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नाना साहब, तात्या टोपे, अजीमुल्ला खान और रानी लक्ष्मीबाई के पराक्रम की यादें समेटे कानपुर के बिठूर की धरती में 1857 की क्रांति से जुड़ी कई विरासतें हैं। इन्हीं विरासतों में एक है नानाराव पेशवा स्मारक पार्क के अंदर स्थित एक ऐतिहासिक कुआं।
बिठूर में निवास करने वाले मानस मंच शाखा बिठूर अध्यक्ष सूबेदार पांडेय के अनुसार ऐसा कहा जाता है कि नाना साहब पेशवा के महल परिसर के आसपास कुल आठ पाताल तोड़ कुंए थे। जिसमे 7 कुएं नेस्तानाबूत हो चुके हैं। इतिहास की यादें समेटे यह कुआं नानाराव पेशवा महल के पास बने नानाराव पेशवा स्मारक पार्क में काशी मुक्ता मंच के पास आज भी है।
यह कुंआ पताल तोड़ है। पताल तोड़ कुएं बहुत गहरे होते हैं। इस कुएं में लोहे का बड़ा गोल तवा पड़ा है जो पानी के स्रोतों को कभी सूखने नहीं देता है। इसिलए हमेशा यह कुआं पानी से भरा रहता है। बताया जाता है कि इसी कुएं से रानी लक्ष्मीबाई का घोड़ा नारंग पानी पीता था। इसी कुएं के आसपास रानी लक्ष्मीबाई ने तात्या टोपे से घुड़सवारी और तलवारबाजी सीखी थी।
थक जाने के बाद इसी कुएं के पास छायादार पेड़ों के पास रानी लक्ष्मीबाई और तात्या टोपे अपनी सेना के साथ बैठकर अंग्रेजी सेना के खिलाफ रणनीत बनाते थे। कहा जाता है कि 1857 की क्रांति के दौरान जब अंग्रेजों ने पेशवा महल पर हमला किया तब अंग्रेजी सेना के हाथ आने के बजाय महिलाओं ने बच्चों समेत इसी कुएं में कूदकर अपनी जान दे दी थी।
यह भी कहा जाता है कि अगर कोई अंग्रेज सैनिक भूल से पेशवा महल की तरफ आ जाता था तो नाना साहब पेशवा की सेना उसे मारकर इसी कुएं में फेंक देती थी। अब इस कुएं को चारों तरफ से लोहे की रेलिंग लगवाकर सरंक्षित करा दिया गया है।
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