नई शिक्षा नीति : इलाहाबाद विवि के छात्र पढ़ेंगे कश्मीर का इतिहास, प्राचीन इतिहास विभाग ने तैयार किया पाठ्यक्रम

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के छात्र अब कश्मीर का इतिहास भी पढ़ेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत सत्र 2023-24 से शुरू होने जा रहे चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में इसे एक यूनिट के रूप में शामिल किया जाएगा। इविवि के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने नए पाठ्यक्रम का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

छात्रों को कश्मीर के साथ नॉर्थ ईस्ट का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। उन्हें अब तक केवल असम का इतिहास पढ़ाया जाता था। अब मेघालय, अरुणाचल प्रदेश का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। प्राचीन इतिहास की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनामिका राय की देखरेख में नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। प्रो. राय बताती हैं कि छात्रों को कश्मीर शब्द के मायने बताए जाएंगे। वहां की संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाएगा।

कश्मीर में शुरू से ही शैव धर्म का अस्तित्व रहा। शैव दार्शनिक अभिनव गुप्त ने सौंदर्य दर्शन की सबसे बड़ी मीमांसा की थी। कश्मीर न केवल अपनी सुंदरता, बल्कि प्राचीन मंदिरों के लिए भी जाना जाता है। वहां का इतिहास अब तक उपेक्षित और विस्मृत रहा है। शायद ही उत्तर भारत के किसी विश्वविद्यालय में कश्मीर का इतिहास पढ़ाया जाता हो। इविवि के छात्र अब वहां का इतिहास पढ़ सकेंगे।

नया पाठ्यक्रम भारतीय संस्कृति को केंद्र में रखकर तैयार किया गया है। भारत के साथ दूसरे देशों के सांस्कृतिक संबंधों का इतिहास क्या रहा, यह भी छात्रों को पढ़ाया जाएगा। अफगानिस्तान में अभी भी पन्निनी नाम का गांव है, जहां पणिनी रहा करते थे। इसी गांव से पणिनी को पहचान मिली। श्रीलंका में भारतीय संस्कृति के प्रचार-प्रसार के बारे में भी छात्रों को बताया जाएगा।

ज्योतिष विज्ञान का इतिहास भी जानेंगे छात्र
छात्रों को प्राचीन भारत के ज्योतिष विज्ञान का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। वर्तमान विभागाध्यक्ष प्रो. हर्ष कुमार ने बताया कि चार वर्षीय पाठ्यक्रम में पहले साल सर्टिफिकेट कोर्स में ही छात्रों को प्राचीन भारतीय पुरातत्व और प्राचीन भारत में राजनैतिक इतिहास के बारे में पूरी जानकारी दी जाएगी, ताकि शुरुआत से ही उन्हें मजबूत आधार मिल सके।

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रोजगारपरक पढ़ाई को वरीयता
प्राचीन इतिहास के नए पाठ्यक्रम में रोजगारपरक पढ़ाई को वरीयता दी गई है। छात्रों को म्यूजियोलॉजी भी पढ़ाई जाएगी। इसके तहत वे संग्रहालय के रखरखाव के बारे में जानेंगे। छात्रों को यह भी बताया जाएगा कि विरासत को कैसे संरक्षित किया जाए। ऐसे में छात्रों के लिए पर्यटन एवं अन्य क्षेत्र में रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।

समाजशास्त्र के छात्र करेंगे स्वास्थ्य, पर्यावरण की पढ़ाई
इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के समाजशास्त्र विभाग ने भी नई शिक्षा नीति के तहत चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम का प्रस्ताव तैयार कर लिया है, जो सत्र 2023-24 से लागू होने जा रहा है। समाजशास्त्र के छात्र स्वास्थ्य, पर्यावरण आदि की पढ़ाई भी करेंगे, जो रोजगारपरक होंगे।

विभागाध्यक्ष प्रो. आशीष सक्सेना ने बताया कि पाठ्यक्रम में स्वच्छता एवं समाज, स्वास्थ्य एवं समाज, पर्यावरण एवं समाज, धर्म एवं समाज जैसे विषयों को शामिल किया गया है। अन्य विषय के छात्र भी इनकी पढ़ाई कर सकेंगे। ‘जेंडर एंड सोसाइटी’ भी पाठ्यक्रम का हिस्सा होगा। इसके साथ कोई भी विद्यार्थी समाजशास्त्र में रिसर्च मैथोडोलॉजी की पढ़ाई कर सकेगा। छात्रों को फील्ड वर्क का भी मौका मिलेगा। उन्हें डाटा कलेक्शन करना होगा और फील्ड वर्क के आधार पर रिपोर्ट तैयार करनी होगी।

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इलाहाबाद विश्वविद्यालय (इविवि) के छात्र अब कश्मीर का इतिहास भी पढ़ेंगे। नई शिक्षा नीति के तहत सत्र 2023-24 से शुरू होने जा रहे चार वर्षीय स्नातक पाठ्यक्रम में इसे एक यूनिट के रूप में शामिल किया जाएगा। इविवि के प्राचीन इतिहास, संस्कृति एवं पुरातत्व विभाग ने नए पाठ्यक्रम का प्रस्ताव तैयार कर लिया है।

छात्रों को कश्मीर के साथ नॉर्थ ईस्ट का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। उन्हें अब तक केवल असम का इतिहास पढ़ाया जाता था। अब मेघालय, अरुणाचल प्रदेश का इतिहास भी पढ़ाया जाएगा। प्राचीन इतिहास की पूर्व विभागाध्यक्ष प्रो. अनामिका राय की देखरेख में नया पाठ्यक्रम तैयार किया गया है। प्रो. राय बताती हैं कि छात्रों को कश्मीर शब्द के मायने बताए जाएंगे। वहां की संस्कृति के बारे में पढ़ाया जाएगा।

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