Health: समझ रहे थे मर्दाना कमजोरी, काउंसिलिंग की डोज से ठीक हो गया मरीजों का मर्ज, पढ़ें ये रिपोर्ट

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वैवाहिक संबंध में असफल हुए तो मन में मर्दाना कमजोरी की बात घर गई। झिझक के चलते किसी से हालात साझा नहीं किए और साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार हो गए। स्थिति गंभीर बनी तो चिकित्सक को दिखाया। जांच में कोई शारीरिक कमजोरी नहीं मिली। मनोदशा समझ चिकित्सक ने काउंसिलिंग की। 85 फीसदी मरीज पूरी तरह से ठीक भी हुए।

आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि ओपीडी में महीनेभर में औसतन 7500 मरीज आए। इनमें से 309 (4.12 फीसदी) मरीज साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर के मिले। इनमें से 90 फीसदी मरीजों की उम्र 20 से 35 साल रही। संबंध स्थापित होने में सफलता नहीं मिलने से तनाव बढ़ा। आठ से 10 मरीज अवसाद में भी चले गए। इनमें से दो से तीन ने तो आत्महत्या की कोशिश भी की। 

इन मरीजों में तीन से चार बार के फॉलोअप में काउंसिलिंग का असर हुआ। 263 मरीजों में मर्दाना कमजोरी नहीं थी, लेकिन दांपत्य जीवन का आनंद न ले पाने से दिमाग में टेस्टोस्टेरॉन और एंडोर्फिन हार्मोंस का स्राव कम होने से समस्या रही। इनमें से 18 फीसदी मरीजों में तनाव कम करने की दवा से समस्या खत्म हो गई। उन्होंने बताया कि 309 में से 46 मरीजों में मधुमेह, टीबी, हृदय रोग, मोटापा, नशाखोरी समेत अन्य वजह मिली। इनकी उम्र 50 साल से अधिक की रही।

असफलता की आशंका से विकार

वरिष्ठ यूरोलॉजिस्ट एंड एंड्रोलॉजिस्ट डॉ. अरुण तिवारी ने बताया कि साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर की बड़ी वजह असफलता का भय (परफोर्मेंस एंजाइटी) है। युवा को अपने साथी की उपेक्षाओं पर खरा न उतरने की तीव्र चिंता रहती है। इससे असामान्य स्थिति बन जाती है। ओपीडी में 10-12 मरीज आते हैं। इनमें किसी तरह की शारीरिक कमजोरी प्रतीत नहीं होती। मानसिक रोग विशेषज्ञों से काउंसिलिंग की सलाह देते हैं। 

भ्रांतियों से भी युवाओं में दिक्कत 

वरिष्ठ मनोचिकित्सक डॉ. केसी गुरनानी ने बताया कि भ्रामक विज्ञापन और भ्रांतियों से युवा साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर का शिकार हो जाता है। मेरी ओपीडी में 12-15 मरीज ऐसे आते हैं, जो इन भ्रांतियों के कारण दांपत्य जीवन नहीं जी पा रहे। इनमें से 60 फीसदी मरीज तो नीम-हकीम से इलाज के बाद आते हैं।

केस 1: तीन बार की काउंसिलिंग से लाभ

दयालबाग निवासी 29 साल का युवक फाइनेंस कंपनी में कार्य करता है। दांपत्य जीवन में सफल न होने के बाद चिकित्सक को दिखाया। युवक बेहद तनाव में मिला। मनोदशा बिगड़ी थी। कार्य भी प्रभावित हो रहा था। चिकित्सक की तीन बार काउंसिलिंग के बाद तनाव की समस्या कम हुई तो दांपत्य जीवन में सुधार हुआ।

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केस 2: तनाव कम करने की दवा दी गई

शहीद नगर के 31 वर्षीय युवक तनाव में रहता था। पत्नी के पास जाने से भी बचता। स्थिति गंभीर होने पर परिचित उसे लेकर चिकित्सक के पास गया। मर्दाना कमजोरी नहीं मिली, तनाव कम करने की दवा और काउंसिलिंग के असर से दांपत्य जीवन सुखद हुआ। 

परिवार परामर्श में 3-5 मामले

परिवार परामर्श केंद्र प्रभारी कमर सुल्ताना ने बताया कि हर रविवार को पारिवारिक कलह के 50-60 मामले आते हैं। इसमें से तीन से पांच मामले में झगड़े और परिवार टूटने की वजह वैवाहिक जीवन से असंतुष्ट होना मिला है। महिला से पूछने पर असल वजह पता चलने पर पुरुष को मानसिक रोग विशेषज्ञों से परामर्श के लिए भेजते हैं।  

ये करें

– पर्याप्त नींद लें और पसंदीदा संगीत सुनें।
– तंबाकू का सेवन न करें, नशाखोरी न करें।
– साइकिल चलाएं, वजन न बढ़ने दें।
– पैदल चलें, दौड़ लगाएं, फिटनेस अच्छी रखें।
– योग करें-ध्यान लगाएं, तनाव कतई न लें।
– भ्रामक विज्ञापनों से बचें, पूर्वाग्रह न पालें।
– किसी शंका पर विशेषज्ञ चिकित्सक से परामर्श लें।
– डॉक्टर की सलाह के बिना दवाएं नहीं लें।

विस्तार

वैवाहिक संबंध में असफल हुए तो मन में मर्दाना कमजोरी की बात घर गई। झिझक के चलते किसी से हालात साझा नहीं किए और साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर के शिकार हो गए। स्थिति गंभीर बनी तो चिकित्सक को दिखाया। जांच में कोई शारीरिक कमजोरी नहीं मिली। मनोदशा समझ चिकित्सक ने काउंसिलिंग की। 85 फीसदी मरीज पूरी तरह से ठीक भी हुए।

आगरा के मानसिक स्वास्थ्य संस्थान एवं चिकित्सालय के प्रमुख अधीक्षक डॉ. दिनेश राठौर ने बताया कि ओपीडी में महीनेभर में औसतन 7500 मरीज आए। इनमें से 309 (4.12 फीसदी) मरीज साइको सेक्सुअल डिसऑर्डर के मिले। इनमें से 90 फीसदी मरीजों की उम्र 20 से 35 साल रही। संबंध स्थापित होने में सफलता नहीं मिलने से तनाव बढ़ा। आठ से 10 मरीज अवसाद में भी चले गए। इनमें से दो से तीन ने तो आत्महत्या की कोशिश भी की। 

इन मरीजों में तीन से चार बार के फॉलोअप में काउंसिलिंग का असर हुआ। 263 मरीजों में मर्दाना कमजोरी नहीं थी, लेकिन दांपत्य जीवन का आनंद न ले पाने से दिमाग में टेस्टोस्टेरॉन और एंडोर्फिन हार्मोंस का स्राव कम होने से समस्या रही। इनमें से 18 फीसदी मरीजों में तनाव कम करने की दवा से समस्या खत्म हो गई। उन्होंने बताया कि 309 में से 46 मरीजों में मधुमेह, टीबी, हृदय रोग, मोटापा, नशाखोरी समेत अन्य वजह मिली। इनकी उम्र 50 साल से अधिक की रही।

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