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उन्नाव। उद्योगों का केमिकलयुक्त पानी ट्रीट करके गंगा में छोड़ने में सीईटीपी (कॉमन इंफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) की लापरवाही सामने आई है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी की जांच में इसका खुलासा हुआ तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए सीईटीपी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
जिले में संचालित उद्योगों का केमिकलयुक्त पानी ट्रीट कर गंगा में छोडने की जिम्मेदारी सीइटीपी को दी गई है। इसके बाद भी सीईटीपी प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। मंगलवार को प्रदूषण विभाग के अधिकारी जब जांच करने प्लांट पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। जांच के दौरान डिस्चार्ज वाटर कलरलेस या 10 हैजन से नीचे होना चाहिए वह 15 गुना जहरीला मिला और उसमें कलर की मात्रा 150 हैजन थी।
यह बेहद खतरनाक स्थिति में थी। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी राधेश्याम ने बताया कि प्लांट प्रबंधन पर तत्काल प्रभाव से पांच लाख का जुर्माना लगा रिपोर्ट मुख्यालय भेजी है। बताया कि प्लांट के प्रबंधतंत्र ने सफाई दी कि उनकी लाइम ट्रीटमेंट टैंक की दीवार क्रेक होने से पानी ट्रीट नहीं हो सका था।
उनसे जब पूछा गया कि पानी को होल्डिंग टैंक में भरने के बजाय डिस्चार्ज क्यों किया गया और इसकी जानकारी विभाग को क्यों नहीं दी गई तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। इसके लिए प्लांट प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा गया है।
उन्नाव। उद्योगों का केमिकलयुक्त पानी ट्रीट करके गंगा में छोड़ने में सीईटीपी (कॉमन इंफ्यूलेंट ट्रीटमेंट प्लांट) की लापरवाही सामने आई है। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी की जांच में इसका खुलासा हुआ तो उन्होंने इसे गंभीरता से लेते हुए सीईटीपी पर पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया है।
जिले में संचालित उद्योगों का केमिकलयुक्त पानी ट्रीट कर गंगा में छोडने की जिम्मेदारी सीइटीपी को दी गई है। इसके बाद भी सीईटीपी प्रबंधन इस पर ध्यान नहीं दे रहा है। मंगलवार को प्रदूषण विभाग के अधिकारी जब जांच करने प्लांट पहुंचे तो इसका खुलासा हुआ। जांच के दौरान डिस्चार्ज वाटर कलरलेस या 10 हैजन से नीचे होना चाहिए वह 15 गुना जहरीला मिला और उसमें कलर की मात्रा 150 हैजन थी।
यह बेहद खतरनाक स्थिति में थी। क्षेत्रीय प्रदूषण अधिकारी राधेश्याम ने बताया कि प्लांट प्रबंधन पर तत्काल प्रभाव से पांच लाख का जुर्माना लगा रिपोर्ट मुख्यालय भेजी है। बताया कि प्लांट के प्रबंधतंत्र ने सफाई दी कि उनकी लाइम ट्रीटमेंट टैंक की दीवार क्रेक होने से पानी ट्रीट नहीं हो सका था।
उनसे जब पूछा गया कि पानी को होल्डिंग टैंक में भरने के बजाय डिस्चार्ज क्यों किया गया और इसकी जानकारी विभाग को क्यों नहीं दी गई तो कोई संतोषजनक उत्तर नहीं दे सका। इसके लिए प्लांट प्रबंधन को कारण बताओ नोटिस जारी कर जवाब भी मांगा गया है।
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