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उन्नाव। पर्यावरण शिक्षण केंद्र लखनऊ व विप्रो फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में चलाए जा रहे अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र कार्यक्रम के तहत डायट में कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसका उद्देश्य जल, जैव विविधता संरक्षण व कचरे के उचित निस्तारण के लिए स्कूली बच्चों को शिक्षकों के माध्यम से संवेदनशील बनाना है।
कार्यशाला में 13 कस्तूरबा स्कूलों की वार्डन व 65 शिक्षक शामिल हुए। बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि हम सभी को जल संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। पर्यावरण शिक्षण केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक नीरज कुमार पाल, परियोजना समन्वयक जितेंद्र पटेल ने जल संकट पर चिंता जताई। बताया कि पृथ्वी पर उपलब्ध जल का केवल तीन प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। हमें जल के व्यय को कम करना होगा। वर्षा जल संरक्षण के तरीकों पर भी चर्चा की। कार्यक्रम में डायट प्राचार्य राजेश शाही, जिला समन्वयक प्रशिक्षण रामजी, बालिका डीसी रामप्रकाश मिश्रा मौजूद रहे।
उन्नाव। पर्यावरण शिक्षण केंद्र लखनऊ व विप्रो फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में चलाए जा रहे अर्थियन एवं पर्यावरण मित्र कार्यक्रम के तहत डायट में कार्यशाला का आयोजन हुआ। इसका उद्देश्य जल, जैव विविधता संरक्षण व कचरे के उचित निस्तारण के लिए स्कूली बच्चों को शिक्षकों के माध्यम से संवेदनशील बनाना है।
कार्यशाला में 13 कस्तूरबा स्कूलों की वार्डन व 65 शिक्षक शामिल हुए। बीएसए संजय तिवारी ने बताया कि हम सभी को जल संरक्षण पर ध्यान देने की जरूरत है। पर्यावरण शिक्षण केंद्र के कार्यक्रम समन्वयक नीरज कुमार पाल, परियोजना समन्वयक जितेंद्र पटेल ने जल संकट पर चिंता जताई। बताया कि पृथ्वी पर उपलब्ध जल का केवल तीन प्रतिशत पानी ही पीने योग्य है। हमें जल के व्यय को कम करना होगा। वर्षा जल संरक्षण के तरीकों पर भी चर्चा की। कार्यक्रम में डायट प्राचार्य राजेश शाही, जिला समन्वयक प्रशिक्षण रामजी, बालिका डीसी रामप्रकाश मिश्रा मौजूद रहे।
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