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उन्नाव। छह साल पहले स्वीकृत हुए दोस्तीनगर बाईपास के निर्माण में फिर रोड़ा अटक गया है। निर्माण के दायरे में वन विभाग की भूमि आ रही है। विभाग ने इसके बदले पीडब्ल्यूडी द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि को लेने से इन्कार कर दिया है। ऐसे में शहर के लोगों को फिलहाल जाम की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
हरदोई मार्ग स्थित अग्निशमन प्रशिक्षण केंद्र से लखनऊ-कानपुर हाईवे स्थित दही चौकी चौराहे तक 9.5 किलोमीटर लंबा बाईपास बनाने की घोषणा 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी। इसके लिए सरकार ने 43.32 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया था। 2019 में पहली किस्त के रूप में 1.25 करोड़ रुपये जारी हुए थे।
हालांकि परियोजना अमलीजामा पहनती उससे पहले वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंस गया। निर्माण में वन विभाग की 7.5 हेक्टेयर जमीन आड़े आ रही थी। प्रशासन ने वन विभाग को देने के लिए बांगरमऊ तहसील के रानीपुर ग्रंट गांव में 7.5 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की थी लेकिन ये गंगा एक्सप्रेसवे में चली गई। पिछले माह पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के पत्राचार के बाद तहसीलदार पुरवा ने एडीएम (न्यायिक) को पत्र भेजकर मौरावां के असरीखेड़ा में 8.08 हेक्टेयर नवीन परती भूमि होने की जानकारी दी थी। अब वन विभाग ने इस भूमि को पौधरोपण के लिए सही नहीं बताकर लेने से इन्कार कर दिया। इससे बाईपास निर्माण की उम्मीद फिर धूमिल हो गई।
अक्सर दुर्घटनाएं होतीं और लगता जाम
बाईपास न बनने से प्रतिदिन करीब पांच हजार वाहन अग्निशमन प्रशिक्षण महाविद्यालय दोस्तीनगर के सामने से शहर के मोहल्ला दरोगाबाग, बाबूगंज पुल, मोतीनगर और आवास विकास कालोनी होकर लखनऊ-कानपुर हाईवे आते-जाते हैं। शहर के अंदर से आवागमन होने के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं और जाम भी लगता है।
मौरावां के असरीखेड़ा में चिह्नित जमीन को वन विभाग ने लेने से इन्कार कर दिया है। एडीएम नरेंद्र सिंह से दूसरी जगह भूमि चिह्नित करने के लिए बात की गई है। – हरदयाल अहरवार, एक्सईएन प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी।
उन्नाव। छह साल पहले स्वीकृत हुए दोस्तीनगर बाईपास के निर्माण में फिर रोड़ा अटक गया है। निर्माण के दायरे में वन विभाग की भूमि आ रही है। विभाग ने इसके बदले पीडब्ल्यूडी द्वारा उपलब्ध कराई गई भूमि को लेने से इन्कार कर दिया है। ऐसे में शहर के लोगों को फिलहाल जाम की समस्या से राहत मिलने की उम्मीद नहीं है।
हरदोई मार्ग स्थित अग्निशमन प्रशिक्षण केंद्र से लखनऊ-कानपुर हाईवे स्थित दही चौकी चौराहे तक 9.5 किलोमीटर लंबा बाईपास बनाने की घोषणा 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने की थी। इसके लिए सरकार ने 43.32 करोड़ का बजट भी स्वीकृत कर दिया था। 2019 में पहली किस्त के रूप में 1.25 करोड़ रुपये जारी हुए थे।
हालांकि परियोजना अमलीजामा पहनती उससे पहले वन विभाग की जमीन का रोड़ा फंस गया। निर्माण में वन विभाग की 7.5 हेक्टेयर जमीन आड़े आ रही थी। प्रशासन ने वन विभाग को देने के लिए बांगरमऊ तहसील के रानीपुर ग्रंट गांव में 7.5 हेक्टेयर जमीन चिह्नित की थी लेकिन ये गंगा एक्सप्रेसवे में चली गई। पिछले माह पीडब्ल्यूडी के अधिकारियों के पत्राचार के बाद तहसीलदार पुरवा ने एडीएम (न्यायिक) को पत्र भेजकर मौरावां के असरीखेड़ा में 8.08 हेक्टेयर नवीन परती भूमि होने की जानकारी दी थी। अब वन विभाग ने इस भूमि को पौधरोपण के लिए सही नहीं बताकर लेने से इन्कार कर दिया। इससे बाईपास निर्माण की उम्मीद फिर धूमिल हो गई।
अक्सर दुर्घटनाएं होतीं और लगता जाम
बाईपास न बनने से प्रतिदिन करीब पांच हजार वाहन अग्निशमन प्रशिक्षण महाविद्यालय दोस्तीनगर के सामने से शहर के मोहल्ला दरोगाबाग, बाबूगंज पुल, मोतीनगर और आवास विकास कालोनी होकर लखनऊ-कानपुर हाईवे आते-जाते हैं। शहर के अंदर से आवागमन होने के कारण अक्सर दुर्घटनाएं होती हैं और जाम भी लगता है।
मौरावां के असरीखेड़ा में चिह्नित जमीन को वन विभाग ने लेने से इन्कार कर दिया है। एडीएम नरेंद्र सिंह से दूसरी जगह भूमि चिह्नित करने के लिए बात की गई है। – हरदयाल अहरवार, एक्सईएन प्रांतीय खंड पीडब्ल्यूडी।
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