उन्नाव : नर्सिंगहोमों में आग से बचाव के बंदोबस्त नहीं

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उन्नाव। शहर से कस्बों तक संचालित प्राइवेट अस्पतालों में आग से बचाव के बंदोबस्त नहीं हैं। जबलपुर के नर्सिंगहोम में हुई घटना के बाद जिले में भी अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था की पड़ताल जरूरी है। गली-मोहल्लों में चल रहे प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 200 से अधिक है। इनमें केवल 110 नर्सिंग होम सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत हैं। हैरानी की बात ये है कि केवल तीन ने ही अग्निशमन विभाग से एनओसी ले रखी है। अन्य में आग लगने पर भगवान ही मालिक है।
कई निजी अस्पताल ऐसी जगह स्थित हैं, जहां अग्निशमन वाहन भी नहीं पहुंच सकता। जिन अस्पतालों में प्राथमिक अग्निशमन उपकरण रखे हैं, वहां के कर्मियों को इसे चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। मरीजाें की जान खतरे में डालकर इन अस्पतालों का संचालन हो रहा है। जिम्मेदार अब कार्रवाई की बात कह रहे हैं।
जिला अस्पताल में भी अनदेखी
जिला पुरुष व महिला अस्पताल में ही रोजाना 800 से एक हजार मरीज व उनके तीमारदार आते हैं। जिला अस्पताल की दो मंजिला बिल्डिंग में भी आगजनी जैसी घटना से निपटने के खास इंतजाम नहीं है। अग्निशमन के लिए पानी टैंक, फायर अलार्म जैसी सुविधाएं नहीं हैं। उपकरण लगे हैं लेकिन उनका नवीनीकरण नहीं है।
– अग्निशमन अधिकारी शिवदरश प्रसाद ने बताया कि पिछले दिनों कई नर्सिंग होम चेक किए थे लेकिन अब तक केवल तीन नर्सिंग होम संचालकों ने एनओसी ली है। बताया कि सभी नर्सिंगहोम को चेक किया जाएगा और मानक पूरे न होने का नोटिस देकर जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
– निजी अस्पताल प्रभारी एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने बताया कि जो भी पुराने अस्पताल हैं, उनमें फायर विभाग की एनओसी है। नए अस्पतालों के लिए नया नियम आया है। इसकी जांच कराएंगे। एनओसी न मिलने पर कार्रवाई होगी।
ये हैं अग्निशमन के मानक
– नर्सिंग होम के निकास द्वार के सामने कोई अवरोध न हो, दो दरवाजे हों और पर्याप्त वेंटीलेशन भी जरूरी है।
– नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ 2016 के तहत फायर सुरक्षा के लिए ग्राउंड फ्लोर व प्रथम तल की बिल्डिंग में फायर इस्टिंग्यूसर, होजरील।
बेसमेंट है तो ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर सिस्टम, ऑपरेट अलार्म सिस्टम, पांच हजार का ओवरहेड पानी का टैंक होना आवश्यक है।
– बेसमेंट 200 वर्गमीटर है तो 10 हजार लीटर का ओवरहेड टैंक होना जरूरी है। एक टेरिस पंप 900 लीटर प्रति मिनट का होना चाहिए।
– तीन मंजिल से ऊपर की इमारतों में फायर इस्टिंग्यूसर, वेटराइजर, होजरील व सभी तलों में ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर होना जरूरी है। इसके अलावा फायर अलार्म, ऑटोमेटिक डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम, 75 हजार लीटर का भूमिगत टैंक व छत पर 10 हजार लीटर का ओरवहेड टैंक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य अग्निशमन सुरक्षा मानक भी नर्सिंग होमों के लिए निर्धारित हैं।

यह भी पढ़ें -  कोविड वार्ड निर्माण में अनियमितता की शिकायत डिप्टी सीएम से

उन्नाव। शहर से कस्बों तक संचालित प्राइवेट अस्पतालों में आग से बचाव के बंदोबस्त नहीं हैं। जबलपुर के नर्सिंगहोम में हुई घटना के बाद जिले में भी अस्पतालों में अग्निशमन व्यवस्था की पड़ताल जरूरी है। गली-मोहल्लों में चल रहे प्राइवेट अस्पतालों की संख्या 200 से अधिक है। इनमें केवल 110 नर्सिंग होम सीएमओ कार्यालय में पंजीकृत हैं। हैरानी की बात ये है कि केवल तीन ने ही अग्निशमन विभाग से एनओसी ले रखी है। अन्य में आग लगने पर भगवान ही मालिक है।

कई निजी अस्पताल ऐसी जगह स्थित हैं, जहां अग्निशमन वाहन भी नहीं पहुंच सकता। जिन अस्पतालों में प्राथमिक अग्निशमन उपकरण रखे हैं, वहां के कर्मियों को इसे चलाने का प्रशिक्षण नहीं दिया गया। मरीजाें की जान खतरे में डालकर इन अस्पतालों का संचालन हो रहा है। जिम्मेदार अब कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

जिला अस्पताल में भी अनदेखी

जिला पुरुष व महिला अस्पताल में ही रोजाना 800 से एक हजार मरीज व उनके तीमारदार आते हैं। जिला अस्पताल की दो मंजिला बिल्डिंग में भी आगजनी जैसी घटना से निपटने के खास इंतजाम नहीं है। अग्निशमन के लिए पानी टैंक, फायर अलार्म जैसी सुविधाएं नहीं हैं। उपकरण लगे हैं लेकिन उनका नवीनीकरण नहीं है।

– अग्निशमन अधिकारी शिवदरश प्रसाद ने बताया कि पिछले दिनों कई नर्सिंग होम चेक किए थे लेकिन अब तक केवल तीन नर्सिंग होम संचालकों ने एनओसी ली है। बताया कि सभी नर्सिंगहोम को चेक किया जाएगा और मानक पूरे न होने का नोटिस देकर जिला प्रशासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।

– निजी अस्पताल प्रभारी एसीएमओ डॉ. ललित कुमार ने बताया कि जो भी पुराने अस्पताल हैं, उनमें फायर विभाग की एनओसी है। नए अस्पतालों के लिए नया नियम आया है। इसकी जांच कराएंगे। एनओसी न मिलने पर कार्रवाई होगी।

ये हैं अग्निशमन के मानक

– नर्सिंग होम के निकास द्वार के सामने कोई अवरोध न हो, दो दरवाजे हों और पर्याप्त वेंटीलेशन भी जरूरी है।

– नेशनल बिल्डिंग कोड ऑफ 2016 के तहत फायर सुरक्षा के लिए ग्राउंड फ्लोर व प्रथम तल की बिल्डिंग में फायर इस्टिंग्यूसर, होजरील।

बेसमेंट है तो ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर सिस्टम, ऑपरेट अलार्म सिस्टम, पांच हजार का ओवरहेड पानी का टैंक होना आवश्यक है।

– बेसमेंट 200 वर्गमीटर है तो 10 हजार लीटर का ओवरहेड टैंक होना जरूरी है। एक टेरिस पंप 900 लीटर प्रति मिनट का होना चाहिए।

– तीन मंजिल से ऊपर की इमारतों में फायर इस्टिंग्यूसर, वेटराइजर, होजरील व सभी तलों में ऑटोमेटिक स्प्रिंक्लर होना जरूरी है। इसके अलावा फायर अलार्म, ऑटोमेटिक डिटेक्शन एंड अलार्म सिस्टम, 75 हजार लीटर का भूमिगत टैंक व छत पर 10 हजार लीटर का ओरवहेड टैंक होना चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य अग्निशमन सुरक्षा मानक भी नर्सिंग होमों के लिए निर्धारित हैं।

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