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सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह की राज्यसभा की सदस्यता रविवार को खत्म हो चुकी है। अब उनके अगले कदम का इंतजार है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति नाराजगी तथा पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच रेवती रमण सिंह के सामने खुद के सियासी सफर के साथ बेटे उज्जवल रमण सिंह के लिए भी जमीन तैयार करने की चुनौती होगी।
रेवती रमण का यमुनापार की सियासत में चार दशक से मजबूत हस्तक्षेप रहा है। उनके पुत्र उज्जवल रमण सिंह भी करछना से दो बार विधायक रह चुके हैं। इसी मजबूत जनाधार के आधार पर वह पार्टी के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे लेकिन अब उनके सियासी सफर को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र उज्जवल को हार मिली थी। वहीं रेवती रमण सिंह की राज्यसभा की सदस्यता भी रविवार को समाप्त हो गई लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा उम्मीदवार नहीं बनाया।
इस पर वह शीर्ष नेतृत्व से नाराजगी जता चुके हैं। अब उनके पार्टी छोड़ने की चर्चा भी है। यह भी कहा जा रहा है कि वह भाजपा में अपनी नई पारी की शुरू कर सकते हैं। विधानसभा चुनाव से पहले भी इस तरह की चर्चा रही तथा उन्होंने भाजपा के वरिष्ठ नेताओं से बात की थी। ऐसे में अब राज्यसभा का उनका कार्यकाल खत्म होने के बाद इस तरह की चर्चा फिर शुरू हो गई है। हालांकि, उन्होंने अपने पत्ते अभी नहीं खोले हैं।
उनका सिर्फ इतना कहना है कि समर्थकों की राय जानने के बाद ही वह कोई कदम उठाएंगे। हालांकि, भाजपा में रेवती रमण एवं उज्जवल रमण का किस तरह से स्वागत होगा यह सांसद डॉ.रीता बहुगुणा जोशी, केशरी देवी पटेल समेत यमुनापार के भाजपा के अन्य वरिष्ठ नेताओं के रुख से तय होगा।
नगर निकाय से पहले संगठन में जगह के लिए जोड़तोड़ शुरू
संगठन में जगह बनाने के लिए सपा में जोड़तोड़ शुरू हो गई है। विधानसभा चुनाव के नतीजों की समीक्षा के बाद पार्टी ने सभी इकाइयों को भंग कर दिया है। चूंकि, इसी वर्ष अक्तूबर-नवंबर में नगर निकाय चुनाव संभावित है। इसे देखते हुए एक महीने के भीतर सभी इकाइयों के गठन की बात भी कही जा रही है। पार्टी के एक परिष्ठ नेता का कहना है कि इसके लिए स्थानीय स्तर के नेताओं के बायोडाटा एवं क्षेत्र में सक्रियता की बाबत रिपोर्ट तैयार की जा रही। इस कवायद के बीच कई नेताओं ने सक्रियता बढ़ा दी है। पिछली कार्यकारिणी में महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाने वाले एक नेता ने तो लखनऊ में डेरा डाल रखा है। कई अन्य कार्यकर्ता भी अपने-अपने हितैषी नेताओं के संपर्क में हैं।
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सपा के वरिष्ठ नेता रेवती रमण सिंह की राज्यसभा की सदस्यता रविवार को खत्म हो चुकी है। अब उनके अगले कदम का इंतजार है। पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष के प्रति नाराजगी तथा पार्टी छोड़ने की अटकलों के बीच रेवती रमण सिंह के सामने खुद के सियासी सफर के साथ बेटे उज्जवल रमण सिंह के लिए भी जमीन तैयार करने की चुनौती होगी।
रेवती रमण का यमुनापार की सियासत में चार दशक से मजबूत हस्तक्षेप रहा है। उनके पुत्र उज्जवल रमण सिंह भी करछना से दो बार विधायक रह चुके हैं। इसी मजबूत जनाधार के आधार पर वह पार्टी के शीर्ष नेताओं में शामिल रहे लेकिन अब उनके सियासी सफर को लेकर कई तरह की चर्चाएं शुरू हो गई हैं। विधानसभा चुनाव में उनके पुत्र उज्जवल को हार मिली थी। वहीं रेवती रमण सिंह की राज्यसभा की सदस्यता भी रविवार को समाप्त हो गई लेकिन पार्टी ने उन्हें दोबारा उम्मीदवार नहीं बनाया।
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