गजब: एक ‘सॉरी’ ने टूटने से बचाईं 361 शादियां, पुलिस तक पहुंचते ही मोहब्बत में बदल रही नफरत, पढ़ें ये खास रिपोर्ट

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अमर उजाला नेटवर्क, बिजनौर
Published by: Dimple Sirohi
Updated Sun, 01 May 2022 12:29 PM IST

सार

शादियों के बचाने में एक मामूली सा शब्द सॉरी बड़ी भूमिका अदा कर रहा है।उत्तर प्रदेश के बिजनौर में 16 महीनों में 361 पति और पत्नी के बीच समझौता कराया गया। जीवनसाथी के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराने को लेकर मामले पुलिस तक पहुंचते हैं। 

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‘सॉरी’ बेहद छोटा सा शब्द है, लेकिन यह उस वक्त खास मायने रखता है, जब रिश्तों में तल्खी आने लगे। जी हां, ‘सॉरी’ ने सात वचनों के बंधन का कवज भी बन रहा है। दरअसल एक-दूसरे से अलग होने की जिद पर अड़ चुके पति-पत्नी अपनी अपनी गलती मान लिए जाने और फिर से नहीं दोहराने का वादा कर फिर से घर बसा रहे हैं। पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र ने 16 महीनों में 361 जोड़ों के बीच सुलह कराते हुए फिर से साथ रहने पर राजी किया। 

पति और पत्नी के बीच होने वाली मीठी नोकझोंक को मुहब्बत में इजाफा होने की वजह माना जाता था। अब हालात जुदा हो गए हैं। मामूली बातों पर शुरू हुई कलह एक-दूसरे से अलग होने तक ले जा रही है। पुलिस महकमे के आंकड़े इसे तस्दीक करने के लिए काफी हैं।

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परिवार और रिश्तेदार जब पति और पत्नी के विवादों को नहीं सुलझा पाते हैं तो विवाहिता पुलिस तक पहुंच जाती हैं। पति के खिलाफ दहेज उत्पीड़न और अन्य आरोपों में शिकायतीपत्र दिया जाता है, जिससे रिपोर्ट दर्ज हो जाए। एसपी के दफ्तर में पहुंचने वाले पारिवारिक विवादों के शिकायतीपत्र को पहले परिवार परामर्श केंद्र भेजा जाता है, जिससे कानूनी कार्रवाई के बजाये सुलह हो जाए। 

परिवार परामर्श केंद्र में की जाती है पति और पत्नी की काउंसलिंग 
एएसपी सिटी डॉ. प्रवीन रंजन सिंह बताते हैं कि अधिकांश मामलों में रिश्तेदार ही खटास की खाई को गहरा कर देते हैं। मामूली बातों पर हुए विवाद को कम करने की बजाये एक-दूसरे पर छींटाकशी और तानेबाजी होने लगती है।

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बताया कि अधिकांश मामलों में अलग-अलग रह रहे पति और पत्नी को एक साथ बैठाकर बात कराने पर सामने आता है कि एक-दूसरे गलती मान लेने पर ही विवाद की आधी जड़ समाप्त हो जाती है। कई मामलों को उन्होंने एक-दूसरे से सॉरी बुलवाकर ही सुलझा दिया।

एएसपी सिटी ने बताया कि कुछ मामलों में महीनों से अलग-अलग रह रहे जोड़े साथ बैठते ही एक दूसरे की गलती को माफ करने पर राजी हो जाते हैं। केंद्र की प्रभारी सविता तोमर ने बताया कि शनिवार को भी तीन परिवारों में आपसी समझौता कराया गया है। 

16 महीनों में आए 643 मामले
परिवार परामर्श केंद्र में 16 महीनों यानी जनवरी 2021 से अब तक कुल 643 शिकायत दर्ज हुई हैं। पिछले साल 513 शिकायतें आई थीं, जिनमें 289 में सुलह हो गई। 181 कोर्ट तक पहुंच गए जबकि 43 में रिपोर्ट दर्ज हुई। इस साल पति और पत्नी के 130 विवाद पुलिस तक पहुंचे, जिनमें 72 जोड़े सुलह होने के बाद साथ रहने पर राजी हो गए। हालांकि 34 में कोर्ट कार्यवाही हुई और 12 मामलों में रिपोर्ट दर्ज करा दी गई।

विस्तार

‘सॉरी’ बेहद छोटा सा शब्द है, लेकिन यह उस वक्त खास मायने रखता है, जब रिश्तों में तल्खी आने लगे। जी हां, ‘सॉरी’ ने सात वचनों के बंधन का कवज भी बन रहा है। दरअसल एक-दूसरे से अलग होने की जिद पर अड़ चुके पति-पत्नी अपनी अपनी गलती मान लिए जाने और फिर से नहीं दोहराने का वादा कर फिर से घर बसा रहे हैं। पुलिस के परिवार परामर्श केंद्र ने 16 महीनों में 361 जोड़ों के बीच सुलह कराते हुए फिर से साथ रहने पर राजी किया। 

पति और पत्नी के बीच होने वाली मीठी नोकझोंक को मुहब्बत में इजाफा होने की वजह माना जाता था। अब हालात जुदा हो गए हैं। मामूली बातों पर शुरू हुई कलह एक-दूसरे से अलग होने तक ले जा रही है। पुलिस महकमे के आंकड़े इसे तस्दीक करने के लिए काफी हैं।

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