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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने नाबालिग के अपहरण, दुष्कर्म में पॉक्सो एक्ट के तहत वाराणसी की विशेष अदालत में चल रहे केस, चार्जशीट और उस पर लिए गए कोर्ट के संज्ञान आदेश को रद्द कर दिया है। कहा है कि यदि अभियुक्त तथा पीड़िता किसी शिकवा शिकायत के बिना पति-पत्नी की तरह शांतिपूर्ण खुशहाल वैवाहिक जीवन बिता रही है तो आपराधिक केस चलाए रखना सही नहीं है।
यह आदेश न्यायमूर्ति गौतम चौधरी ने वाराणसी के गुफरान शेख उर्फ गनी मुनव्वर की याचिका को स्वीकार करते हुए दिया है। कोर्ट ने यह आदेश मेघालय हाईकोर्ट के ओलियस माविंग केस के फैसले के आधार पर दिया है। मामले में याची के खिलाफ वाराणसी के बड़ागांव थाने में अपहरण, दुष्कर्म तथा पॉक्सो एक्ट के तहत एफ आईआर दर्ज की गई। पुलिस ने चार्जशीट दाखिल की और अदालत ने संज्ञान लेकर समन जारी किया।
याची का कहना था की पीड़िता से शादी कर पति पत्नी की तरह रह रहे हैं। पीड़िता ने अदालत में दिए गए बयान में कहा कि उसने कोई आरोप नहीं लगाया है। ऐसे ही मामले में मेघालय हाईकोर्ट ने केस रद्द कर दिया है। इसलिए याची के खिलाफ केस रद्द किया जाय। कोर्ट ने तर्क से सहमत होकर याची के खिलाफ वाराणसी विशेष अदालत में चल रहे आपराधिक केस को रद्द कर दिया है।
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