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सार
इंटरमीडिएट के हिंदी विषय की परीक्षा में पूछे गए चार अंक का 14वां प्रश्न चर्चा का विषय रहा। इसमें हिंदी के वाक्यों का अनुवाद हिंदी में ही करने के लिए कहा गया। इस सवाल को देख परीक्षकों को सिर भी चकरा गया।
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विस्तार
यूपी बोर्ड के इंटरमीडिएट की परीक्षा में हिंदी विषय के प्रश्नपत्र में पूछे गए एक प्रश्न ने परीक्षकों को परेशान किया है। प्रश्नपत्र के 14वें प्रश्न में चार में से किन्हीं दो वाक्यों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए कहा गया है। खास बात यह है कि सभी वाक्य हिंदी में ही लिखे हैं। ऐसे में अनुवाद संस्कृत में करने के लिए पूछा जाना चाहिए था।
प्रश्नपत्र में 14 वां प्रश्न चार अंक का पूछा गया है। प्रश्न गलत होने पर परीक्षकों ने उप प्रधान परीक्षक और उप नियंत्रक को जानकारी दी। बोर्ड की ओर से जारी किए गए त्रुटि संशोधन/समाधान पत्र को देखा गया, उसमें इस प्रश्न का उल्लेख नहीं है। पत्र में हिंदी का महज एक प्रश्न, वह भी एक नंबर का दिया है। परीक्षक देर तक परेशान रहे कि संबंधित प्रश्न में परीक्षार्थी को अंक कैसे दिए जाएंगे।
बाद में सभी ने अपने विवेक से अंक देने का निर्णय लिया, जिन परीक्षार्थियों ने प्रश्न को हल करने का प्रयास किया, उन्हें अंक दिए गए। जिला विद्यालय निरीक्षक मनोज कुमार का कहना है कि उप नियंत्रक की ओर से जानकारी उपलब्ध कराए जाने पर बोर्ड सचिव को मामले से अवगत कराया जाएगा। जो भी निर्देश प्राप्त होंगे, उस पर अमल किया जाएगा।
14 वें प्रश्न में इन वाक्यों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए कहा गया है
– बालक को पढ़ना अच्छा लगता है।
– ज्ञान के बिना मुक्ति नहीं मिलती।
– तुम्हारा घर कहां हैं?
– तालाब में कमल खिलते हैं।
(नोट: किन्हीं दो वाक्यों का हिंदी में अनुवाद करने के लिए पूछा गया)
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