाजपा को 22 में से एक भी सीट नहीं मिली। जबकि, सपा ने आजमगढ़ और आंबेडकर नगर में क्लीन स्वीप किया और गाजीपुर में 7 सीटें जीती। सपा सहयोगी सुहैलदेव भआरतीय समाज पार्टी ने शेष दो सीटों पर कब्जा किया। साल 2017 में भाजपा ने यहां 8 सीटें जीती थी। सूत्रों ने कहा कि भाजपा ने इस सपा गठबंधन के ज्यादा पोस्टल वोट हासिल करने का भी बारीकी से आकलन किया है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here