Prayagrajn Flood : 2013 का रिकॉर्ड तोड़ सकती हैं गंगा-यमुना, हजाराें लोग बेघर, बचाव कार्य में जुटीं टीमें

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गंगा-यमुना उफान पर हैं। जलस्तर शुक्रवार दोपहर में ही खतरे के निशान को पार गया। इसकी वजह से हजारों मकान बाढ़ की चपेट में आ गए हैं और लोग पलायन के लिए मजबूर हैं। कछार में बसे लोगों की आने वाले दिनों में मुश्किलें और बढ़ने वाली हैं। पीछे से काफी पानी छोड़ा गया है और दोनों नदियाें का जलस्तर 2013 में आई बाढ़ के स्तर को भी पार कर सकता है। 2013 में जलस्तर 86.82 मीटर के पार हो गया था, जो 1978 में आई बाढ़ के बाद सबसे अधिक जलस्तर है।

गंगा और यमुना के जलस्तर में बढ़ोतरी के साथ बाढ़ का दायरा भी फैलता जा रहा है। बघाड़ा, सलोरी, बेली, राजापुर, ऊंचवागढ़ी, नेवादा समेत दर्जनों कछारी मोहल्लों में भीतर तक बाढ़ का पानी घुस गया है। इन मोहल्लों के निचले इलाकों में तो कई मकानों का पहला तल पानी में डूब गया है।

इसकी वजह से हजारों परिवार अलग-अलग तरीके मुसीबतों में घिर गए हैं। हजारों लोग पलायन कर रहे हैं। बड़ी संख्या में लोगों ने रिश्तेदारों- परिचितों के यहां ठौर ली है। करीब एक हजार परिवारों के पांच हजार लोग आश्रय स्थलाें में पहुंच गए हैं। पलायन का अनुमान इससे ही लगाया जा सकता है कि 10 आश्रय स्थलों में अब जगह ही नहीं बची है।

हजारों परिवार अब भी बाढ़ में फंसे हुए हैं। ज्यादातर ने भूतल में पानी भरने की वजह से प्रथम तल में शरण ले ली है। प्रशासन की ओर से लगातार वहां से निकलने की अपील की जी रही है लेकिन चोरी की डर की वजह से लोग अपनी गृहस्थी छोड़ना नहीं चाह रहे। हालांकि, जलस्तर बढ़ने के साथ उनकी हिम्मत भी टूटने लगी है और लगातार पलायन जारी है।

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हर स्तर पर एलर्ट जारी

जलस्तर बढ़ने के साथ प्रशासन की ओर से हर स्तर पर मुस्तैदी बढ़ा दी गई है। जरूरत के साथ राहत शिविरों की संख्या लगातार बढ़ाई जा रही है। शुक्रवार शाम तक 15 शिविर खोले जा चुके थे। दिन में तीन बजे तक ही 13 शिविरों में 786 परिवारों के 3400 से अधिक लोग पहुंच गए थे। बाढ़ में फंसे लोगों को निकालने के लिए बघाड़ा और राजापुर में ही 40 से अधिक नावें लगाई गईं हैं। 1500 नावों को अलर्ट मोड में रखा गया है।

एसडीआरएफ की दो तथा एनडीआरएफ की एक टीम भी प्रभावित क्षेत्रों में लगातार भ्रमण कर रही है। बाढ़ पीएसी की दो कंपनी तथा जल पुलिस भी लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाने में जुटी है। एडीएम वित्त एवं राजस्व जगदंबा सिंह का कहना है कि  राहत शिविरों में खाना, पानी के अलावा सफाई, बिजली आदि की व्यवस्था के भी निर्देश दिए गए हैं।

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