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उन्नाव। नर्सिंग होम में इलाज के नाम पर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। बेहतर इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी हजारों से लाखों रुपये तक का बिल वसूला जा रहा है। नर्सिंग होम में इलाज की महंगे इलाज पर स्वास्थ्य विभाग भी लगाम नहीं लगा पा रहा।
शहर से कस्बों की लगभग हर गली में एक नर्सिंग होम खुला हुआ है। यहां आपातकालीन स्थिति में भी इलाज मुहैया कराए जाने की गारंटी दी जाती है। फिर बेहतर इलाज के नाम पर कितना रुपया वसूला जा सकता है इसकी कोई गारंटी नहीं होती। मरीज भी सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था के चलते नर्सिंग होम में इलाज कराने को मजबूर हैं।
कई ऐसे नर्सिंग होम में जहां पहले कैश जमा कराया जाता है, फिर मरीज का इलाज किया जाता है। बाद में लंबा चौड़ा बिल नर्सिंग होम प्रबंधन की तरफ से तीमारदारों का थमा दिया जाता है। तीमारदार को मजबूरन यह बिल चुकाना पड़ता है। बिल चुकाने में आनाकानी करने पर विवाद होता है और मरीज अव तीमारदारों से अभद्रता की जाती है। कई बार स्थिति मारपीट तक भी पहुंच जाती है।
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बिना डॉक्टर भर्ती मिले मरीज
परियर स्थित सहारा अस्पताल में सोमवार की सुबह 11:41 बजे नयाखेड़ा गांव निवासी रामबक्श की पत्नी नीतू भर्ती थीं। रामबक्श ने बताया कि शनिवार को पत्नी की बच्चेदानी का ऑपरेशन कराया था। ऑपरेशन के समय इलाज का खर्च 20 हजार रुपये बताया गया था। दवा का खर्च अलग था। इसमें 10 हजार रुपये जमा कराए जा चुके हैं। रिसेप्शन में अस्पताल कर्मियों में अदिति व दीक्षा मिलीं। डॉक्टरों की सूची थी, लेकिन एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। पूछने पर बताया गया कि डॉक्टर ऑनकाल आते हैं।
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स्टाफ नर्स के सहारे अस्पताल
सफीपुर कस्बे में संचालित सिंह फ्रैक्चर अस्पताल में दोपहर 12:45 बजे पहुंचे संवाददाता को चौधरीखेड़ा निवासी मुलायम सिंह की पत्नी निशा भर्ती मिलीं। पति ने बताया कि गर्भवती पत्नी के पेट में बच्चे की मौत हो गई थी। इस पर 25 अप्रैल को पहले अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां 10 हजार रुपये जमा किए थे। आराम न मिलने पर 30 अप्रैल को इस अस्पताल में भर्ती कराया। यहां डॉ. असद ने इलाज किया। 5700 रुपये व दवा का खर्च बताया गया। डॉक्टर हर समय अस्पताल में नहीं रहते। उस समय भी कोई भी डॉक्टर नहीं मिला। स्टाफ नर्स जया सिंह मौजूद थीं। यहां भी डॉक्टर के ऑनकाल आने की जानकारी मिली।
उन्नाव। नर्सिंग होम में इलाज के नाम पर मरीजों का शोषण किया जा रहा है। बेहतर इलाज के नाम पर मरीजों से मोटी हजारों से लाखों रुपये तक का बिल वसूला जा रहा है। नर्सिंग होम में इलाज की महंगे इलाज पर स्वास्थ्य विभाग भी लगाम नहीं लगा पा रहा।
शहर से कस्बों की लगभग हर गली में एक नर्सिंग होम खुला हुआ है। यहां आपातकालीन स्थिति में भी इलाज मुहैया कराए जाने की गारंटी दी जाती है। फिर बेहतर इलाज के नाम पर कितना रुपया वसूला जा सकता है इसकी कोई गारंटी नहीं होती। मरीज भी सरकारी अस्पतालों में अव्यवस्था के चलते नर्सिंग होम में इलाज कराने को मजबूर हैं।
कई ऐसे नर्सिंग होम में जहां पहले कैश जमा कराया जाता है, फिर मरीज का इलाज किया जाता है। बाद में लंबा चौड़ा बिल नर्सिंग होम प्रबंधन की तरफ से तीमारदारों का थमा दिया जाता है। तीमारदार को मजबूरन यह बिल चुकाना पड़ता है। बिल चुकाने में आनाकानी करने पर विवाद होता है और मरीज अव तीमारदारों से अभद्रता की जाती है। कई बार स्थिति मारपीट तक भी पहुंच जाती है।
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बिना डॉक्टर भर्ती मिले मरीज
परियर स्थित सहारा अस्पताल में सोमवार की सुबह 11:41 बजे नयाखेड़ा गांव निवासी रामबक्श की पत्नी नीतू भर्ती थीं। रामबक्श ने बताया कि शनिवार को पत्नी की बच्चेदानी का ऑपरेशन कराया था। ऑपरेशन के समय इलाज का खर्च 20 हजार रुपये बताया गया था। दवा का खर्च अलग था। इसमें 10 हजार रुपये जमा कराए जा चुके हैं। रिसेप्शन में अस्पताल कर्मियों में अदिति व दीक्षा मिलीं। डॉक्टरों की सूची थी, लेकिन एक भी डॉक्टर मौजूद नहीं था। पूछने पर बताया गया कि डॉक्टर ऑनकाल आते हैं।
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स्टाफ नर्स के सहारे अस्पताल
सफीपुर कस्बे में संचालित सिंह फ्रैक्चर अस्पताल में दोपहर 12:45 बजे पहुंचे संवाददाता को चौधरीखेड़ा निवासी मुलायम सिंह की पत्नी निशा भर्ती मिलीं। पति ने बताया कि गर्भवती पत्नी के पेट में बच्चे की मौत हो गई थी। इस पर 25 अप्रैल को पहले अपोलो अस्पताल में भर्ती कराया था। वहां 10 हजार रुपये जमा किए थे। आराम न मिलने पर 30 अप्रैल को इस अस्पताल में भर्ती कराया। यहां डॉ. असद ने इलाज किया। 5700 रुपये व दवा का खर्च बताया गया। डॉक्टर हर समय अस्पताल में नहीं रहते। उस समय भी कोई भी डॉक्टर नहीं मिला। स्टाफ नर्स जया सिंह मौजूद थीं। यहां भी डॉक्टर के ऑनकाल आने की जानकारी मिली।
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