मोहब्बत का शाहकार ताजमहल और उससे छूकर बहती यमुना। हम बीते कल की बात नहीं कर रहे, यह नजारा आपको फिर से देखने को मिलेगा। ताजमहल के पीछे यमुना में प्रस्तावित रबर डैम को नीरी ने मंजूरी दे दी है। इसके बाद टीटीजेड की बैठक में भी रबर डैम को एनओसी देने का निर्णय लिया गया है। रबर डैम बनने से यमुना में ताज के पीछे करीब 3.50 लाख क्यूसेक पानी रोका जा सकेगा। लबालब यमुना ताज को छूकर बहेगी और इसकी खूबसूरती को और बढ़ाएगी।
नगला पैमा में रबर डैम बनाने की नीरी (नेशनल एंवायरमेंटल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट) से सशर्त अनुमति के बाद सोमवार को टीटीजेड (ताज ट्रिपिजियम जोन) की 56वीं बैठक में चेयरमैन एवं कमिश्नर अमित गुप्ता ने डैम निर्माण के लिए एनओसी जारी करने का निर्णय लिया है। टीटीजेड कमेटी के चेयरमैन व कमिश्नर अमित गुप्ता ने बताया कि रबर डैम का मामला सेक (स्टेट एक्सपर्ट एप्रेजल कमेटी) में भेजा गया था। वहां से टीटीजेड की एनओसी देने से पहले नीरी व सेंट्रल इंपावर्ड कमेटी से अनुमति लेने को कहा गया। टीटीजेड ने नीरी को प्रस्ताव भेजा था। पांच शर्तों के साथ निर्माण के लिए नीरी से अनुमति मिल गई है। अन्य औपचारिकताएं पूर्ण कर जल्द निर्माण शुरू कराया जाएगा।
पांच एनओसी लेनी थी, तीन पहले से हैं
टीटीजेड कमेटी के सदस्य उत्तर प्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी विश्वनाथ शर्मा ने बताया कि नीरी ने 10 से 20 तक प्रदूषण स्कोर तय किया है। डैम निर्माण के दौरान चार सदस्यीय कमेटी निगरानी करेगी। इसमें नीरी के अलावा भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग (एएसआई), वन एवं पर्यावरण मंत्रालय, यूपीपीसीबी शामिल होगी। रबर डैम के लिए पांच एनओसी लेनी थीं। इनमें केंद्रीय जल आयोग, अंतर्देशीय जलमार्ग प्राधिकरण और एएसआई पहले ही एनओसी जारी हो गई है। अब नीरी और टीटीजेड ने भी एनओसी के लिए हरी झंडी दिखा दी है। सिंचाई विभाग का ताज बैराज खंड ताजमहल से डेढ़ किमी डाउन स्ट्रीम में इस रबर डैम का निर्माण करेगा।
2017 में मुख्यमंत्री ने किया था शिलान्यास
रबर डैम की योजना सबसे पहले 2016 में अस्तित्व में आई। जब सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने विदेश दौरा करने के बाद आगरा में रबर डैम का प्रस्ताव बनाया। 2017 में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ताजमहल के पीछे स्थित नगला पैमा गांव में शिलान्यास किया था। सूबे के मुखिया के शिलान्यास के बाद पांच साल से प्रोजेक्ट अधूरा पड़ा था। नीरी की सहमति के बाद अब प्रोजेक्ट की राह से बड़ा रोड़ा साफ हो गया है।
तब 350 करोड़ रुपये की लागत
सिंचाई विभाग ने 2017 में रबर डैम की योजना बनाई थी, तब इसकी लागत 350 करोड़ रुपये थी। पांच साल में प्रोजेक्ट की लागत बढ़ने का अनुमान है। कार्यों की दरों में बदलाव संभव है। ऐसे में संशोधित प्राक्कलन तैयार होगा। रबर डैम की ऊंचाई करीब 2.5 मीटर होगी। ताजमहल से 1.5 किमी डाउन स्ट्रीम में निर्माण प्रस्तावित है। एनओसी देते समय एएसआई ने रबर डैम के पीछे यमुना में 146 मीटर जलस्तर तय किया था। रबर डैम से यमुना में ताज के पार्श्व में करीब 3.50 लाख क्यूसेक पानी रोका जा सकेगा।
बढ़ेगा भूगर्भ जलस्तर
जिले में नहरें सूखी पड़ी हैं। यमुना में पानी नहीं। भूगर्भ जलस्तर लगातार गिरने से जिले में पहले 15 में से 12 ब्लॉक डार्क घोषित हुए। इस साल शहरी क्षेत्र भी डार्क जोन में शामिल हो गया है। बरसात में हर साल करोड़ों लीटर पानी यमुना में बह जाता है। रबर डैम बनने से एक तरफ यमुना में पानी बढ़ेगा, दूसरी तरफ भूगर्भ जलस्तर बढ़ेगा। साथ ही ताजमहल के पीछे लबालब यमुना से अजूबे की खूबसूरती बढ़ेगी। पर्यटकों के लिए मनमोहक दृश्य होगा।