High Court Order : कृषि भूमि पर जबरन व्यायामशाला के निर्माण की जांच का निर्देश

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सार

एसडीएम शाहगंज, बीडीओ शाहगंज एव ग्राम सभा सैफपुर व ग्राम प्रधान अशोक कुमार पर आराजी संख्या 434 के बजाय अतिक्रमण कर 378 पर व्यायामशाला बनाने का आरोप है, जबकि आराजी संख्या 434 व्यायामशाला के लिए राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर को याची की भूमिधरी खेती की जमीन की पैमाइश किए बगैर जबरन व्यायामशाला निर्माण की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और 5 जुलाई को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

एसडीएम शाहगंज, बीडीओ शाहगंज एव ग्राम सभा सैफपुर व ग्राम प्रधान अशोक कुमार पर आराजी संख्या 434 के बजाय अतिक्रमण कर 378 पर व्यायामशाला बनाने का आरोप है, जबकि आराजी संख्या 434 व्यायामशाला के लिए राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।

कोर्ट ने एसडीएम व तहसीलदार शाहगंज के उस कथन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिना विभाजन के याची को जमीन का कब्जा वापस नहीं कर सकते। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि यदि दोषी अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई तो उच्च अधिकारियों को तलब किया जायेगा और कोर्ट खुद कार्रवाई करेगी। याचिका की सुनवाई पांच जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिडला तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने निर्मला की याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। उनका कहना था कि आराजी संख्या 378 रकबा 0.158 हेक्टेयर उसकी भूमिधरी जमीन है, जिसका अतिक्रमण कर प्रशासन द्वारा व्यायामशाला का निर्माण कराया जा रहा है। जब कि व्यायामशाला के लिए अलग भूमि निर्धारित है। खड़ी फसल को नुकसान कर एसडीएम के निर्देश पर जेसीबी मशीन से समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है। 

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विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जिलाधिकारी जौनपुर को याची की भूमिधरी खेती की जमीन की पैमाइश किए बगैर जबरन व्यायामशाला निर्माण की जांच कर दोषी अधिकारियों पर कार्रवाई करने का निर्देश दिया है और 5 जुलाई को अनुपालन रिपोर्ट पेश करने का निर्देश दिया है।

एसडीएम शाहगंज, बीडीओ शाहगंज एव ग्राम सभा सैफपुर व ग्राम प्रधान अशोक कुमार पर आराजी संख्या 434 के बजाय अतिक्रमण कर 378 पर व्यायामशाला बनाने का आरोप है, जबकि आराजी संख्या 434 व्यायामशाला के लिए राजस्व अभिलेखों में दर्ज है।

कोर्ट ने एसडीएम व तहसीलदार शाहगंज के उस कथन को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया, जिसमें उन्होंने कहा है कि बिना विभाजन के याची को जमीन का कब्जा वापस नहीं कर सकते। कोर्ट ने जिलाधिकारी से कहा है कि यदि दोषी अधिकारियों पर की गई कार्रवाई से कोर्ट संतुष्ट नहीं हुई तो उच्च अधिकारियों को तलब किया जायेगा और कोर्ट खुद कार्रवाई करेगी। याचिका की सुनवाई पांच जुलाई को होगी। यह आदेश न्यायमूर्ति वी के बिडला तथा न्यायमूर्ति विकास बुधवार की खंडपीठ ने निर्मला की याचिका पर दिया है।

याचिका पर अधिवक्ता आरएन यादव व अभिषेक कुमार यादव ने बहस की। उनका कहना था कि आराजी संख्या 378 रकबा 0.158 हेक्टेयर उसकी भूमिधरी जमीन है, जिसका अतिक्रमण कर प्रशासन द्वारा व्यायामशाला का निर्माण कराया जा रहा है। जब कि व्यायामशाला के लिए अलग भूमि निर्धारित है। खड़ी फसल को नुकसान कर एसडीएम के निर्देश पर जेसीबी मशीन से समतलीकरण का कार्य किया जा रहा है। 

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