प्रकृति संरक्षण के लिए त्यागे प्राण: राजस्थान में महंत के आत्मदाह के बाद गरमाई राजनीति, सांसद ने लगाए ये आरोप

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प्राकृतिक संरक्षण के लिए धरने पर बैठे संत की आत्मदाह से मौत के बाद अब उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति गरमा गई है। राजस्थान के अलवर से भाजपा के सांसद ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भूमाफिया, खनन माफियाओं को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। सांसद ने कहा कि राजस्थान सरकार ने पसोपा में महंत विजय राघव दास का अंतिम संस्कार करने पर रोक दिया है। ब्रज के संत, संत परंपरा से महंत का राजस्थान के विमलकुंड में स्नान के उपरांत अंतिम संस्कार करेंगे।
जानकारी के अनुसार राजस्थान के भरतपुर स्थित पसोपा गांव के एक प्राचीन आश्रम के महंत विजय राघव दास प्राकृतिक पर्वतीय क्षेत्र के संरक्षण के लिए खनन माफियाओं के खिलाफ धरने पर बैठे थे। 18 जुलाई को महंत विजय राघव दास ने भरतपुर जिला प्रशासन को आत्मदाह की चेतावनी दी थी। वहां के प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, नतीजतन 20 जुलाई को मंहत ने अपने आप को धरने के दौरान आग के हवाले कर दिया था। शनिवार को उपचार के दौरान महंत की मौत हो गई।

ब्रज के संत महंतों ने विजय राघव दास का अंतिम संस्कार संत परंपरा के अनुसार कराने को लेकर कामा के विमल कुंड में स्नान कराने के लिए कहा, लेकिन भरतपुर जिला प्रशासन ने इसकी अनुमति नहीं दी। इसकी जानकारी मिलने पर राजस्थान के अलवर से भाजपा सांसद बाबा बालक नाथ दास बरसाना स्थित माता जी गोशाला पहुंच गए। वहां उन्होंने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर खनन माफियाओं को सरंक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए। इसके उपरांत सांसद के नेतृत्व में माता जी गोशाला के सचिव सुनील सिंह, गोपेश बाबा सहित संत महंतों के साथ नन्दगांव होते हुए राजस्थान के कामा की ओर कूच कर दिया है।

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प्राकृतिक संरक्षण के लिए धरने पर बैठे संत की आत्मदाह से मौत के बाद अब उनके अंतिम संस्कार को लेकर राजनीति गरमा गई है। राजस्थान के अलवर से भाजपा के सांसद ने राजस्थान की कांग्रेस सरकार पर भूमाफिया, खनन माफियाओं को संरक्षण देने के गंभीर आरोप लगाए हैं। सांसद ने कहा कि राजस्थान सरकार ने पसोपा में महंत विजय राघव दास का अंतिम संस्कार करने पर रोक दिया है। ब्रज के संत, संत परंपरा से महंत का राजस्थान के विमलकुंड में स्नान के उपरांत अंतिम संस्कार करेंगे।

जानकारी के अनुसार राजस्थान के भरतपुर स्थित पसोपा गांव के एक प्राचीन आश्रम के महंत विजय राघव दास प्राकृतिक पर्वतीय क्षेत्र के संरक्षण के लिए खनन माफियाओं के खिलाफ धरने पर बैठे थे। 18 जुलाई को महंत विजय राघव दास ने भरतपुर जिला प्रशासन को आत्मदाह की चेतावनी दी थी। वहां के प्रशासन ने मामले को गंभीरता से नहीं लिया, नतीजतन 20 जुलाई को मंहत ने अपने आप को धरने के दौरान आग के हवाले कर दिया था। शनिवार को उपचार के दौरान महंत की मौत हो गई।

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