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उन्नाव। डायरिया पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला अस्पताल में हर दिन औसतन 10 मरीज पहुंच रहे हैं। बेड कम पड़ने से एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। शुक्रवार को दो बच्चियों को एक ही बेड पर लिटाकर सिर्फ ग्लूकोज चढ़ाया गया। इस पर परिजनों ने हंगामा किया।
शुक्रवार को सुबह करीब 10 बजे सिवरा गांव निवासी अंशी तिवारी (11) वर्ष को उसकी मां रिंकी तिवारी जिला अस्पताल के इमरजेंसी में लेकर पहुंची। डायरिया होने के कारण बच्ची को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया। इसी दौरान हुसैन नगर की आस्था (8) को उसके पिता सर्वेश भर्ती कराने के लिए लाए। रिंकी और सर्वेंश ने बताया कि उनकी बच्चियों के लिए कोई बेड नहीं था।
इस पर उन्होंने बेड की व्यवस्था कराने के लिए नर्स से कहा तो आस्था को एक घायल युवक के बेड में लिटा देने की कोशिश की, इस पर हंगामा हुआ। इसी तरह रिंकी ने भी अपनी बेटी अंशी के लिए अलग बेड की मांग की। काफी देर तक दोनों बच्चियां बिना इलाज इमरजेंसी में पड़ी रहीं।
इसके बाद आपस में सलाह बनाकर दोनों ने अपनी बच्चियों को एक बेड में शिफ्ट कराया। आरोप है कि बेड तो मिल गया लेकिन इलाज शुरू नहीं किया गया। कई बार चक्कर लगाने के बाद ग्लूकोस चढ़ा दिया गया। दोपहर करीब 1.30 बजे तक दोनों बच्चियों का हालचाल जानने के लिए कोई चिकित्सक या नर्स नहीं आई। दोपहर बाद बच्ची को बाहर की दवा लिखी गई।
शुक्रवार को डायरिया के छह मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किए गए। पीडी नगर निवासी निरुपमा सिंह (21), कांशी राम कालोनी निवासी नूर आलम का तीन वर्षीय पुत्र असलम, अजैयाखेड़ा निवासी राकेश की पुत्री शिखा (8), दही निवासी पंचम का पुत्र कुनाल सिंह (9), लोक नगर निवासी रामू (41) व इंद्रा नगर निवासी आलोक (23) डायरिया से पीड़ित होकर अस्पताल आए।
सभी को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया लेकिन दवा और इलाज के नाम पर खानापूर्ति की गई जिससे परिजनों में रोष दिखा लेकिन मामला मरीजों के इलाज से जुड़ा होने के कारण तीमारदार खुलकर सामने नहीं आए।
उन्नाव। डायरिया पीड़ित मरीजों की संख्या लगातार बढ़ रही है। जिला अस्पताल में हर दिन औसतन 10 मरीज पहुंच रहे हैं। बेड कम पड़ने से एक बेड पर दो-दो मरीजों को भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। शुक्रवार को दो बच्चियों को एक ही बेड पर लिटाकर सिर्फ ग्लूकोज चढ़ाया गया। इस पर परिजनों ने हंगामा किया।
शुक्रवार को सुबह करीब 10 बजे सिवरा गांव निवासी अंशी तिवारी (11) वर्ष को उसकी मां रिंकी तिवारी जिला अस्पताल के इमरजेंसी में लेकर पहुंची। डायरिया होने के कारण बच्ची को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया। इसी दौरान हुसैन नगर की आस्था (8) को उसके पिता सर्वेश भर्ती कराने के लिए लाए। रिंकी और सर्वेंश ने बताया कि उनकी बच्चियों के लिए कोई बेड नहीं था।
इस पर उन्होंने बेड की व्यवस्था कराने के लिए नर्स से कहा तो आस्था को एक घायल युवक के बेड में लिटा देने की कोशिश की, इस पर हंगामा हुआ। इसी तरह रिंकी ने भी अपनी बेटी अंशी के लिए अलग बेड की मांग की। काफी देर तक दोनों बच्चियां बिना इलाज इमरजेंसी में पड़ी रहीं।
इसके बाद आपस में सलाह बनाकर दोनों ने अपनी बच्चियों को एक बेड में शिफ्ट कराया। आरोप है कि बेड तो मिल गया लेकिन इलाज शुरू नहीं किया गया। कई बार चक्कर लगाने के बाद ग्लूकोस चढ़ा दिया गया। दोपहर करीब 1.30 बजे तक दोनों बच्चियों का हालचाल जानने के लिए कोई चिकित्सक या नर्स नहीं आई। दोपहर बाद बच्ची को बाहर की दवा लिखी गई।
शुक्रवार को डायरिया के छह मरीज इमरजेंसी वार्ड में भर्ती किए गए। पीडी नगर निवासी निरुपमा सिंह (21), कांशी राम कालोनी निवासी नूर आलम का तीन वर्षीय पुत्र असलम, अजैयाखेड़ा निवासी राकेश की पुत्री शिखा (8), दही निवासी पंचम का पुत्र कुनाल सिंह (9), लोक नगर निवासी रामू (41) व इंद्रा नगर निवासी आलोक (23) डायरिया से पीड़ित होकर अस्पताल आए।
सभी को इमरजेंसी वार्ड में भर्ती कर लिया गया लेकिन दवा और इलाज के नाम पर खानापूर्ति की गई जिससे परिजनों में रोष दिखा लेकिन मामला मरीजों के इलाज से जुड़ा होने के कारण तीमारदार खुलकर सामने नहीं आए।
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