हाईकोर्ट : आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों की सेवा शर्तों में एकरूपता नीति पर मुख्य सचिव का हलफनामा दाखिल

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अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Sat, 30 Apr 2022 01:54 AM IST

सार

याचिका में सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा दी जा रही मानव शक्ति सेवा के श्रमिकों को मिलने वाले मानदेय में विभिन्न विभागों में भारी अंतर को समाप्त करने व काम की निश्चित अवधि व अवकाश आदि सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है। 

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इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी विभागों में सेवा प्रदाता एजेंसी के मार्फत आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के वेतन, अवकाश, छुट्टी, काम की अवधि, मानव शक्ति, माडल सेवा शर्तों को लेकर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने हलफनामा दाखिल किया। इसको पत्रावली पर रखते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा तैयार कर पेश की गई नीति को पर्याप्त नहीं माना था और कहा था कि कई बिंदू छूट गए हैं। सभी को पहलुओं पर मुख्य सचिव को नीति निर्धारित कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की याचिका पर दिया है।

याचिका में सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा दी जा रही मानव शक्ति सेवा के श्रमिकों को मिलने वाले मानदेय में विभिन्न विभागों में भारी अंतर को समाप्त करने व काम की निश्चित अवधि व अवकाश आदि सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है।  कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा था कि सेवा शर्तों में एकरूपता कायम करने वाली नीति तैयार करते समय सुप्रीम कोर्ट के गुजरात मजदूर सभा केस के दिशा निर्देशों को भी शामिल किया जाय। जिसको लेकर मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया है। 

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट में सरकारी विभागों में सेवा प्रदाता एजेंसी के मार्फत आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारियों के वेतन, अवकाश, छुट्टी, काम की अवधि, मानव शक्ति, माडल सेवा शर्तों को लेकर मुख्य सचिव दुर्गा शंकर मिश्र ने हलफनामा दाखिल किया। इसको पत्रावली पर रखते हुए कोर्ट ने अपना फैसला सुरक्षित कर लिया है।

इससे पहले कोर्ट ने राज्य सरकार द्वारा तैयार कर पेश की गई नीति को पर्याप्त नहीं माना था और कहा था कि कई बिंदू छूट गए हैं। सभी को पहलुओं पर मुख्य सचिव को नीति निर्धारित कर व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था। यह आदेश न्यायमूर्ति एसपी केसरवानी तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने संयुक्त स्वास्थ्य आउटसोर्सिंग संविदा कर्मचारी संघ की याचिका पर दिया है।

याचिका में सेवा प्रदाता एजेंसियों द्वारा दी जा रही मानव शक्ति सेवा के श्रमिकों को मिलने वाले मानदेय में विभिन्न विभागों में भारी अंतर को समाप्त करने व काम की निश्चित अवधि व अवकाश आदि सुविधाएं मुहैया कराने की मांग की गई है।  कोर्ट ने मुख्य सचिव से कहा था कि सेवा शर्तों में एकरूपता कायम करने वाली नीति तैयार करते समय सुप्रीम कोर्ट के गुजरात मजदूर सभा केस के दिशा निर्देशों को भी शामिल किया जाय। जिसको लेकर मुख्य सचिव ने व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल किया है। 

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