गंगा-यमुना में बढ़ता जलस्तर लगातार खतरनाक रूप लेता जा रहा है। बस्तियों में बाढ़ का पानी तो बुधवार को ही घुस गया था, अब इसका दायरा लगातार फैलता जा रहा है। बृहस्पतिवार रात तक एक दर्जन से अधिक मोहल्लों के हजारों घरों में बाढ़ का पानी घुस गया। मुश्किल यह कि दोनों नदियों के जलस्तर में अभी तीन दिनों तक बढ़ोतरी की बात कही जा रही है।
खतरे का निशान 84.734 मीटर है। वहीं बृहस्पतिवार शाम को ही दोनों नदियों का जलस्तर 84 मीटर को पार कर गया था। ऐसे में कछार के निचले इलाकों की बस्तियों में बाढ़ का पानी घुस गया है। छोटा बघाड़ा, नेवादा के पवन नगर, बेली कछार में सैकड़ों मकानों की पहली मंजिल के करीब पानी पहुंच गया है। इन इलाकों में झोपड़ी और टीन शेड में रहने वालों के लिए कोई जगह नहीं है।
यहां कई लोगों ने मकान की नींव तो ऊंची कराई है लेकिन वे चारों तरफ से बाढ़ से घिर गए हैं। सड़कें में भी जलमग्न हो गईं हैं। ऐसे में अपना सामान पहले मंजिल या कहीं और रखकर बड़ी संख्या में लोग पलायन करने लगे हैं। सैकड़ों परिवार गठरी में गृहस्थी बांधकर दूसरा ठौर तलाशने के लिए लोग मजबूर हैं। देर शाम तक 1500 से अधिक लोग तो राहत शिविरों में पहुंच गए थे।
लोगों की मुश्किलें अभी खत्म भी नहीं होने जा रहीं। बल्कि, चुनौती और बढ़ने जा रही है। पीछे से 25 लाख क्यूसेक से अधिक पानी आ रहा है और यह क्रम तीन दिनों तक बने रहने की बात कही जा रही है। ऐसे में कछार के बड़े इलाके में बसे लोगों के बाढ़ की चपेट में आने का खतरा बन गया है।
एनडीआरएफ, पीएसी ने संभाली कमान
बाढ़ का दायरा बढ़ने के साथ प्रशासन ने भी सतर्कता बढ़ा दी है। एनडीआएफ एवं एसडीआरएफ की एक-एक टीम लगाई गई है। दो कंपनी पीएसी लगाई गई है। 20 आश्रय स्थल बनाए गए हैं। इनमें से पांच आश्रय स्थल एनी बेसेंट (300 से अधिक), मेहबूब अली इंटर कॉलेज (200 से अधिक), ऋषिकुल (181), स्वामी विवेकानंद, कैंटोनमेंट मैरिज हाल (300) फुल हो गए हैं।
इनके अलावा सेंट जोसेफ गर्ल्स विंग, वाईएमसीए समेत अन्य स्कूलों में भी बाढ़ पीड़ित पहुंचने लगे हैं। इन आश्रय स्थलों में देर रात तक 1500 लोग पहुंच गए थे। इनके लिए रहने-खाने की व्यवस्था के दावे किए जा रहे हैं। चिकित्सीय व्यवस्था समेत अन्य इंतजाम के दावे किए जा रहे हैं। लेखपाल एवं अन्य अफसरों की ड्यूटी लगाई गई है।ंो