मायावती का सीएम से पीएम बनने का सपना!: आखिर किस भरोसे से बोल रहीं यूपी में अब नहीं बनेगा सपा का कोई मुख्यमंत्री?

0
57

[ad_1]

सार

राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि बीते कुछ समय से इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं कि मायावती अगली दलित राष्ट्रपति हो सकती हैं। वह कहते हैं कि इस बात का प्रचार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान जबरदस्त तरीके से किया गया। नतीजा बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में जबरदस्त तरीके से सेंध मारी हो गई…

ख़बर सुनें

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच खुलकर तकरार होने लगी है। बसपा सुप्रीमो मायावती को यह लग रहा है कि समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल उन्हें राष्ट्रपति बनाने की बात कह कर उनके वोट बैंक में सेंध लगा कर बसपा का जबरदस्त तरीके से नुकसान कर रहे हैं। इसीलिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को तमाम राजनीतिक गुणागणित समझाते हुए आने वाले भविष्य में समाजवादी पार्टी को सत्ता बाहर रहने वाली पार्टी करार दे दिया। हालांकि गुरुवार को मायावती ने कहा था कि अगर समाज का एक बड़ा तबका उनके साथ आ जाए, तो वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बन सकती हैं। लेकिन वह राष्ट्रपति बिल्कुल नहीं बन सकतीं। इस बयान के ठीक 24 घंटे के अंदर ही शुक्रवार को मायावती ने एक बार फिर से कहा, “मैं आगे सीएम या पीएम बनूं या ना बनूं, लेकिन मैं अपने कमजोर व उपेक्षित वर्गों के हितों में देश का राष्ट्रपति कतई भी नहीं बन सकती हूं।” मायावती के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में मायावती के इस बयान को लेकर जबरदस्त चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

आखिर सफाई देने में मायावती ने इतनी देरी क्यूं लगाई!

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती ने शुक्रवार को दिए गए बयान में समाजवादी पार्टी को सत्ता से बाहर रहने वाली पार्टी बता कर एक तरीके से सपा के बसपा पर होने वाले हमलों का जवाब दिया है। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि बीते कुछ समय से इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं कि मायावती अगली दलित राष्ट्रपति हो सकती हैं। वह कहते हैं कि इस बात का प्रचार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान जबरदस्त तरीके से किया गया। नतीजा बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में जबरदस्त तरीके से सेंध मारी हो गई। शुक्ला कहते हैं कि मायावती के वोटर को विपक्षी दलों ने इस बात का भरोसा दिला दिया कि अगर मायावती राष्ट्रपति बन जाती हैं तो बहुजन समाज पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा। वहीं बसपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती ने अपनी हार की समीक्षा के लिए जो बैठक हुई, तो उसमें इस बात की प्रमुखता से चर्चा की गई कि उनके राष्ट्रपति बनने का जो प्रोपेगेंडा चुनाव के दौरान सामने रखा गया वह बहुत नुकसानदायक रहा।
 

पार्टी के प्रमुख नेताओं ने इस बात का खुलकर खंडन करने को कहा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर इस बात का मायावती की ओर से खंडन नहीं किया जाता, तो पार्टी को आने वाले और विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में जबरदस्त नुकसान होने का अनुमान था। यही वजह रही कि मायावती ने पूरा चुनावी गणित समझाते हुए गुरुवार को खुद को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री से देश की प्रधानमंत्री बनने तक का पूरा रोड मैप जनता के सामने रख दिया। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा कि वह राष्ट्रपति नहीं बनने वाली हैं।

सीएम से पीएम बनने तक की हसरतों का रोडमैप

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती ने जिस तरीके से शुक्रवार को समाजवादी पार्टी पर खुलकर हमला किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का सीएम बनने का सपना अब कभी पूरा नहीं हो सकता, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक जीडी सिंह कहते हैं कि दरअसल मायावती को अपनी कमजोरी का अहसास तो हुआ है, लेकिन वह इस बात को बखूबी जानती हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ उनका बड़ा वोट बैंक टिकने वाला नहीं है। यही वजह है कि मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ हुए अपने गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि इतने बड़े गठजोड़ के साथ भी सपा महज पांच सीटें ही जीत कर लोकसभा पहुंची थी। राजनीतिक विश्लेषक जीडी सिंह कहते हैं कि मायावती यह बताना चाहती हैं कि जो वोट बैंक समाजवादी पार्टी का है, अगर वही उनके साथ आ जाए यानी कि मुस्लिम समुदाय उनके साथ आ जाता है तो मुस्लिम और दलित की ताकत से वह न सिर्फ समाजवादी पार्टी को सत्ता से बाहर रख पाएंगी, बल्कि अपने सपने को भी पूरा करने की ओर बढ़ सकेंगी।

मायावती ने कहा कि अगर दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिमों और उच्च जाति का गरीब तबका उनके साथ जुड़ जाता है, तो बहुजन समाज पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में बन सकती है और यही तबका अगर उनके साथ राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ता है तो देश कि प्रधानमंत्री भी मायावती बन सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बात बिल्कुल सच है कि दलित और मुस्लिम अगर एक साथ होगा, तो उसका किसी भी राजनीतिक दल को बड़ा फायदा हो सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह जातिगत समीकरण पूरी तरीके से ध्वस्त हो गए थे। हालांकि मायावती को इस लोकसभा चुनावों में जबरदस्त तरीके से फायदा हुआ था। मायावती 0 से 10 सीटों पर पहुंच गई थीं, जबकि समाजवादी पार्टी महज पांच सीटें ही मिली थीं। वह कहते हैं कि मायावती ने जिस आधार पर समाजवादी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ता से बाहर रहने की बात कही है, उसके पीछे जातिगत समीकरणों की यही पूरा गणित है।

बसपा-भाजपा एक हैं!

वहीं सपा प्रवक्ता कहते हैं कि यह मायावती की सिर्फ हताशा है। वह कहते हैं कि मायावती और उनकी पार्टी पूरी तरीके से समाप्त हो चुकी है। पार्टी एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बसपा और भाजपा तो एक ही पार्टी हैं। उन्होंने कहा जिस तरीके से बसपा ने इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जो परिणाम सामने आए हैं उससे कोई भी बात छुपी हुई नहीं है। वह कहते हैं कि अब देश और प्रदेश की जनता को यह बताने की जरूरत नहीं है कि बसपा किसके साथ खड़ी है। वहीं बसपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर बसपा सुप्रीमो मायावती राष्ट्रपति मामले में जनता के सामने सीधे तौर पर सामने नहीं आतीं, तो इसका संदेश पार्टी के लिए बहुत अच्छा नहीं होता। वह कहते हैं कि विपक्षी मायावती को राष्ट्रपति जैसे पद पर पहुंचाने की बात करके पार्टी का जबरदस्त तरीके से नुकसान कर रहे थे।

यह भी पढ़ें -  वाराणसी में गंगा का जलस्तर बढ़ने से दूसरी बार बदला गया आरती स्थल

विस्तार

उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी और बहुजन समाजवादी पार्टी के बीच खुलकर तकरार होने लगी है। बसपा सुप्रीमो मायावती को यह लग रहा है कि समाजवादी पार्टी और अन्य विपक्षी दल उन्हें राष्ट्रपति बनाने की बात कह कर उनके वोट बैंक में सेंध लगा कर बसपा का जबरदस्त तरीके से नुकसान कर रहे हैं। इसीलिए बसपा सुप्रीमो मायावती ने शुक्रवार को तमाम राजनीतिक गुणागणित समझाते हुए आने वाले भविष्य में समाजवादी पार्टी को सत्ता बाहर रहने वाली पार्टी करार दे दिया। हालांकि गुरुवार को मायावती ने कहा था कि अगर समाज का एक बड़ा तबका उनके साथ आ जाए, तो वे उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री से लेकर देश के प्रधानमंत्री तक बन सकती हैं। लेकिन वह राष्ट्रपति बिल्कुल नहीं बन सकतीं। इस बयान के ठीक 24 घंटे के अंदर ही शुक्रवार को मायावती ने एक बार फिर से कहा, “मैं आगे सीएम या पीएम बनूं या ना बनूं, लेकिन मैं अपने कमजोर व उपेक्षित वर्गों के हितों में देश का राष्ट्रपति कतई भी नहीं बन सकती हूं।” मायावती के इस बयान के बाद सियासी गलियारों में मायावती के इस बयान को लेकर जबरदस्त चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

आखिर सफाई देने में मायावती ने इतनी देरी क्यूं लगाई!

राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि मायावती ने शुक्रवार को दिए गए बयान में समाजवादी पार्टी को सत्ता से बाहर रहने वाली पार्टी बता कर एक तरीके से सपा के बसपा पर होने वाले हमलों का जवाब दिया है। राजनीतिक विश्लेषक जीडी शुक्ला कहते हैं कि बीते कुछ समय से इस बात की चर्चाएं जोरों पर हैं कि मायावती अगली दलित राष्ट्रपति हो सकती हैं। वह कहते हैं कि इस बात का प्रचार उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों के दौरान जबरदस्त तरीके से किया गया। नतीजा बहुजन समाज पार्टी के वोट बैंक में जबरदस्त तरीके से सेंध मारी हो गई। शुक्ला कहते हैं कि मायावती के वोटर को विपक्षी दलों ने इस बात का भरोसा दिला दिया कि अगर मायावती राष्ट्रपति बन जाती हैं तो बहुजन समाज पार्टी का कोई अस्तित्व नहीं बचेगा। वहीं बसपा से जुड़े सूत्रों का कहना है कि मायावती ने अपनी हार की समीक्षा के लिए जो बैठक हुई, तो उसमें इस बात की प्रमुखता से चर्चा की गई कि उनके राष्ट्रपति बनने का जो प्रोपेगेंडा चुनाव के दौरान सामने रखा गया वह बहुत नुकसानदायक रहा।

 

पार्टी के प्रमुख नेताओं ने इस बात का खुलकर खंडन करने को कहा। पार्टी के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर इस बात का मायावती की ओर से खंडन नहीं किया जाता, तो पार्टी को आने वाले और विधानसभा चुनाव और लोकसभा चुनावों में जबरदस्त नुकसान होने का अनुमान था। यही वजह रही कि मायावती ने पूरा चुनावी गणित समझाते हुए गुरुवार को खुद को उत्तर प्रदेश की मुख्यमंत्री से देश की प्रधानमंत्री बनने तक का पूरा रोड मैप जनता के सामने रख दिया। इस दौरान उन्होंने स्पष्ट रूप से यह कहा कि वह राष्ट्रपति नहीं बनने वाली हैं।

सीएम से पीएम बनने तक की हसरतों का रोडमैप

राजनीतिक जानकारों का कहना है कि मायावती ने जिस तरीके से शुक्रवार को समाजवादी पार्टी पर खुलकर हमला किया और कहा कि उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी का सीएम बनने का सपना अब कभी पूरा नहीं हो सकता, उसके कई मायने निकाले जा रहे हैं। राजनीतिक विश्लेषक जीडी सिंह कहते हैं कि दरअसल मायावती को अपनी कमजोरी का अहसास तो हुआ है, लेकिन वह इस बात को बखूबी जानती हैं कि समाजवादी पार्टी के साथ उनका बड़ा वोट बैंक टिकने वाला नहीं है। यही वजह है कि मायावती ने समाजवादी पार्टी के साथ हुए अपने गठबंधन का जिक्र करते हुए कहा कि इतने बड़े गठजोड़ के साथ भी सपा महज पांच सीटें ही जीत कर लोकसभा पहुंची थी। राजनीतिक विश्लेषक जीडी सिंह कहते हैं कि मायावती यह बताना चाहती हैं कि जो वोट बैंक समाजवादी पार्टी का है, अगर वही उनके साथ आ जाए यानी कि मुस्लिम समुदाय उनके साथ आ जाता है तो मुस्लिम और दलित की ताकत से वह न सिर्फ समाजवादी पार्टी को सत्ता से बाहर रख पाएंगी, बल्कि अपने सपने को भी पूरा करने की ओर बढ़ सकेंगी।

मायावती ने कहा कि अगर दलित, आदिवासी, पिछड़ा वर्ग, मुस्लिमों और उच्च जाति का गरीब तबका उनके साथ जुड़ जाता है, तो बहुजन समाज पार्टी की सरकार उत्तर प्रदेश में बन सकती है और यही तबका अगर उनके साथ राष्ट्रीय स्तर पर जुड़ता है तो देश कि प्रधानमंत्री भी मायावती बन सकती हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बात बिल्कुल सच है कि दलित और मुस्लिम अगर एक साथ होगा, तो उसका किसी भी राजनीतिक दल को बड़ा फायदा हो सकता है। लेकिन उन्होंने कहा कि 2019 के लोकसभा चुनावों में यह जातिगत समीकरण पूरी तरीके से ध्वस्त हो गए थे। हालांकि मायावती को इस लोकसभा चुनावों में जबरदस्त तरीके से फायदा हुआ था। मायावती 0 से 10 सीटों पर पहुंच गई थीं, जबकि समाजवादी पार्टी महज पांच सीटें ही मिली थीं। वह कहते हैं कि मायावती ने जिस आधार पर समाजवादी पार्टी को आने वाले विधानसभा चुनावों में सत्ता से बाहर रहने की बात कही है, उसके पीछे जातिगत समीकरणों की यही पूरा गणित है।

बसपा-भाजपा एक हैं!

वहीं सपा प्रवक्ता कहते हैं कि यह मायावती की सिर्फ हताशा है। वह कहते हैं कि मायावती और उनकी पार्टी पूरी तरीके से समाप्त हो चुकी है। पार्टी एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि बसपा और भाजपा तो एक ही पार्टी हैं। उन्होंने कहा जिस तरीके से बसपा ने इस विधानसभा चुनाव में भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा और जो परिणाम सामने आए हैं उससे कोई भी बात छुपी हुई नहीं है। वह कहते हैं कि अब देश और प्रदेश की जनता को यह बताने की जरूरत नहीं है कि बसपा किसके साथ खड़ी है। वहीं बसपा के एक वरिष्ठ नेता कहते हैं कि अगर बसपा सुप्रीमो मायावती राष्ट्रपति मामले में जनता के सामने सीधे तौर पर सामने नहीं आतीं, तो इसका संदेश पार्टी के लिए बहुत अच्छा नहीं होता। वह कहते हैं कि विपक्षी मायावती को राष्ट्रपति जैसे पद पर पहुंचाने की बात करके पार्टी का जबरदस्त तरीके से नुकसान कर रहे थे।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here