खराब प्रदर्शन करने वाले प्रदेश के 73 विभागों में यूएसडीए भी

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उन्नाव। आम लोगों की समस्याओं के निराकरण में ढिलाई और खराब प्रदर्शन पर शासन ने जिन 73 विभागों को नोटिस भेजा है, उनमें उन्नाव-शुक्लागंज विकास प्राधिकरण (यूएसडीए) भी शामिल है। हाल ये है कि है छह साल से कोई नई आवासीय या व्यावसायिक योजना शुरू नहीं हो पाई। विकास क्षेत्र में विस्तार की योजना में शहर के आसपास के 79 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव चार साल बाद भी मंजूर नहीं हो सका। निराला नगर फेज-दो योजना में प्लाट बुक कराने वाले लोगों के लिए घर का सपना 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है।
1984 से अस्तित्व में आया यूएसडीए शहर के सुनियोजित विकास और विस्तार में बहुत सहायक साबित नहीं हो पाया। पीडी नगर और निराला नगर फेज एक को पूरा करने के बाद यूएसडीए ने 2012 में निराला नगर फेज दो योजना लांच की थी। 199 भूखंड बनाए और आवेदन मांगे। इसके लिए शहर के 2245 लोगों ने 10 फीसदी राशि जमा कर आवेदन किया। इसके बाद कुछ किसानों ने अपनी जमीन देने से इन्कार कर दिया। सात साल तक मामला न्यायालय में अटका रहा। प्लाट न मिलते इंतजार करते थक चुके लोगों में अब तक 1007 ने अपना आवेदन वापस ले लिया है। अन्य लोग अभी भी आस लगाए हैं।
पुरानी संपत्तियां बेचकर चला रहा काम
लैंड बैंक खाली होने के बाद प्राधिकरण ने विकास क्षेत्र में विस्तार के लिए शहर के आसपास के 79 गांवों को प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में शामिल करने की योजना बनाई। ये योजना चार साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई। प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी अब तक नोटिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। निराला नगर फेज दो अटकने और दूसरी जमीन न होने से प्राधिकरण पुरानी बची हुई संपत्तियों को बेचकर जैसे-तैसे काम चला रहा है।
केडीए से वापस नहीं ले पाए 29 गांव
जिले के 29 गांव केडीए (कानपुर विकास प्राधिकरण) के विकास क्षेत्र में शामिल हैं। वर्ष 2017 में प्राधिकरण की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी अब तक इन गांवों को वापस करने के लिए डी-नोटीफाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। मालूम हो कि 1996 में गंगा बैराज के बीच के 13 राजस्व गांव केडीए में शामिल हुए थे। इसके बाद वर्ष 2000 में गंगोत्री टाउन शिप योजना के लिए शासन के निर्देश पर जिले के 16 और राजस्व गांव केडीए को दिए गए थे। इन्हें वापस लेने के लिए प्राधिकरण ने एक बार फिर कवायद शुरू करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी है।
मास्टर प्लान-2031 भी अटका पड़ा
शहर के विकास के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया गया था वह वर्ष 2001 तक के लिए प्रभावी था। मास्टर प्लान 2031 को वर्षों बाद भी मंजूरी नहीं मिल पाई है। कई बोर्ड बैठकों में इस पर चर्चा और संशोधन होने के बाद पिछले महीने मंजूरी मिल पाई है लेकिन शासन से मंजूरी मिलना बाकी है। इसके बाद आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।
जितना किराया दिया, मकान बन जाता
आवास विकास कालोनी निवासी नीरज पांडेय ने बताया कि उन्होंने 2012 में प्लाट के लिए आवेदन किया था। अब तक किराये पर रह रहे हैं। जितना किराये पर खर्च कर चुके हैं, उतने में तो मकान बनकर तैयार हो जाता। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण को जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।
उम्मीद के सिवा कुछ न मिला
शाहगंज निवासी निर्भय गुप्ता ने बताया कि उन्होंने भी निराला नगर योजना में प्लाट के लिए आवदेन किया था लेकिन अब तक प्लाट नहीं मिल पाया। बताया कि हर साल-छह महीने में उम्मीद की किरन दिखा दी जाती है। इसके बाद फिर सब ठंडे बस्ते में। बताया कि पता नहीं लॉटरी में प्लाट मिलेगा भी या नहीं।
तीन महीने से चार्ज, बेहतरी का प्रयास : उपाध्यक्ष
यूएसडीए के उपाध्यक्ष/सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने बताया कि 26 मई 2022 को प्राधिकरण से उपाध्यक्ष का चार्ज संभाला है। तब से लगातार बेहतरी के प्रयास कर रहे हैं। केडीए से जिले के 29 गांव वापस लेने के लिए प्रभावी पैरवी की और शहरी नियोजन विभाग के उपसचिव को रिपोर्ट भेजकर डी-नोटीफाई के लिए पैरवी की है। बोर्ड बैठक में मास्टर प्लान 2031 को पास कराकर शासन को भेजा गया है। प्राधिकरण के सीमा विस्तार के लिए शासन को पत्र भेजा है। बताया कि शहर का सुंदरीकरण, सुनियोजित तरीके से विकास और आने वाले 10 साल में आबादी, तब की जरूरतों आदि को ध्यान में रखकर विकास प्राथमिकता में है।

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उन्नाव। आम लोगों की समस्याओं के निराकरण में ढिलाई और खराब प्रदर्शन पर शासन ने जिन 73 विभागों को नोटिस भेजा है, उनमें उन्नाव-शुक्लागंज विकास प्राधिकरण (यूएसडीए) भी शामिल है। हाल ये है कि है छह साल से कोई नई आवासीय या व्यावसायिक योजना शुरू नहीं हो पाई। विकास क्षेत्र में विस्तार की योजना में शहर के आसपास के 79 गांवों को शामिल करने का प्रस्ताव चार साल बाद भी मंजूर नहीं हो सका। निराला नगर फेज-दो योजना में प्लाट बुक कराने वाले लोगों के लिए घर का सपना 10 साल बाद भी पूरा नहीं हो सका है।

1984 से अस्तित्व में आया यूएसडीए शहर के सुनियोजित विकास और विस्तार में बहुत सहायक साबित नहीं हो पाया। पीडी नगर और निराला नगर फेज एक को पूरा करने के बाद यूएसडीए ने 2012 में निराला नगर फेज दो योजना लांच की थी। 199 भूखंड बनाए और आवेदन मांगे। इसके लिए शहर के 2245 लोगों ने 10 फीसदी राशि जमा कर आवेदन किया। इसके बाद कुछ किसानों ने अपनी जमीन देने से इन्कार कर दिया। सात साल तक मामला न्यायालय में अटका रहा। प्लाट न मिलते इंतजार करते थक चुके लोगों में अब तक 1007 ने अपना आवेदन वापस ले लिया है। अन्य लोग अभी भी आस लगाए हैं।

पुरानी संपत्तियां बेचकर चला रहा काम

लैंड बैंक खाली होने के बाद प्राधिकरण ने विकास क्षेत्र में विस्तार के लिए शहर के आसपास के 79 गांवों को प्राधिकरण के विकास क्षेत्र में शामिल करने की योजना बनाई। ये योजना चार साल बाद भी धरातल पर नहीं उतर पाई। प्राधिकरण बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी अब तक नोटिफिकेशन की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। निराला नगर फेज दो अटकने और दूसरी जमीन न होने से प्राधिकरण पुरानी बची हुई संपत्तियों को बेचकर जैसे-तैसे काम चला रहा है।

केडीए से वापस नहीं ले पाए 29 गांव

जिले के 29 गांव केडीए (कानपुर विकास प्राधिकरण) के विकास क्षेत्र में शामिल हैं। वर्ष 2017 में प्राधिकरण की बैठक में प्रस्ताव पास होने के बाद भी अब तक इन गांवों को वापस करने के लिए डी-नोटीफाई की प्रक्रिया पूरी नहीं हो पाई है। मालूम हो कि 1996 में गंगा बैराज के बीच के 13 राजस्व गांव केडीए में शामिल हुए थे। इसके बाद वर्ष 2000 में गंगोत्री टाउन शिप योजना के लिए शासन के निर्देश पर जिले के 16 और राजस्व गांव केडीए को दिए गए थे। इन्हें वापस लेने के लिए प्राधिकरण ने एक बार फिर कवायद शुरू करते हुए शासन को रिपोर्ट भेजी है।

मास्टर प्लान-2031 भी अटका पड़ा

शहर के विकास के लिए जो मास्टर प्लान तैयार किया गया था वह वर्ष 2001 तक के लिए प्रभावी था। मास्टर प्लान 2031 को वर्षों बाद भी मंजूरी नहीं मिल पाई है। कई बोर्ड बैठकों में इस पर चर्चा और संशोधन होने के बाद पिछले महीने मंजूरी मिल पाई है लेकिन शासन से मंजूरी मिलना बाकी है। इसके बाद आपत्तियां और सुझाव मांगे जाएंगे।

जितना किराया दिया, मकान बन जाता

आवास विकास कालोनी निवासी नीरज पांडेय ने बताया कि उन्होंने 2012 में प्लाट के लिए आवेदन किया था। अब तक किराये पर रह रहे हैं। जितना किराये पर खर्च कर चुके हैं, उतने में तो मकान बनकर तैयार हो जाता। उन्होंने बताया कि प्राधिकरण को जनता की समस्याओं से कोई सरोकार नहीं है।

उम्मीद के सिवा कुछ न मिला

शाहगंज निवासी निर्भय गुप्ता ने बताया कि उन्होंने भी निराला नगर योजना में प्लाट के लिए आवदेन किया था लेकिन अब तक प्लाट नहीं मिल पाया। बताया कि हर साल-छह महीने में उम्मीद की किरन दिखा दी जाती है। इसके बाद फिर सब ठंडे बस्ते में। बताया कि पता नहीं लॉटरी में प्लाट मिलेगा भी या नहीं।

तीन महीने से चार्ज, बेहतरी का प्रयास : उपाध्यक्ष

यूएसडीए के उपाध्यक्ष/सीडीओ दिव्यांशु पटेल ने बताया कि 26 मई 2022 को प्राधिकरण से उपाध्यक्ष का चार्ज संभाला है। तब से लगातार बेहतरी के प्रयास कर रहे हैं। केडीए से जिले के 29 गांव वापस लेने के लिए प्रभावी पैरवी की और शहरी नियोजन विभाग के उपसचिव को रिपोर्ट भेजकर डी-नोटीफाई के लिए पैरवी की है। बोर्ड बैठक में मास्टर प्लान 2031 को पास कराकर शासन को भेजा गया है। प्राधिकरण के सीमा विस्तार के लिए शासन को पत्र भेजा है। बताया कि शहर का सुंदरीकरण, सुनियोजित तरीके से विकास और आने वाले 10 साल में आबादी, तब की जरूरतों आदि को ध्यान में रखकर विकास प्राथमिकता में है।

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