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उन्नाव। लखनऊ से कानपुर के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेसवे के निर्माण ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। एक्सप्रेसवे जिले के 32 गांवों से होकर निकलेगा। इन गांवों के छह हजार किसानों की अधिग्रहीत 380 हेक्टेअर भूमि पर खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ज्यादातर किसानों को अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा मिला चुका है। बाकी को भुगतान की प्रक्रिया चल रही है।
जिले में लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे (एनई-6) छह लेन का होगा। एक्सप्रेसवे के दायरे में पहले जिले के 29 गांव आ रहे थे। फिर जब भूमि का रेखाकंन शुरू हुआ तो तीन गांव और बढ़ गए। इनमें आटा, करौंदी व कोरारीकला नए गांव शामिल हुए। इसके बाद कुल 32 गांवों में भूमि अधिग्रहण किया गया। भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने के बाद अब जल्द ही निर्माण शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी कारण प्रशासन ने अधिग्रहीत जमीन पर किसी भी प्रकार की फसल की बुआई पर रोक लगा दी है।
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे छह लेन का बनाया जाएगा लेकिन इसकी डिजाइन आठ लेन के हिसाब से तैयार की गई है। एक्सप्रेसवे से लखनऊ आना व जाना आसान हो जाएगा। अभी तक इस रास्ते में सफर करने में एक से डेढ़ घंटे लग जाते हैं। इस एक्सप्रेसवे के बनने पर मात्र 45 मिनट में ही कानपुर से लखनऊ पहुंचा जा सकेगा।
इन गांवों की जमीन हुई है अधिग्रहीत
-हसनगंज तहसील के हिनौरा, हसनापुर, बजेहरा
-पुरवा तहसील के तूरीछविनाथ, रायपुर, मैदपुर, मनिकापुर, तूरीराजासाहब, बछौरा, सरइया, कांथा, कुदिकापुर, बीकामऊ, सहरावां, काशीपुर
-सदर तहसील के मोहिद्दीनपुर, बेहटा, अमरसस, शिवपुरग्रंट, बंथर, जगेथा, नेवरना, कड़ेर, पतारी, आंटा, कोरारीकला, करौंदी, गौरीशंकरपुर ग्रंट, पाठकपुर, जरगांव, तौरा व अड़ेरुवा।
एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना है। इसलिए अर्जित की गई भूमि पर खरीफ की फसल बोने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसानों से कहा है कि वह अर्जित भूमि पर फसल न बोएं।
-रामसकल मौर्य, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी
उन्नाव। लखनऊ से कानपुर के बीच प्रस्तावित एक्सप्रेसवे के निर्माण ने रफ्तार पकड़नी शुरू कर दी है। एक्सप्रेसवे जिले के 32 गांवों से होकर निकलेगा। इन गांवों के छह हजार किसानों की अधिग्रहीत 380 हेक्टेअर भूमि पर खेती करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। ज्यादातर किसानों को अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा मिला चुका है। बाकी को भुगतान की प्रक्रिया चल रही है।
जिले में लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे (एनई-6) छह लेन का होगा। एक्सप्रेसवे के दायरे में पहले जिले के 29 गांव आ रहे थे। फिर जब भूमि का रेखाकंन शुरू हुआ तो तीन गांव और बढ़ गए। इनमें आटा, करौंदी व कोरारीकला नए गांव शामिल हुए। इसके बाद कुल 32 गांवों में भूमि अधिग्रहण किया गया। भूमि अधिग्रहण का काम पूरा होने के बाद अब जल्द ही निर्माण शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है। इसी कारण प्रशासन ने अधिग्रहीत जमीन पर किसी भी प्रकार की फसल की बुआई पर रोक लगा दी है।
लखनऊ-कानपुर एक्सप्रेसवे छह लेन का बनाया जाएगा लेकिन इसकी डिजाइन आठ लेन के हिसाब से तैयार की गई है। एक्सप्रेसवे से लखनऊ आना व जाना आसान हो जाएगा। अभी तक इस रास्ते में सफर करने में एक से डेढ़ घंटे लग जाते हैं। इस एक्सप्रेसवे के बनने पर मात्र 45 मिनट में ही कानपुर से लखनऊ पहुंचा जा सकेगा।
इन गांवों की जमीन हुई है अधिग्रहीत
-हसनगंज तहसील के हिनौरा, हसनापुर, बजेहरा
-पुरवा तहसील के तूरीछविनाथ, रायपुर, मैदपुर, मनिकापुर, तूरीराजासाहब, बछौरा, सरइया, कांथा, कुदिकापुर, बीकामऊ, सहरावां, काशीपुर
-सदर तहसील के मोहिद्दीनपुर, बेहटा, अमरसस, शिवपुरग्रंट, बंथर, जगेथा, नेवरना, कड़ेर, पतारी, आंटा, कोरारीकला, करौंदी, गौरीशंकरपुर ग्रंट, पाठकपुर, जरगांव, तौरा व अड़ेरुवा।
एक्सप्रेसवे का निर्माण कार्य जल्द शुरू होना है। इसलिए अर्जित की गई भूमि पर खरीफ की फसल बोने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। किसानों से कहा है कि वह अर्जित भूमि पर फसल न बोएं।
-रामसकल मौर्य, विशेष भूमि अध्याप्ति अधिकारी
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