मथुरा के श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह विवाद के मामले में वादी भगवान श्रीकृष्ण विराजमान के केस में उपासना स्थल अधिनियम 1991 की रुकावट नहीं होगी। यह अधिनियम इस केस में लागू नहीं होगा। यह तथ्य जिला जज राजीव भारती ने अपने निर्णय में दिया है। जिसकी जानकारी वादी के अधिवक्ता गोपाल खंडेलवाल ने दी। बता दें कि भगवान श्रीकृष्ण विराजमान को वादी बनाकर 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश करने वाली सुप्रीम कोर्ट की अधिवक्ता रंजना अग्निहोत्री के केस को जिला जज राजीव भारती की अदालत ने बृहस्पतिवार को सुनवाई योग्य मानते हुए दर्ज कर लिया। करीब दो वर्ष के लंबी अदालती प्रक्रिया के बाद उनके वाद को अदालत ने दर्ज करने संबंधी निर्णय दिया। अगली सुनवाई 26 मई को होगी। अदालत के निर्णय पर अधिवक्ता रंजना ने कहा कि यह भगवान श्रीकृष्ण विराजमान की जीत है।
समझौते को बताया गलत, रद्द करने की मांग
रंजना अग्निहोत्री ने 25 सितंबर 2020 को श्रीकृष्ण जन्मस्थान की 13.37 एकड़ जमीन पर दावा पेश किया गया था, जिसमें उन्होंने वर्ष 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही ईदगाह के बीच हुए समझौते को गलत बताकर इसकी डिक्री को रद्द करने की मांग की है। उनके वाद में बताया गया है कि 20 जुलाई 1973 में श्रीकृष्ण जन्मस्थान ट्रस्ट और शाही मस्जिद इंतजामिया कमेटी के मध्य बीच समझौता हुआ था, जिसके तहत परिसर की जमीन को ईदगाह इंतजामिया कमेटी को दे दिया गया। बाद में समझौते की डिक्री (न्यायिक निर्णय) 7 नवंबर 1974 को हुई।
जिला जज ने अपने निर्णय में यह कहा
वादी श्रीकृष्ण विराजमान और उनकी भक्त रंजना अग्निहोत्री द्वारा इसी डिक्री को रद्द करने की मांग की गई है। उनके द्वारा वाद में कहा गया है कि यह समझौता ही गलत हुआ था। जिला जज ने रिवीजन स्वीकार करने के निर्णय में कहा है कि चूंकि वादी द्वारा समझौता और डिक्री को चैलेंज किया गया है, इसीलिए उपासना स्थल अधिनियम इस केस में लागू नहीं होगा। वादी के अधिवक्ता के गोपाल खंडेलवाल ने बताया कि केस में समझौता और डिक्री को आधार बनाया गया है, इसलिए अदालत ने इस वाद में उपासना स्थल अधिनियम 1991 का लागू होना नहीं माना है।
सबसे पहला वाद महेंद्र प्रताप सिंह का दर्ज हुआ
श्रीकृष्ण जन्मस्थान और शाही ईदगाह प्रकरण में सबसे पहला केस सिविल जज सीनियर डिवीजन में 23 दिसंबर 2020 को एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह आदि के नाम से न्यायालय मथुरा में दर्ज किया गया था। जिसके आधार पर ही अन्य केस दर्ज किए गए। जो वाद बृहस्पतिवार को दर्ज किया गया है उसमें भी इसका उल्लेख है।
महेंद्र प्रताप सिंह द्वारा ही सबसे पहले कोर्ट कमिश्नर से सर्वे कराने यथास्थिति के लिए प्रार्थनापत्र दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि 17 मई 2022 को भी हिंदू अवशेष शंख, चक्र, कमल आदि की सुरक्षा के लिए सुरक्षा अधिकारी नियुक्त करने व मस्जिद परिसर सील करने के लिए अदालत में प्रार्थनापत्र दिया है। इन सब पर एक जुलाई को सुनवाई होनी है।