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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने तीन बच्चों सहित सौतेली मां की कुल्हाड़ी से हत्या करने के आरोपी को सत्र अदालत की ओर से दी गई उम्रकैद तथा एक लाख जुर्माने की सजा को सही माना है। कोर्ट ने कहा है कि चश्मदीद गवाह रिश्ते में होने से उनकी गवाही तथा परिस्थितिजन्य साक्ष्य की अनदेखी नहीं की जा सकती।
कोर्ट ने जेल में कैद आरोपी को सजा पूरी करने का आदेश देते हुए अपील खारिज कर दी है। यह आदेश न्यायमूर्ति सुनीत कुमार तथा न्यायमूर्ति ज्योत्सना शर्मा की खंडपीठ ने शमशाद की सजा के खिलाफ अपील की सुनवाई करते हुए दिया है।
मामले में शमशाद ने 26 अगस्त 2009 की रात सौतेली मां, दो बहनों रुखसाना (12), फरजाना (6) और भाई फैजान (6) की कुल्हाड़ी से हत्या कर दी और कुल्हाड़ी लेकर भाग गया। पिता ने थाना अफजलगंज, बिजनौर में प्राथमिकी दर्ज कराई। दो चश्मदीद गवाह छोटे, सिराजुद्दीन के बयान तथा परिस्थितिजन्य साक्ष्यों के आधार पर सत्र अदालत बिजनौर ने उम्र कैद की सजा सुनाई। हाईकोर्ट ने सजा की पुष्टि कर दी।
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