Ganesha Chaturthi Muhurt: कोलकाता की पगड़ी पहनेंगे, राजकोट की चौकी पर विराजेंगे बप्पा, इस विधि से करें स्थापना

0
17

[ad_1]

गणेश चतुर्थी के लिए मेरठ में मंदिरों को सजाया गया है। मंदिर, घर और मुख्य चौराहों पर पंडाल लगाने की तैयारी है। 31 अगस्त बुधवार को पर्व धूमधाम से मनाया जाएगा। मंगलवार को बप्पा के लिए जरकन, जड़ाऊ में बने आभूषणों की खरीदारी की गई। सदर, बुढ़ाना गेट, शास्त्रीनगर, शारदा रोड पर स्थित दुकानों पर देर रात तक भीड़ लगी रही।  

इस बार कोलकाता के पटके और पगड़ी खास डिजाइन में आई हैं। राजकोट से विशेष चौकी मंगवाई गईं हैं। इस वर्ष गणेश चतुर्थी कई मायनों में खास है। इंडियन काउंसिल ऑफ एस्ट्रोलोगिकल साइंस के सचिव आचार्य कौशल वत्स ने बताया कि चतुर्थी के साथ 31 अगस्त से 9 सितंबर के बीच 7 दिन अच्छे योग भी बन रहे हैं।

मेरठ में एन्वायरमेंट क्लब के द्वारा कमिश्नरी चौराहा पर गणेश चतुर्थी की पूर्व संध्या पर पर्यावरण जागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। क्लब सदस्य आशीष बिष्ट ने सभी से गणेश चतुर्थी पर इको फ्रेंडली गणेश जी को घर लाने के लिए और पूजा-पाठ की सामग्री में प्लास्टिक का उपयोग न करने के लिए जागरूक किया। अपील की गई कि विसर्जन के दिन किसी भी नदी नहर के किनारे गंदगी न फैलाएं और प्लास्टिक का सामान उसमें न फेंके। आगे देखें गणेश चतुर्थी पर गणपति स्थापना की पूर्ण विधि व शुभ मुहूर्त।

मिट्टी की मूर्ति शुभ

मिट्टी से बनी गणेश भगवान की मूर्ति ही घर लाएं। इससे विसर्जन के बाद प्रदूषण नहीं होगा। शास्त्रों में कहा गया है कि हर रंग की मूर्ति के पूजन का फल भी अलग होता है। पीले रंग और लाल रंग की मूर्ति की उपासना को शुभ माना गया है। पीले रंग की प्रतिमा की उपासना करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।

यह भी पढ़ें -  Chandauli Crime: बकरी चरा रही आठ साल की बच्ची का मुंह दबाकर झाड़ी में ले गया युवक, किया दुष्कर्म

 

भगवान गणेश को प्रिय हैं ये दो चीजें

इस बार 21 लड्डू, 21 दूर्वा तथा 21 लाल पुष्प (यदि संभव हो तो गुड़हल) भगवान गणेश को अर्पित करें। श्रीगणेश जी को दूर्वा बहुत प्रिय है। उसमें भी 21 नरकों से बचाव के लिए 21 दूर्वा को उनको चढ़ाकर व्यक्ति अपने को कष्ट से बचा लेता है। दूर्वा श्याम और सफेद दोनों होती है। दूर्वा नरकनाशक, वंशवर्धक, आयुवर्धक, तेजवर्धक होती है।

गणपति के प्रसाद का गुण सौ गुना

भाद्रपद मास की शुक्ल चतुर्थी का नाम ‘शिवा’ हैं। इस दिन जो स्नान, दान उपवास, जप आदि सत्कर्म किया जाता हैं। वह गणपति के प्रसाद से सौ गुना हो जाता हैं। इस चतुर्थी को गुड़, लवण और घृत का दान करना चाहिए, यह शुभकर माना गया है। गुड़ के अपूपों (मालपुआ) से ब्राह्मणों को भोजन कराना चाहिए।   

 

इस विधि से करें गणपति स्थापना

सबसे पहले गणेश भगवान के मंत्र का जाप करें। फिर गणपति को जल तथा पंचामृत से स्नान कराएं और वस्त्र पहनाएं। इसके बाद गणेश जी को जल, अक्षत, दूर्वा घास, लड्डू, पान, धूप आदि अर्पित करें। इसके बाद गणेश जी के मंत्र का जाप करते हुए दीपक जलाएं और भगवान की आरती करें। मोदक प्रसाद अर्पित करें। गणेश जी की उपासना जितने भी दिन चलेगी अखंड घी का दीपक जलता रहेगा।

 

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here