हाईकोर्ट का अहम फैसला : आपराधिक मामले लंबित रहने से सरकारी कर्मचारी का नहीं रोक सकते प्रमोशन

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर सरकारी सेवक के प्रमोशन को रोका नहीं जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने पुलिस कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रतिवादी सक्षम पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह दो माह के अंदर सील कवर खोलने की प्रक्रिया को लेकर आदेश पारित करें।

याचिका में डीआईजी/एसपी स्थापना, डीजीपी मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ की ओर से एक जनवरी 2021 को जारी हेड कांस्टेबल प्रमोशन लिस्ट में याची के प्रमोशन को सील कवर में रखने को चुनौती देते हुए उसे खोलने की मांग की गई थी।

याची के हेड कांस्टेबल पद पर प्रमोशन को उसके विरुद्ध आपराधिक केस लंबित होने के चलते सील कवर में रखा गया था। याची की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची पर आपराधिक केस की वजह से उसे यूपी पुलिस ऑफिसर ऑफ  सबार्डिनेट रैंक (पनिशमेंट एंड अपील रूल्स) 1991 के नियम 8(2) (बी) के अंतर्गत बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश से उसे सेवा में बहाल कर लिया गया और वह पुलिस विभाग में निरंतर कार्यरत रहा है। 

बहस की गई कि क्रिमिनल केस लंबित रहने के बावजूद याची को नौकरी में बनाए रखा गया है तो ऐसे में क्रिमिनल केस के आधार पर प्रमोशन से वंचित रखना गलत है। कहा गया था कि जब आपराधिक केस के आधार पर की गई बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने रद्द कर बहाली का आदेश दिया तो पुन: उसी आधार पर प्रमोशन देने से इन्कार करना अवैधानिक है।

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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने कहा कि आपराधिक केस लंबित होने के आधार पर सरकारी सेवक के प्रमोशन को रोका नहीं जा सकता है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव मिश्र ने पुलिस कांस्टेबल नीरज कुमार पांडेय की याचिका को निस्तारित करते हुए दिया है। कोर्ट ने प्रतिवादी सक्षम पुलिस अधिकारियों को निर्देश दिया है कि वह दो माह के अंदर सील कवर खोलने की प्रक्रिया को लेकर आदेश पारित करें।

याचिका में डीआईजी/एसपी स्थापना, डीजीपी मुख्यालय उत्तर प्रदेश लखनऊ की ओर से एक जनवरी 2021 को जारी हेड कांस्टेबल प्रमोशन लिस्ट में याची के प्रमोशन को सील कवर में रखने को चुनौती देते हुए उसे खोलने की मांग की गई थी।

याची के हेड कांस्टेबल पद पर प्रमोशन को उसके विरुद्ध आपराधिक केस लंबित होने के चलते सील कवर में रखा गया था। याची की ओर से बहस कर रहे वरिष्ठ अधिवक्ता विजय गौतम का तर्क था कि याची पर आपराधिक केस की वजह से उसे यूपी पुलिस ऑफिसर ऑफ  सबार्डिनेट रैंक (पनिशमेंट एंड अपील रूल्स) 1991 के नियम 8(2) (बी) के अंतर्गत बर्खास्त कर दिया गया था। हाईकोर्ट के आदेश से उसे सेवा में बहाल कर लिया गया और वह पुलिस विभाग में निरंतर कार्यरत रहा है। 

बहस की गई कि क्रिमिनल केस लंबित रहने के बावजूद याची को नौकरी में बनाए रखा गया है तो ऐसे में क्रिमिनल केस के आधार पर प्रमोशन से वंचित रखना गलत है। कहा गया था कि जब आपराधिक केस के आधार पर की गई बर्खास्तगी को हाईकोर्ट ने रद्द कर बहाली का आदेश दिया तो पुन: उसी आधार पर प्रमोशन देने से इन्कार करना अवैधानिक है।

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