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मेरठ शहर को प्रदूषण से राहत दिलाने के लिए वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने 30 सितंबर तक संचालकों को फैक्टरियां पीएनजी (पाइप्ड नेचुरल गैस) में बदलने के निर्देश दिए हैं। इसके बाद औद्योगिक इकाइयों में कोयले के प्रयोग की अनुमति नहीं होगी। आयोग के नोटिस के बाद क्षेत्रीय प्रदूषण नियंत्रण अधिकारी ने कहा है कि अगर तय समय तक बदलाव नहीं किया तो जुर्माना लगाया जाएगा। वहीं उद्यमियों का कहना है कि 40 दिन में यह बदलाव संभव नहीं। इसके लिए समय सीमा कम से कम तीन वर्ष की जाए।
मेरठ में हवा की गुणवत्ता की स्थिति चिंताजनक है। हर वर्ष सितंबर से दिसंबर के बीच हवा दमघोंटू हो जाती है। पंजाब-हरियाणा की पराली के साथ वाहनों और फैक्टरियों से होने वाले प्रदूषण को इसकी बड़ी वजह माना जा रहा है। इस बार वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग ने प्रदूषण पर रोकथाम के लिए पहले ही तैयारियां तेज कर दी हैं। आयोग ने औद्योगिक इकाइयों को पीएनजी में बदलने की स्थिति पर ताजा रिपोर्ट मांगी है।
वहीं फैक्टरी संचालकों का तर्क है कि पीएनजी महंगी है। अकेले मेरठ में ही 600 से ज्यादा औद्योगिक इकाइयों में से पीएनजी पर सिर्फ 50 के करीब ही हैं। पूरे एनसीआर में 25 हजार से ज्यादा औद्योगिक इकाइयां हैं।
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