आगरा का बिजलीघर : नाम गुम जाएगा, चेहरा ये बदल जाएगा, 90 साल बाद बदलने जा रही इस जगह की पहचान

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90 साल पहले आगरा किला के सामने की जमीन पर 0.5 मेगावाट की क्षमता का बिजलीघर यानी पावर प्लांट लगाया गया तो जगह का नाम पड़ गया था बिजलीघर, लेकिन अब बिजलीघर का न केवल नाम गुम हो जाएगा, बल्कि किले के सामने की जमीन की तस्वीर भी बदल जाएगी। बिजलीघर की जगह यहां बनेगा जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन। 

मेट्रो स्टेशन के लिए यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने जमीन स्थानांतरित कर दी है। इस जमीन पर ही पावर प्लांट और चिमनी लगी है, जिसे हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। 1933 से पहले बिजलीघर चौराहे का नाम त्रिपोलिया चौक था, जो आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के निर्माण के लिए तोड़ दिया गया था।

बिजली 1923 में आई, बिजलीघर 1933 में लगा

आगरा में ब्रिटिशकाल में आगरा इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी ने 1923 में बिजली की आपूर्ति शुरू की। पहला कनेक्शन सेठ अचल सिंह के नाम पर हुआ तो आगरा कॉलेज का थॉमसन हॉस्टल पहली सार्वजनिक इमारत बना, जो बिजली से रोशन हुई। दूर-दूर से लोग इस हॉस्टल को बिजली से रोशन होने पर देखने के लिए पहुंचे थे। 

पोइया घाट पर सबसे पहला बिजली का खंभा लगाया गया। इसके दस साल बाद मार्टिन बर्न कंपनी ने 0.5 मेगावाट क्षमता का बिजलीघर आगरा किला के सामने लगाया जो अब भी मौजूद है। बाद में इसकी क्षमता बढ़ाकर 29.75 मेगावाट कर दी गई थी। 18 दिसंबर 1973 को यूपी स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को मार्टिन बर्न कंपनी का यह बिजलीघर हस्तांतरित हो गया।

विशालकाय बॉयलर फटने की हुई थी दुर्घटना

कोयले के इस पावर प्लांट में एक बार विशालकाय बायलर फटने की दुर्घटना हो चुकी है। तब सेफ्टी को लेकर कई इंतजाम किए गए। 1983 में ताजमहल पर इसकी राख पहुंचने और प्रदूषण के कारण प्लांट बंद कर दिया गया। इसी के साथ यमुना बैंक पावर हाउस जो यमुना ब्रिज स्टेशन के पास बना था, वह भी प्रदूषण के कारण बंद करा दिया गया। 

त्रिपोलिया चौक तोड़कर बना था फोर्ट स्टेशन

सिविल सोसायटी के राजीव सक्सेना ने बताया कि बिजलीघर त्रिपोलिया चौक को तोड़कर आगरा फोर्ट स्टेशन बनाया गया था। उसी से लूप लाइन बिजलीघर तक आती थी, जिससे कोयले की रैक अंदर पहुंचती थीं। इस बिजलीघर के सायरन का शोर कानों को झनझना देता था। 

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घर के बाहर सूख रहे कपड़े हो जाते थे काले

चक्कीपाट के जूता कारोबारी धर्मेंद्र सोनी ने बताया कि चक्कीपाट के घर में जब भी कपड़े सुखाते, इस बिजलीघर से निकलती राख से काले पड़ जाते। रात को छत पर सोने पर चेहरे, कपड़ों पर राख जमी हुई मिलती थी, पर तब यहां रौनक बहुत थी। 

मोरारजी देसाई को बंद करना पड़ा था भाषण

औलिया रोड के करतार सिंह भारतीय बताते हैं कि 1978 में पूर्व पीएम मोरारजी देसाई जब रामलीला मैदान में सभा करने आए तो इसी बिजलीघर के भोंपू को कुछ कर्मचारियों ने उनके भाषण में बजा दिया। बार-बार बजाने पर उन्हें अपना संबोधन बंद करना पड़ा। 

स्क्रैप हटते ही यहां काम शुरू होगा

यूपीएमआरसी के पीआरओ पंचानन मिश्रा ने कहा कि जमीन ट्रांसफर होने के बाद हमने विद्युत निगम से स्क्रैप और प्लांट को हटाकर जमीन खाली करने के लिए कहा है। मेट्रो की ओर से निगम को जमीन के लिए धनराशि भी दी जाएगी। स्क्रैप हटते ही यहां काम शुरू होगा। यहां बेरीकेडिंग हो चुकी है। 

विस्तार

90 साल पहले आगरा किला के सामने की जमीन पर 0.5 मेगावाट की क्षमता का बिजलीघर यानी पावर प्लांट लगाया गया तो जगह का नाम पड़ गया था बिजलीघर, लेकिन अब बिजलीघर का न केवल नाम गुम हो जाएगा, बल्कि किले के सामने की जमीन की तस्वीर भी बदल जाएगी। बिजलीघर की जगह यहां बनेगा जामा मस्जिद मेट्रो स्टेशन। 

मेट्रो स्टेशन के लिए यूपी मेट्रो रेल कारपोरेशन को दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगम ने जमीन स्थानांतरित कर दी है। इस जमीन पर ही पावर प्लांट और चिमनी लगी है, जिसे हटाने का काम शुरू किया जा रहा है। 1933 से पहले बिजलीघर चौराहे का नाम त्रिपोलिया चौक था, जो आगरा फोर्ट रेलवे स्टेशन के निर्माण के लिए तोड़ दिया गया था।

बिजली 1923 में आई, बिजलीघर 1933 में लगा

आगरा में ब्रिटिशकाल में आगरा इलेक्ट्रिक सप्लाई कंपनी ने 1923 में बिजली की आपूर्ति शुरू की। पहला कनेक्शन सेठ अचल सिंह के नाम पर हुआ तो आगरा कॉलेज का थॉमसन हॉस्टल पहली सार्वजनिक इमारत बना, जो बिजली से रोशन हुई। दूर-दूर से लोग इस हॉस्टल को बिजली से रोशन होने पर देखने के लिए पहुंचे थे। 

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