दुबई से लेकर दूसरे खाड़ी देशों को बासमती चावल सीधे उत्तर प्रदेश के बिजनौर से ही निर्यात हो सकेगा। अभी तक जो धान बाहर जाता है, जिसकी कुटाई करनाल की चावल मिल में होती है। अब जिले में भी उन्नत तकनीक से लैस मशीनों की चावल मिल लगेगी। दुबई के एक चावल निर्यातक को जिला प्रशासन ने राजी कर लिया है, जो चावल मिल की स्थापना में निवेश करेगा।
बासमती चावल कोमल, सुगंधित और लंबा होता है। भारत के बासमती चावल की विदेशों में खूब मांग रहती है। यूं तो जिले में बासमती धान की खूब पैदावार होती है, लेकिन कोई चावल मिल उन्नत तकनीक वाली नहीं है। प्रशासन की मानें तो बिजनौर से बासमती धान बाहर जाता है, जिसकी करनाल में कुटाई करके चावल निकाल लिया जाता है। क्योंकि बासमती धान की कुटाई के लिए उन्नत मशीनों की जरूरत होती है, वरना यह चावल टूट जाता है।
एक कोना भी इस चावल का टूट जाए तो विदेशों में निर्यात के लिए उपयुक्त नहीं रहता। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने दुबई के निर्यातक से समझौता किया है। जिसके तहत निर्यातक उन्नत तकनीक की चावल मिल लगाने के लिए राजी हो गया है। धान की उपज आने के बाद चावल मिल लगाने की कवायद तेज हो जाएगी। हालांकि निर्यातक ने प्रशासन से अच्छी खासी मात्रा में बासमती धान उपलब्ध कराने की शर्त रखी है।
किसानों को मिलेगी अच्छी कीमत
जिले में ही बासमती की कुटाई होने के बाद चावल सीधे निर्यात होगा तो किसानों को भी इसका फायदा मिलना तय है। ऐसे में बासमती की मांग बढ़ जाएगी। धान खरीदकर करनाल और दूसरी जगहों पर पहुंचाने वाले बिचौलिए भी गायब हो जाएंगे। किसान सीधे चावल मिल में धान बेचेंगे तो मुनाफा भी बढ़ेगा।
चीनी यात्री हेन त्सांग हर्षवर्धन के शासन काल में भारत आया। बताया जाता है कि वह नगीना के रास्ते बिजनौर भी पहुंचा था और मंडावर में भी रहा। उसने भारत के बारे में अपनी किताब में लिखते हुए नगीना के बासमती धान की खुशबू का जिक्र किया था। बता दें कि पहले बिजनौर में बासमती धान की एक ऐसी प्रजाति थी, जिसके खेत के पास से निकलने पर ही चावल की महक आती थी।
धान के रकबे पर एक नजर प्रजाति रकबा हेक्टेयर में बासमती 34 हजार मोटा धान 14 हजार संकर धान 08 हजार
दुबई के एक चावल निर्यातक से बात चल रही है, जो बिजनौर में निवेश करते हुए उन्नत तकनीक वाली चावल मिल की स्थापना करेगा। इस मिल में बासमती का चावल टूट नहीं पाएगा। जिससे एक अच्छी प्रजाति के चावल का जिले से सीधे ही निर्यात हो सकेगा – उमेश मिश्रा, डीएम
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दुबई से लेकर दूसरे खाड़ी देशों को बासमती चावल सीधे उत्तर प्रदेश के बिजनौर से ही निर्यात हो सकेगा। अभी तक जो धान बाहर जाता है, जिसकी कुटाई करनाल की चावल मिल में होती है। अब जिले में भी उन्नत तकनीक से लैस मशीनों की चावल मिल लगेगी। दुबई के एक चावल निर्यातक को जिला प्रशासन ने राजी कर लिया है, जो चावल मिल की स्थापना में निवेश करेगा।
बासमती चावल कोमल, सुगंधित और लंबा होता है। भारत के बासमती चावल की विदेशों में खूब मांग रहती है। यूं तो जिले में बासमती धान की खूब पैदावार होती है, लेकिन कोई चावल मिल उन्नत तकनीक वाली नहीं है। प्रशासन की मानें तो बिजनौर से बासमती धान बाहर जाता है, जिसकी करनाल में कुटाई करके चावल निकाल लिया जाता है। क्योंकि बासमती धान की कुटाई के लिए उन्नत मशीनों की जरूरत होती है, वरना यह चावल टूट जाता है।
एक कोना भी इस चावल का टूट जाए तो विदेशों में निर्यात के लिए उपयुक्त नहीं रहता। इस स्थिति से निपटने के लिए प्रशासन ने दुबई के निर्यातक से समझौता किया है। जिसके तहत निर्यातक उन्नत तकनीक की चावल मिल लगाने के लिए राजी हो गया है। धान की उपज आने के बाद चावल मिल लगाने की कवायद तेज हो जाएगी। हालांकि निर्यातक ने प्रशासन से अच्छी खासी मात्रा में बासमती धान उपलब्ध कराने की शर्त रखी है।