[ad_1]
ख़बर सुनें
बांगरमऊ। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार रात बिजली जाने से अंधेरा हो गया। डीजल न होने से जेनरेटर भी नहीं चल पाया। करीब बीस मिनट तक टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में मरीजों को देखा गया। स्वास्थ्य कर्मिंयों के अनुसार ऐसा दिन में कई बार होता है।
पंपापुरवा गांव निवासी सरोज के दो साल के बेटे को बुखार आने पर वह उसे स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे। डॉक्टर उसे देख ही रहे थे तभी बिजली चली गई। डॉक्टर योगेश ने उसी रोशनी से बच्चे का इलाज किया।
करीब 20 मिनट बाद बिजली आने पर मरीजों व स्टॉफ को राहत मिली। इस दौरान पूरे स्वास्थ्य केंद्र में अंधेरा रहा। मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों को गर्मी में परेशान होना पड़ा। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि जेनरेटर न चल पाने से दिन या रात में जितनी बार बिजली जाते है, अंधेरा हो जाता है।
सीएचसी प्रभारी डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि मेन लाइन से बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी। साथ ही इंवर्टर भी काम नहीं कर रहा था। इससे मरीजों को परेशानी हुई। जेनरेटर संचालन के लिए डीजल का बजट न होने से उसे संचालित नहीं किया गया।
बांगरमऊ। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में मंगलवार रात बिजली जाने से अंधेरा हो गया। डीजल न होने से जेनरेटर भी नहीं चल पाया। करीब बीस मिनट तक टॉर्च और मोबाइल की रोशनी में मरीजों को देखा गया। स्वास्थ्य कर्मिंयों के अनुसार ऐसा दिन में कई बार होता है।
पंपापुरवा गांव निवासी सरोज के दो साल के बेटे को बुखार आने पर वह उसे स्वास्थ्य केंद्र लेकर आए थे। डॉक्टर उसे देख ही रहे थे तभी बिजली चली गई। डॉक्टर योगेश ने उसी रोशनी से बच्चे का इलाज किया।
करीब 20 मिनट बाद बिजली आने पर मरीजों व स्टॉफ को राहत मिली। इस दौरान पूरे स्वास्थ्य केंद्र में अंधेरा रहा। मरीजों व स्वास्थ्य कर्मियों को गर्मी में परेशान होना पड़ा। स्वास्थ्य कर्मियों ने बताया कि जेनरेटर न चल पाने से दिन या रात में जितनी बार बिजली जाते है, अंधेरा हो जाता है।
सीएचसी प्रभारी डॉ. मुकेश कुमार सिंह ने बताया कि मेन लाइन से बिजली आपूर्ति बाधित हुई थी। साथ ही इंवर्टर भी काम नहीं कर रहा था। इससे मरीजों को परेशानी हुई। जेनरेटर संचालन के लिए डीजल का बजट न होने से उसे संचालित नहीं किया गया।
[ad_2]
Source link