दारुल उलूम देवबंद : दाखिले से पहले पुलिस सत्यापन अनिवार्य, सीमांत राज्यों के छात्रों के लिए सख्त नियम

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सार

Darul Uloom Deoband Admissions 2022: दारुल उलूम देवबंद की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस बार प्रवेश के लिए पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। संस्थान की प्रवेश प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया गया है। 
 

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Darul Uloom Deoband Admissions 2022: इस्लामिक शिक्षा के बड़े केंद्र के तौर पर पहचान रखने वाले दारुल उलूम देवबंद की दाखिला प्रक्रिया शुरू होने वाली है। लेकिन इस बार दाखिला प्रक्रिया सख्त कर दी गई है। प्रवेश प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया गया है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस बार प्रवेश के लिए पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। 
 

पुलिस की लोकल इंटेलिजेंस यूनिट करेगी दस्तावेजों की जांच

इस्लामिक शिक्षण संस्थान दारुल उलूम देवबंद ने आवेदकों द्वारा जमा किए गए दस्तावेजों का पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर इस साल की प्रवेश प्रक्रिया को और सख्त बना दिया है। दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमीम (वाइस चांसलर) मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने एक बयान में कहा ने कहा कि इस साल प्रवेश पाने वाले छात्रों को अपने आधार कार्ड, मूल निवास प्रमाण पत्र और एक हलफनामा सहित अपने दस्तावेज जमा करने होंगे। इन सभी दस्तावेजों को पुलिस की स्थानीय खुफिया इकाई (एलआईयू) सहित सरकारी एजेंसियों द्वारा जांचा और सत्यापित किया जाएगा।  

 

इस संबंध में किसी को छूट नहीं मिलेगी : मौलाना मद्रासी

मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने कहा कि प्रवेश पाने वालों को अपने पिछले मदरसा प्रमाण पत्र, वहां से प्राप्त मार्कशीट और आवेदकों और उनके पिता के मोबाइल नंबर सहित आधार कार्ड जमा करने होंगे। आईडी गलत पाए जाने पर छात्र को न केवल निष्कासित किया जाएगा, बल्कि उसके खिलाफ कानूनी कार्रवाई भी की जा सकती है।

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बाहर के छात्रों के बारे में बात करते हुए, मौलाना मद्रासी ने कहा कि इस संबंध में किसी को छूट नहीं है। उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर, पश्चिम बंगाल, मणिपुर, त्रिपुरा, असम आदि के छात्रों को भी अपने मूल निवास प्रमाण पत्र और हलफनामे लाने होंगे, जिसके बिना प्रवेश प्रक्रिया पूरी नहीं होगी।  
 

1866 में देवबंद में हुई थी दारुल उलूम की स्थापना

दारुल उलूम देवबंद के नायब मोहतमीम (वाइस चांसलर) मौलाना अब्दुल खालिक मद्रासी ने स्पष्ट तौर पर कहा कि जो आवश्यक दस्तावेज जमा नहीं कर सकते उन्हें दाखिले के लिए नहीं आना चाहिए, क्योंकि ऐसे छात्रों का नामांकन किसी भी सूरत में नहीं किया जाएगा। बता दें कि दारुल उलूम भारत में एक प्रमुख इस्लामिक मदरसा है। यहीं से सुन्नी देवबंदी इस्लामी आंदोलन शुरू हुआ। इस मदरसा की स्थापना मुहम्मद कासिम नानौतवी, फजलुर रहमान उस्मानी, सैय्यद मुहम्मद आबिद और अन्य ने 1866 में की थी। 
 

विस्तार

Darul Uloom Deoband Admissions 2022: इस्लामिक शिक्षा के बड़े केंद्र के तौर पर पहचान रखने वाले दारुल उलूम देवबंद की दाखिला प्रक्रिया शुरू होने वाली है। लेकिन इस बार दाखिला प्रक्रिया सख्त कर दी गई है। प्रवेश प्रक्रिया के नियमों में बदलाव किया गया है। दारुल उलूम देवबंद की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, इस बार प्रवेश के लिए पुलिस सत्यापन अनिवार्य कर दिया है। 

 

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