इलाहाबाद हाईकोर्ट : गायब युवती के मामले में हाईकोर्ट ने पुलिस को दिया एक और मौका

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के थाना कल्याणपुर अंतर्गत गायब हुई युवती के मामले में पुलिस को एक और अवसर देते हुए उसे पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा है कि यह पुलिस के लिए अंतिम अवसर होगा। मामले की सुनवाई के दौरान प्रयागराज के आईजी, सीओ जफरगंज सहित कई अन्य पुलिस अफसर पेश हुए। कोर्ट ने गायब युवती को पेश न कर पाने की वजह से पुलिस अफसरों पर नाराजगी जताई और कहा कि क्यों न मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया जाए।

इस पर सरकारी अधिवक्ता ने एक और अवसर देने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तिथि तय की। कहा कि अगली सुनवाई पर भी आईजी प्रयागराज संबंधित पुलिस अफसर मौजूद रहेंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने कलावती व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

पुलिस अफसरों की कार्यशैली पर कोर्ट ने जताई नाराजगी
कोर्ट ने एसपी फतेहपुर के हलफनामे पर आपत्ति जताई। कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी मामले को सात लाख रुपये में समझौता कराकर रफा-दफा करना चाहते हैं। जबकि, पुलिस का यह भी मानना है कि युवती प्रतिवादी के साथ है। इसके बावजूद पुलिस उसे ढूंढ़ नहीं पा रही है। कोर्ट ने सुनवाई केदौरान पुलिस अफसरों की अलग-अलग कहानियों पर भी नाराजगी जताई। मामले में याची की ओर से अपने बेटी के गायब होने का आरोप प्रतिवादियों पर लगाया गया है। उसने कहा है कि पुलिस अधिकारी और एससीएसटी आयोग तक शिकायत करने के बावजूद उसकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसलिए मजबूर होकर उसने यह याचिका दाखिल की है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने फतेहपुर के थाना कल्याणपुर अंतर्गत गायब हुई युवती के मामले में पुलिस को एक और अवसर देते हुए उसे पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने कहा है कि यह पुलिस के लिए अंतिम अवसर होगा। मामले की सुनवाई के दौरान प्रयागराज के आईजी, सीओ जफरगंज सहित कई अन्य पुलिस अफसर पेश हुए। कोर्ट ने गायब युवती को पेश न कर पाने की वजह से पुलिस अफसरों पर नाराजगी जताई और कहा कि क्यों न मामले को सीबीआई को स्थानांतरित कर दिया जाए।

इस पर सरकारी अधिवक्ता ने एक और अवसर देने की अनुमति मांगी। कोर्ट ने अंतिम अवसर देते हुए मामले की सुनवाई के लिए 19 जुलाई की तिथि तय की। कहा कि अगली सुनवाई पर भी आईजी प्रयागराज संबंधित पुलिस अफसर मौजूद रहेंगे। यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने कलावती व अन्य की बंदी प्रत्यक्षीकरण की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया है।

पुलिस अफसरों की कार्यशैली पर कोर्ट ने जताई नाराजगी

कोर्ट ने एसपी फतेहपुर के हलफनामे पर आपत्ति जताई। कहा कि ऐसा लगता है कि पुलिस अधिकारी मामले को सात लाख रुपये में समझौता कराकर रफा-दफा करना चाहते हैं। जबकि, पुलिस का यह भी मानना है कि युवती प्रतिवादी के साथ है। इसके बावजूद पुलिस उसे ढूंढ़ नहीं पा रही है। कोर्ट ने सुनवाई केदौरान पुलिस अफसरों की अलग-अलग कहानियों पर भी नाराजगी जताई। मामले में याची की ओर से अपने बेटी के गायब होने का आरोप प्रतिवादियों पर लगाया गया है। उसने कहा है कि पुलिस अधिकारी और एससीएसटी आयोग तक शिकायत करने के बावजूद उसकी एफआईआर दर्ज नहीं हुई। इसलिए मजबूर होकर उसने यह याचिका दाखिल की है।

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