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सार
काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर ने कहा कि ज्ञानवापी परिसर के सर्वे का विरोध करना ठीक नहीं है।
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे को लेकर हंगामा मचा हुआ है। शुक्रवार को जब से सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई, तब से विरोध प्रदर्शन जारी है। अदालत के आदेश पर हो रही कार्रवाई पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एतराज जताया तो वहीं मस्जिद कमेटी पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए हटाने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की।
इधर, ज्ञानवापी मस्जिद में शनिवार को दूसरे दिन सर्वे नहीं हो सका। सर्वे कमिश्नर की टीम मौके पर पहुंची थी लेकिन उसे मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया गया। शनिवार को काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर ने ओवैसी के उस बयान पर पलटवार किया जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी सर्वे को कानून का उल्लंघन बताया था।
किसी के रोकने से नहीं सर्वे नहीं रुकेगा
कौशल किशोर ने कहा कि कहा कि किसी की भी यहां के ज्ञानवापी सर्वे का विरोध करना ठीक नहीं है। काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट संख्या चार के पास बातचीत करते हुए कहा कि सर्वे कराया ही इसलिए जा रहा है कि सच सामने आ जाए।
सर्वे करने वाली टीम के अंदर ना घुसने के प्रश्न पर कहा कि कोर्ट का जो आदेश है उसका पालन करना ही होगा। किसी के रोकने से नहीं सर्वे नहीं रुकेगा। अदालत का जो निर्णय है उसे सभी मानना चाहिए और शांति से सर्वे होने देना चाहिए। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी शब्द उर्दू का नहीं है। ये मंदिर है या मस्जिद, इसका फैसला अदालत में ही होगा।
ज्ञानवापी मामले में कूदे ओवैसी, बोले- नफरत के युग को फिर से जगाने की कोशिश
ज्ञानवापी परिसर के सर्वे को लेकर असदुद्दीन ओवैसी ने केंद्र सरकार और यूपी सरकार पर सवाल उठाए हैं। ओवैसी ने ट्वीट कर कहा- भारत सरकार और यूपी सरकार को कोर्ट को बताना चाहिए था कि संसद ने पूजा स्थल (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 पारित किया है। इसमें कहा गया है कि कोई भी धार्मिक स्थल, जैसा कि 15 अगस्त 1947 को अस्तित्व में था, उसे भंग नहीं किया जाएगा। उन्हें कोर्ट से ऐसा कहना चाहिए था।
ओवैसी ने कहा कि भाजपा को कहना चाहिए कि क्या वे पूजा के स्थान (विशेष प्रावधान) अधिनियम, 1991 को स्वीकार करते हैं। भाजपा और संघ इस मामले पर खास ध्यान दे रहे हैं। वे 90 के दशक में नफरत के युग को फिर से जगाने की कोशिश कर रहे हैं।
मोदी सरकार जानती है कि जब बाबरी मस्जिद सिविल टाइटल का फैसला आया, तो उसने 1991 के अधिनियम को संविधान के बुनियादी ढांचे से जोड़ा। सरकार का संवैधानिक कर्तव्य है कि वह अदालत को बताए कि वे जो कर रहे हैं वह गलत है। लेकिन चूंकि वे नफरत की राजनीति करते हैं, इसलिए चुप रहे।
मस्जिद कमेटी पक्ष की याचिका पर सुनवाई करने के बाद अदालत ने फैसला सुरक्षित रख लिया है। मामले की अगली सुनवाई नौ मई को होगी। सिविल जज (सीनियर डिवीजन) रवि कुमार दिवाकर ने वादी पक्ष और एडवोकेट कमिश्नर से आपत्ति मांगा है। अदालत का कहना है कि प्रार्थना पत्र की प्रति अभी तक वादी पक्ष के अधिवक्ताओं को प्राप्त नहीं करायी गयी है और न ही एडवोकेट कमिश्नर अपना पक्ष रखने के लिए उपस्थित हुए हैं। ऐसे में न्यायोचित होगा कि प्रार्थना पत्र की प्रति वादी पक्ष को दी जाए।
विस्तार
काशी विश्वनाथ ज्ञानवापी परिसर स्थित श्रृंगार गौरी समेत कई विग्रहों के सर्वे को लेकर हंगामा मचा हुआ है। शुक्रवार को जब से सर्वे की कार्रवाई शुरू हुई, तब से विरोध प्रदर्शन जारी है। अदालत के आदेश पर हो रही कार्रवाई पर एआईएमआईएम प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी ने एतराज जताया तो वहीं मस्जिद कमेटी पक्ष ने कोर्ट कमिश्नर पर पक्षपात का आरोप लगाते हुए हटाने के लिए अदालत में याचिका दाखिल की।
इधर, ज्ञानवापी मस्जिद में शनिवार को दूसरे दिन सर्वे नहीं हो सका। सर्वे कमिश्नर की टीम मौके पर पहुंची थी लेकिन उसे मस्जिद में प्रवेश करने से रोक दिया गया। शनिवार को काशी विश्वनाथ के दरबार में हाजिरी लगाने पहुंचे भारत सरकार के आवासन एवं शहरी कार्य राज्यमंत्री कौशल किशोर ने ओवैसी के उस बयान पर पलटवार किया जिसमें उन्होंने ज्ञानवापी सर्वे को कानून का उल्लंघन बताया था।
किसी के रोकने से नहीं सर्वे नहीं रुकेगा
कौशल किशोर ने कहा कि कहा कि किसी की भी यहां के ज्ञानवापी सर्वे का विरोध करना ठीक नहीं है। काशी विश्वनाथ मंदिर के गेट संख्या चार के पास बातचीत करते हुए कहा कि सर्वे कराया ही इसलिए जा रहा है कि सच सामने आ जाए।
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