Agra: ये कैसा धरती का भगवान? छत से गिरे बेटे के इलाज के लिए फूट-फूटकर रोता रहा पिता, नहीं पसीजा चिकित्सकों का दिल 

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अमर उजाला ब्यूरो, आगरा
Published by: धीरेन्द्र सिंह
Updated Sun, 22 May 2022 10:00 AM IST

सार

चिकित्सकों को धरती का भगवान कहा जाता है, लेकिन उत्तर प्रदेश के आगरा में एक ऐसा मामला सामने आया जिसने इस कहावत पर प्रश्न चिन्ह लगा दिया। एसएन मेडिकल कॉलेज में छत से गिरकर घायल हुए बच्चे के इलाज के लिए पिता भटकता रहा, लेकिन चिकित्सकों का दिल नहीं पसीजा। फिर पुलिस बुलाई गई, जिसके बाद बच्चे को इलाज मिल सका।  

बेटे के इलाज के लिए फूट-फूटकर रोता पिता साथ में बेटा और पत्नी

बेटे के इलाज के लिए फूट-फूटकर रोता पिता साथ में बेटा और पत्नी
– फोटो : अमर उजाला

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विस्तार

आगरा के एसएन मेडिकल कॉलेज में एक घंटे तक भटकने पर भी जब बच्चे को इलाज नहीं मिला तो पिता ने पुलिस बुला ली। बच्चे के सिर में चोट थी। पिता का आरोप था कि न बच्चे को भर्ती किया जा रहा है न कोई सही जवाब दे रहा है। पिता को रोते देखकर भीड़ जुट गई। पुलिसकर्मी पहुंचे और बच्चे को चिकित्सक के पास ले गए। सिर की चोट की जांच कराई। पिता का आरोप है कि बच्चे को भर्ती फिर भी नहीं किया गया। जांच रिपोर्ट तीन दिन बाद आने की कहकर टहला दिया गया।

एसएन में शनिवार दोपहर करीब 12 बजे कोटला की बगीची निवासी से पप्पू अपने सात साल के बेटे कान्हा को लेकर पहुंचे। कान्हा के सिर में चोट लगी थी। बच्चे को लेकर वह भटकते रहे। पर्चा काउंटर और अन्य जगह पूछताछ की, लेकिन कहीं से सही जवाब नहीं मिला। करीब एक घंटा तक भटकने पर भी बच्चे को भर्ती नहीं किया गया तो उन्होंने 112 नंबर डायल कर शिकायत की। सिपाही पहुंचे और जानकारी कर बच्चे के सिर का एमआरआई और अन्य टेस्ट कराए गए। टेस्ट रिपोर्ट तीन दिन में आने की कही गई। 

ये है आरोप

पप्पू का आरोप है कि दो दिन पहले भी अस्पताल आए थे। आज भी बच्चे को भर्ती नहीं किया गया। रिपोर्ट आने तक बच्चे की तबीयत अगर खराब हो जाती है, तो उनके लिए काफी मुश्किल हो जाएगी। एक साल पहले ऐसी ही परिस्थितियों में इलाज नहीं मिलने से उनकी बेटी का देहांत हो चुका है। 

पैसे होते तो यहां नहीं आता

एसएन मेडिकल कॉलेज में अपनी पत्नी के साथ बैठे पप्पू अपनी पीड़ा बताते हुए रो पड़े। आसपास बैठे मरीजों और तीमारदारों ने उनको दिलासा दिया। पप्पू का कहना है कि वह बेलदारी का काम करता है। इतना पैसा नहीं है कि बच्चे को किसी प्राइवेट अस्पताल में ले जाता। यहां उसको इधर से उधर टहलाया जा रहा है। बच्चे को भर्ती नहीं कर रहे। इस बीच मां बच्चे को गोद में लिए उसके सिर पर हाथ फेरती रहीं। 

मरीज को भर्ती करना चाहिए था

एसएन मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने बताया कि मरीज को भर्ती करना चाहिए था। मैं अपने स्तर से इस पूरे मामले को देखूंगा। भविष्य में किसी दूसरे मरीज के साथ ऐसा नहीं हो, इसका भी विशेष ध्यान रखा जाएगा। 

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