हाईकोर्ट का अहम फैसला : विकल्प न भरना ग्रेच्युटी न देने का आधार नहीं

0
29

[ad_1]

अमर उजाला नेटवर्क, प्रयागराज
Published by: विनोद सिंह
Updated Thu, 30 Jun 2022 01:35 AM IST

ख़बर सुनें

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहायक अध्यापक की 60 साल से पहले मृत्यु होने पर इस आधार पर भी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं रोका जा सकता है कि उसने 60 साल में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं दिया था। कोर्ट ने मामले में सभी याचियों को 6 सप्ताह के भीतर आठ फीसदी की दर से ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिखा शर्मा, मंजू कुमारी सहित 28 याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया।

याची की ओर से तर्क दिया गया कि उनके पति की मृत्यु सेवानिवृत्ति होने से पहले ही हो गई है। उन्होंने सेवा के दौरान विकल्प का चुनाव नहीं किया था। इस आधार पर डीआईओएस ने ग्रेच्युटी के भुगतान करने से मना कर दिया। याचियों ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पाया कि ऐसी बहुत सी याचिकाएं हैं, जिसमें सहायक अध्यापकों ने विकल्प का चुनाव नहीं किया है।

कोर्ट ने कहा कि विकल्प का चुनाव न करना ग्रेच्युटी के भुगतान का आधार नहीं हो सकता। याचियों को उनकी ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को भी रद्द कर दिया और कहा कि शिक्षकों की ग्रेच्युटी 6 सप्ताह के भीतर दे दी जाए। याची मंजू कुमारी की ओर से अधिवक्ता स्वयं जीत शर्मा ने पक्ष रखा था।

यह भी पढ़ें -  Gorakhpur News: साइलेंट किलर शुगर, पूरे शरीर पर डाल रहा असर, जानिए डॉक्टर क्या दे रहे हैं सलाह

विस्तार

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि सहायक अध्यापक की 60 साल से पहले मृत्यु होने पर इस आधार पर भी ग्रेच्युटी का भुगतान नहीं रोका जा सकता है कि उसने 60 साल में सेवानिवृत्त होने का विकल्प नहीं दिया था। कोर्ट ने मामले में सभी याचियों को 6 सप्ताह के भीतर आठ फीसदी की दर से ग्रेच्युटी भुगतान का आदेश दिया। यह आदेश न्यायमूर्ति सिद्धार्थ ने शिखा शर्मा, मंजू कुमारी सहित 28 याचिकाओं की एकसाथ सुनवाई करते हुए दिया।

याची की ओर से तर्क दिया गया कि उनके पति की मृत्यु सेवानिवृत्ति होने से पहले ही हो गई है। उन्होंने सेवा के दौरान विकल्प का चुनाव नहीं किया था। इस आधार पर डीआईओएस ने ग्रेच्युटी के भुगतान करने से मना कर दिया। याचियों ने उसे हाईकोर्ट में चुनौती दी थी। हाईकोर्ट ने पाया कि ऐसी बहुत सी याचिकाएं हैं, जिसमें सहायक अध्यापकों ने विकल्प का चुनाव नहीं किया है।

कोर्ट ने कहा कि विकल्प का चुनाव न करना ग्रेच्युटी के भुगतान का आधार नहीं हो सकता। याचियों को उनकी ग्रेच्युटी का भुगतान किया जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने डीआईओएस के आदेश को भी रद्द कर दिया और कहा कि शिक्षकों की ग्रेच्युटी 6 सप्ताह के भीतर दे दी जाए। याची मंजू कुमारी की ओर से अधिवक्ता स्वयं जीत शर्मा ने पक्ष रखा था।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here