Allahabad high court: बगैर जीवन रक्षक उपकरण के कर्मियों से न कराएं नालों की सफाई

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज समेत प्रदेश के अन्य जिलों में बिना मास्क, हैंड ग्लव्स व अन्य जीवन रक्षक उपकरण दिए कर्मचारियों से नालों की सफाई कराने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में निर्देश दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रदेश में ऐसा कहीं न हो। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कायम की गई जनहित याचिका पर पारित किया।

कोर्ट ने इस मामले का तब स्वत: संज्ञान लिया जब मीडिया रिपोर्ट में यह पाया गया कि प्रयागराज में सफाई कर्मचारियों को बिना किसी प्रकार के मास्क अथवा हैंड ग्लव्स दिए नालों में उतार दिया गया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार, नगर निगम को नोटिस जारी कर मामले को सुना। कोर्ट ने कहा कि नालों की सफाई के लिए सरकार की बनी नीतियों व शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रयागराज जैसी घटना उत्तर प्रदेश में कहीं और न हो, यह सरकार सुनिश्चित करे।

इस प्रकार की घटना विचलित करने वाली
प्रदेश सरकार की तरफ  से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल तथा नगर निगम, प्रयागराज की तरफ  से अनूप त्रिवेदी ने पक्ष रखा। कोर्ट के समक्ष कुछ जगहों पर नालों की सफाई के फोटो प्रस्तुत किए गए। इन तस्वीरों में बड़े-बड़े नालों के अंदर सफाई कर्मी घुसकर बिना कोई मास्क, ग्लव्स या अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के काम करते पाए गए। कोर्ट ने इस दृश्य को देखकर कहा कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और इस तरह की घटना मन को दुखी करने वाली है।

प्रदेश सरकार की तरफ  से कहा गया कि सरकार ने नालों की सफाई आदि के लिए एक नीति बना रखी है और उसी के अनुसार कार्य कराया जाता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि उसके द्वारा लिए गए इस प्रकार के निर्णय का अधिकारी पूर्णतया पालन करें ताकि कोई अनहोनी न हो। नगर निगम की तरफ  से अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रतिदिन एक विस्तृत रिपोर्ट नालों की सफाई आदि को लेकर तैयार हो। कोर्ट ने इस याचिका पर पुन: ग्रीष्मावकाश के दौरान छह जून को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज समेत प्रदेश के अन्य जिलों में बिना मास्क, हैंड ग्लव्स व अन्य जीवन रक्षक उपकरण दिए कर्मचारियों से नालों की सफाई कराने को गंभीरता से लिया है। कोर्ट ने इस मामले में निर्देश दिया है कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि प्रदेश में ऐसा कहीं न हो। यह आदेश मुख्य न्यायमूर्ति राजेश बिंदल व न्यायमूर्ति जेजे मुनीर की खंडपीठ ने स्वत: संज्ञान लेते हुए कायम की गई जनहित याचिका पर पारित किया।

कोर्ट ने इस मामले का तब स्वत: संज्ञान लिया जब मीडिया रिपोर्ट में यह पाया गया कि प्रयागराज में सफाई कर्मचारियों को बिना किसी प्रकार के मास्क अथवा हैंड ग्लव्स दिए नालों में उतार दिया गया है। हाईकोर्ट ने प्रदेश सरकार, नगर निगम को नोटिस जारी कर मामले को सुना। कोर्ट ने कहा कि नालों की सफाई के लिए सरकार की बनी नीतियों व शासनादेशों का कड़ाई से अनुपालन सुनिश्चित कराया जाए। कोर्ट ने निर्देश दिया कि प्रयागराज जैसी घटना उत्तर प्रदेश में कहीं और न हो, यह सरकार सुनिश्चित करे।

इस प्रकार की घटना विचलित करने वाली

प्रदेश सरकार की तरफ  से अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल तथा नगर निगम, प्रयागराज की तरफ  से अनूप त्रिवेदी ने पक्ष रखा। कोर्ट के समक्ष कुछ जगहों पर नालों की सफाई के फोटो प्रस्तुत किए गए। इन तस्वीरों में बड़े-बड़े नालों के अंदर सफाई कर्मी घुसकर बिना कोई मास्क, ग्लव्स या अन्य जीवन रक्षक उपकरणों के काम करते पाए गए। कोर्ट ने इस दृश्य को देखकर कहा कि हम 21वीं सदी में जी रहे हैं और इस तरह की घटना मन को दुखी करने वाली है।

प्रदेश सरकार की तरफ  से कहा गया कि सरकार ने नालों की सफाई आदि के लिए एक नीति बना रखी है और उसी के अनुसार कार्य कराया जाता है। कोर्ट ने कहा कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि उसके द्वारा लिए गए इस प्रकार के निर्णय का अधिकारी पूर्णतया पालन करें ताकि कोई अनहोनी न हो। नगर निगम की तरफ  से अधिवक्ता ने कोर्ट को आश्वस्त किया कि वह यह सुनिश्चित करेंगे कि प्रतिदिन एक विस्तृत रिपोर्ट नालों की सफाई आदि को लेकर तैयार हो। कोर्ट ने इस याचिका पर पुन: ग्रीष्मावकाश के दौरान छह जून को सुनवाई करने का निर्देश दिया है।

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