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न्यूज डेस्क, अमर उजाला, कानपुर
Published by: शिखा पांडेय
Updated Sat, 30 Apr 2022 09:32 PM IST
सार
कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा का कहना है कि जाड़े में नसें सिकुड़ने से खून का बहाव प्रभावित होता है और थक्का जम जाता है। गर्मी में पसीना बहने और वाष्पीकरण के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। शरीर में डिहाइड्रेशन से खून गाढ़ा होता है और थक्का जम जाता है। थक्का हार्ट, ब्रेन के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से में फंसकर रक्त का प्रवाह प्रभावित कर सकता है।
जलवायु परिवर्तन के कारण बदला गर्मी का मिजाज सेहत पर भारी पड़ रहा है। पारा लगातार 40 डिग्री सेल्सियस के पार रहने के कारण शरीर में पानी और नमक घट रहा है। इससे खून का थक्का जम जा रहा है। खून के थक्के की वजह से हार्ट फेल और ब्रेन अटैक के रोगी अचानक बढ़ गए हैं। यह स्थिति विशेषज्ञों को चौंका रही है। इसके पहले कभी भी अप्रैल के महीने में ब्रेन अटैक और हार्ट फेल के इतने रोगी नहीं आए हैं।
कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट और न्यूरो साइंसेस विभाग इस स्थिति का अध्ययन कर रहा है। चार अप्रैल के बाद पारा 40 डिग्री सेल्सियस पर जो चढ़ा तो उतरने का नाम नहीं ले रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर खून का थक्का जमने की दिक्कत जाड़े में होती रही है, लेकिन अब वैसी ही दिक्कत झुलसाऊ गर्मी में हो रही है। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा का कहना है कि जाड़े में नसें सिकुड़ने से खून का बहाव प्रभावित होता है और थक्का जम जाता है।
गर्मी में पसीना बहने और वाष्पीकरण के कारण शरीर में पानी और नमक की कमी हो जाती है। शरीर में डिहाइड्रेशन से खून गाढ़ा होता है और थक्का जम जाता है। थक्का हार्ट, ब्रेन के अलावा शरीर के किसी भी हिस्से में फंसकर रक्त का प्रवाह प्रभावित कर सकता है।
मस्तिष्क में फंसने से ब्रेन अटैक और हृदय में फंसने से हार्ट अटैक हो जाता है। इसी तरह जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के न्यूरो साइंसेस विभाग में रोगी बढ़ रहे हैं। हैलट में औसत दो-तीन ब्रेन अटैक के रोगी आ रहे हैं। विभाग के प्रमुख डॉ. मनीष सिंह का कहना है कि न्यूरो रोगियों में हीट स्ट्रोक के कारण दिक्कत बढ़ी है।
इसके साथ ही ब्रेन अटैक के रोगी आ रहे हैं। अगर लगातार गर्मी ऐसी ही बनी रही तो और भी जटिलताएं हो सकती हैं। शरीर में पानी की कमी के कारण रोगियों का ब्लड प्रेशर भी गिर रहा है। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट में ऐसे रोगियों की संख्या 20 फीसदी बढ़ गई है। शरीर में अगर पानी की कमी न होने दी जाए तो इस प्रतिकूल परिस्थिति की जटिलताओं से बचा जा सकता है।
गर्मी का दुष्प्रभाव
– गर्मी के कारण हार्ट और ब्रेन अटैक की चपेट में आने वाले रोगियों का आयु वर्ग 55 से 75 वर्ष
– डायबिटीज रोगियों की नसों में खून के थक्का जमने के मामले अधिक
– शरीर में पानी की कमी के कारण सांस रोगियों की भी तबीयत बिगड़ी
नंबर गेम
80 मरीज हार्ट अटैक के मार्च में कार्डियोलॉजी में हुए थे भर्ती
120 मरीज हार्ट अटैक के अप्रैल में कार्डियोलॉजी इमरजेंसी में आए
विस्तार
जलवायु परिवर्तन के कारण बदला गर्मी का मिजाज सेहत पर भारी पड़ रहा है। पारा लगातार 40 डिग्री सेल्सियस के पार रहने के कारण शरीर में पानी और नमक घट रहा है। इससे खून का थक्का जम जा रहा है। खून के थक्के की वजह से हार्ट फेल और ब्रेन अटैक के रोगी अचानक बढ़ गए हैं। यह स्थिति विशेषज्ञों को चौंका रही है। इसके पहले कभी भी अप्रैल के महीने में ब्रेन अटैक और हार्ट फेल के इतने रोगी नहीं आए हैं।
कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट और न्यूरो साइंसेस विभाग इस स्थिति का अध्ययन कर रहा है। चार अप्रैल के बाद पारा 40 डिग्री सेल्सियस पर जो चढ़ा तो उतरने का नाम नहीं ले रहा है। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर खून का थक्का जमने की दिक्कत जाड़े में होती रही है, लेकिन अब वैसी ही दिक्कत झुलसाऊ गर्मी में हो रही है। कार्डियोलॉजी इंस्टीट्यूट के निदेशक प्रोफेसर विनय कृष्णा का कहना है कि जाड़े में नसें सिकुड़ने से खून का बहाव प्रभावित होता है और थक्का जम जाता है।
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