Allahabad High Court :  नाबालिग बच्चों को उसके पिता से लेकर मां को सौंपने का आदेश

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो नाबालिग बच्चों को उनके पिता से लेकर मां को सौंप दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उसका यह आदेश गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के आदेश के अंतर्गत रहेगा। यह आदेश लालिमा पांडेय की याचिका पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद वेज मियां की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता नीरज तिवारी और सरकारी अधिवक्ता मंजू ठाकुर के तर्कों को सुनने के बाद दिया। 

मामले में कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में बच्चों को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। याची भी कोर्ट में मौजूद थी। याची की ओर से तर्क दिया गया कि उसके पति प्रसून द्विवेदी के साथ बेहतर संबंध नहीं हैं। उसने वैवाहिक विच्छेद की याचिका भी दाखिल कर रखी है। बच्चों को अपने पास रखने के लिए गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी के पास मामला विचाराधीन है।

याची की ओर से कहा गया कि उसे उसके बच्चों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। जब वह अपने बच्चों से मिलने गई तो उसे भगा दिया गया। उसकी बेटी डेढ़ साल की है और बेटा साढे 3 साल का है। दोनों नाबालिग हैं, इसलिए उन्हें सौंप दिया जाए। जबकि प्रतिवादी की ओर से कहा गया याची सिद्धार्थनगर में बतौर लेखपाल तैनात है।

वह बच्चों की देखभाल नहीं कर सकती है। जबकि प्रतिवादी सीडीए पेंशन में प्रयागराज में ही तैनात है और वह बच्चों की उचित देखभाल कर सकेगा। कोर्ट ने स्थितियों को देखते हुए दोनों बच्चों को मां को सौंपने का आदेश दिया इसके साथ ही कहा कि उसका यह आदेश गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत दाखिल अर्जी पर चल रही सुनवाई के अधीन होगा।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दो नाबालिग बच्चों को उनके पिता से लेकर मां को सौंप दिया है। कोर्ट ने कहा है कि उसका यह आदेश गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के आदेश के अंतर्गत रहेगा। यह आदेश लालिमा पांडेय की याचिका पर न्यायमूर्ति अंजनी कुमार मिश्रा और न्यायमूर्ति सैयद वेज मियां की खंडपीठ ने याची के अधिवक्ता नीरज तिवारी और सरकारी अधिवक्ता मंजू ठाकुर के तर्कों को सुनने के बाद दिया। 

मामले में कोर्ट ने अपनी पिछली सुनवाई में बच्चों को कोर्ट में पेश करने का आदेश दिया था। याची भी कोर्ट में मौजूद थी। याची की ओर से तर्क दिया गया कि उसके पति प्रसून द्विवेदी के साथ बेहतर संबंध नहीं हैं। उसने वैवाहिक विच्छेद की याचिका भी दाखिल कर रखी है। बच्चों को अपने पास रखने के लिए गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत सक्षम अधिकारी के पास मामला विचाराधीन है।

याची की ओर से कहा गया कि उसे उसके बच्चों से मिलने नहीं दिया जा रहा है। जब वह अपने बच्चों से मिलने गई तो उसे भगा दिया गया। उसकी बेटी डेढ़ साल की है और बेटा साढे 3 साल का है। दोनों नाबालिग हैं, इसलिए उन्हें सौंप दिया जाए। जबकि प्रतिवादी की ओर से कहा गया याची सिद्धार्थनगर में बतौर लेखपाल तैनात है।

वह बच्चों की देखभाल नहीं कर सकती है। जबकि प्रतिवादी सीडीए पेंशन में प्रयागराज में ही तैनात है और वह बच्चों की उचित देखभाल कर सकेगा। कोर्ट ने स्थितियों को देखते हुए दोनों बच्चों को मां को सौंपने का आदेश दिया इसके साथ ही कहा कि उसका यह आदेश गार्जियन एंड वार्ड्स एक्ट के तहत दाखिल अर्जी पर चल रही सुनवाई के अधीन होगा।

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