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इलाज के दौरान बच्ची की तबीयत बिगड़ने पर उसे बेड नंबर आठ पर ऑक्सीजन लगाई गई। ऑक्सीजन की सप्लाई बच्ची तक नहीं पहुंची और किसी ने परवाह भी नहीं की। जब आधा घंटा बाद ऑक्सीजन न मिलने पर तबीयत ज्यादा खराब हुई, तब ऑक्सीजन देखी गई और दूसरे बेड पर लिटाकर ऑक्सीजन दी गई। इसका जांच रिपोर्ट में कोई जिक्र तक नहीं किया गया। साथ ही एंबुलेंस संचालन की मॉनीटरिंग करने वालों की भी कोई जवाबदेही तय नहीं की गई।
निधौली कलां सीएचसी पर तैनात की गई एंबुलेंस में रविवार को ऑक्सीजन नहीं मिली थी। इस एंबुलेंस ईएमटी पंकज पर सोमवार को कार्रवाई करते हुए कार्यमुक्त कर दिया गया। ऑक्सीजन मामले में इसे मिलाकर दो ईएमटी पर कार्रवाई हो चुकी है।
बच्ची की मौत के बाद स्वास्थ्य विभाग चेता है। अब हर दिन एंबुलेंसों में ऑक्सीजन की जांच करने के निर्देश जारी किए गए हैं। सीएचसी, पीएचसी पर उपलब्ध एंबुलेंसों की जांच करके एमओआईसी रिपोर्ट मुख्यालय पर भेजी जाएगी।
सीएमओ डॉ. उमेश कुमार त्रिपाठी ने बताया कि निधौली कलां पर तैनात एंबुलेंस कर्मचारी को लापरवाही के चलते कार्यमुक्त करने के आदेश दिए गए हैं। एक पर पूर्व में कार्रवाई हो चुकी है। हर दिन एंबुलेंस में ऑक्सीजन जांच करने और रिपोर्ट देने के भी निर्देश दिए गए हैं। बच्ची की मौत के मामले में की गई जांच की रिपोर्ट डीएम को प्रस्तुत कर दी गई है।
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