हाईकोर्ट : पीएसी जवानों के स्थानांतरण के मामले में एकल पीठ को चुनौती

0
20

[ad_1]

ख़बर सुनें

पीएसी में स्थानांतरित किए गए जवानों के मामले में एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है। मामले में हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई जारी रही। अमित कुमार सिंह तथा 131 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ सुनवाई कर रही है।

मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने पीएसी में तैनात दीवान, कांस्टेबल तथा हेड कांस्टेबल का स्थानांतरण सात मई 2022 को आर्म्स कांस्टेबलरी में कर दिया था। लेकिन याचियों की ओर से यह कहते हुए कि आर्म्स कांस्टेबलरी दूसरा विभाग है, स्थानांतरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। दूसरे विभाग में पीएसी जवानों का स्थानांतरण नहीं हो सकता है। उन्हें पीएसी में ही एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है। वहीं यह स्थानांतरण किसी बोर्ड की ओर से नहीं किए जाने के कारण सात मई को एडिशनल सुपरिटेंडेंट पीएसी की ओर से किया गया स्थानांतरण गलत है।

हाईकोर्ट ने स्थानांतरण के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद में सुनवाई आगे बढ़ी तो अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और स्थायी अधिवक्ता विक्रम बहादुर यादव की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि यूपी में सिविल पुलिस आर्म्स कांस्टेबलरी, जीआरपी, अग्निशमन पुलिस, वन रक्षक पुलिस, माउंटेन पुलिस और जल पुलिस सभी एक हैं।

हाईकोर्ट ने प्रदेश पुलिस की सभी सेवाओं को एक मानते हुए पीएसी में तैनात जवानों की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए स्थानांतरित किए गए पीएसी जवानों को नई जगह पर ज्वाइनिंग का आदेश दिया था। ज्वाइनिंग न करने पर उनके खिलाफ  कार्रवाई का भी आदेश दिया था। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ  याची ने विशेष अपील दाखिल की, जिस पर दो जजों की पीठ सुनवाई कर रही है।

यह भी पढ़ें -  एक कांवड़िया की मौत, 20 घायल: फिरोजाबाद और एटा के अलग-अलग जगहों पर हुए सड़क हादसे

विस्तार

पीएसी में स्थानांतरित किए गए जवानों के मामले में एकल पीठ के फैसले को चुनौती दी गई है। मामले में हाईकोर्ट में सोमवार को सुनवाई जारी रही। अमित कुमार सिंह तथा 131 अन्य की याचिका पर न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा और न्यायमूर्ति मोहम्मद अजहर हुसैन इदरीसी की पीठ सुनवाई कर रही है।

मामले में उत्तर प्रदेश सरकार ने पीएसी में तैनात दीवान, कांस्टेबल तथा हेड कांस्टेबल का स्थानांतरण सात मई 2022 को आर्म्स कांस्टेबलरी में कर दिया था। लेकिन याचियों की ओर से यह कहते हुए कि आर्म्स कांस्टेबलरी दूसरा विभाग है, स्थानांतरण को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई। दूसरे विभाग में पीएसी जवानों का स्थानांतरण नहीं हो सकता है। उन्हें पीएसी में ही एक से दूसरे स्थान पर स्थानांतरित किया जा सकता है। वहीं यह स्थानांतरण किसी बोर्ड की ओर से नहीं किए जाने के कारण सात मई को एडिशनल सुपरिटेंडेंट पीएसी की ओर से किया गया स्थानांतरण गलत है।

हाईकोर्ट ने स्थानांतरण के आदेश पर रोक लगा दी थी। बाद में सुनवाई आगे बढ़ी तो अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल और स्थायी अधिवक्ता विक्रम बहादुर यादव की ओर से तर्क प्रस्तुत किया गया कि यूपी में सिविल पुलिस आर्म्स कांस्टेबलरी, जीआरपी, अग्निशमन पुलिस, वन रक्षक पुलिस, माउंटेन पुलिस और जल पुलिस सभी एक हैं।

हाईकोर्ट ने प्रदेश पुलिस की सभी सेवाओं को एक मानते हुए पीएसी में तैनात जवानों की ओर से दाखिल याचिका को खारिज करते हुए स्थानांतरित किए गए पीएसी जवानों को नई जगह पर ज्वाइनिंग का आदेश दिया था। ज्वाइनिंग न करने पर उनके खिलाफ  कार्रवाई का भी आदेश दिया था। एकल पीठ के फैसले के खिलाफ  याची ने विशेष अपील दाखिल की, जिस पर दो जजों की पीठ सुनवाई कर रही है।

[ad_2]

Source link

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here