Kanpur: आईआईटी ने रोबोट के लिए बनाईं कृत्रिम मांसपेशियां, जानिए इंसानों के लिए कैसे होगा उपयोगी?

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देश में विकसित रोबोट भारी-भरकम सामान नहीं उठा पाते हैं। इस समस्या का हल आईआईटी के वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। वैज्ञानिकों ने रोबोट के लिए विशेष जैव प्रेरित कृत्रिम मांसपेशी विकसित की है। इस मांसपेशी का प्रयोग इंसानों के लिए कृत्रिम हाथ बनाने में भी किया जा सकेगा।

आईआईटी में स्मार्ट मैटेरियल्स, स्ट्रक्चर्स एंड सिस्टम (एसएमएसएस) लैब में प्रो. बिशाख भट्टाचार्या की देखरेख में सीनियर प्रोजेक्ट मैकेनिक अभिषेक कुमार सिंह और सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर कन्हैया लाल चौरसिया ने कृत्रिम मांसपेशी विकसित की है। प्रो. बिशाख ने कहा कि भार का 70 फीसदी हिस्सा मांसपेशी के दम पर उठता है।

इंसान इन्हीं मांसपेशियों के बल पर हाथ हल्के होने के बावजूद भारी सामान उठा पाता है। इसी पद्धति का प्रयोग कर मांसपेशी विकसित की है। अब संस्थान इच्छुक कंपनी को यह तकनीक दे देगा ताकि बाजार में कृत्रिम मांसपेशी आ सकें। संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि कृत्रिम मांसपेशी मिश्र धातु से बनी जैव प्रेरित है।

यह कृत्रिम अंगों की लागत भी काफी कम कर देगी। इससे एमआरआई स्कैनर, सीटी स्कैनर और सर्जिकल रोबोट भारी सामान उठा सकेंगे। बड़े-बड़े भवनों में निर्माण सामग्री, जहाज से कंटेनर आदि उठाने वाले रोबोट इस मांसपेशी से ज्यादा भार उठा पाएंगे। इस मांसपेशी से फाइबर बल को माइक्रो स्तरीय मांसपेशी बल के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे पांच से छह गुना उच्च बल उठाने की क्षमता मिल सकेगी।  

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देश में विकसित रोबोट भारी-भरकम सामान नहीं उठा पाते हैं। इस समस्या का हल आईआईटी के वैज्ञानिकों ने खोज लिया है। वैज्ञानिकों ने रोबोट के लिए विशेष जैव प्रेरित कृत्रिम मांसपेशी विकसित की है। इस मांसपेशी का प्रयोग इंसानों के लिए कृत्रिम हाथ बनाने में भी किया जा सकेगा।

आईआईटी में स्मार्ट मैटेरियल्स, स्ट्रक्चर्स एंड सिस्टम (एसएमएसएस) लैब में प्रो. बिशाख भट्टाचार्या की देखरेख में सीनियर प्रोजेक्ट मैकेनिक अभिषेक कुमार सिंह और सीनियर प्रोजेक्ट इंजीनियर कन्हैया लाल चौरसिया ने कृत्रिम मांसपेशी विकसित की है। प्रो. बिशाख ने कहा कि भार का 70 फीसदी हिस्सा मांसपेशी के दम पर उठता है।

इंसान इन्हीं मांसपेशियों के बल पर हाथ हल्के होने के बावजूद भारी सामान उठा पाता है। इसी पद्धति का प्रयोग कर मांसपेशी विकसित की है। अब संस्थान इच्छुक कंपनी को यह तकनीक दे देगा ताकि बाजार में कृत्रिम मांसपेशी आ सकें। संस्थान के निदेशक प्रो. अभय करंदीकर ने कहा कि कृत्रिम मांसपेशी मिश्र धातु से बनी जैव प्रेरित है।

यह कृत्रिम अंगों की लागत भी काफी कम कर देगी। इससे एमआरआई स्कैनर, सीटी स्कैनर और सर्जिकल रोबोट भारी सामान उठा सकेंगे। बड़े-बड़े भवनों में निर्माण सामग्री, जहाज से कंटेनर आदि उठाने वाले रोबोट इस मांसपेशी से ज्यादा भार उठा पाएंगे। इस मांसपेशी से फाइबर बल को माइक्रो स्तरीय मांसपेशी बल के साथ जोड़ा जा सकता है, जिससे पांच से छह गुना उच्च बल उठाने की क्षमता मिल सकेगी।  

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