PFI: पीएफआई से जुड़े संदिग्धों की धरपकड़ जारी, 50 से अधिक स्लीपर सेल एसटीएफ के रडार पर

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नेपाल सीमा से सटे होने के कारण जिले में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई की सक्रियता को लेकर खुफिया पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है। इसके चलते ही एसटीएफ की रडार पर माने जाने वाले 50 से अधिक स्लीपर सेल बने संदिग्धों की धरपकड़ को पुलिस व एसटीएफ की दबिश का दौर जारी है। नेपाल बार्डर के सटे इलाकों में मौजूद खुफिया एजेंसी के अधिकारी आम लोगों की तरह क्षेत्रीय निवासियों के बीच घुल मिलकर स्लीपर सेल बने संदिग्धों की जानकारी जुटाने में लगे हैं। इसी कारण गुपचुप तौर पर हर दिन दो से तीन लोगों की धरपकड़ कर उनसे पूरी कड़ाई के साथ पूंछताछ भी की जा रही है। इसी कड़ी में रिसिया थाना क्षेत्र से पीएफआई के एक सक्रिय सदस्य को एसटीएफ गिरफ्तार भी कर चुकी है।

केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई व उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही देश की सुरक्षा से जुड़ी एनआईए, एसटीएफ, आईबी जैसी एजेंसियां जिले में पूरी तरह सक्रिय बनी हैं। सूत्रों के अनुसार खुफिया पुलिस की यह इकाई गुपचुप तौर पर जिले में सक्रिय पीएफआई के 50 से अधिक स्लीपर सेल बने संदिग्धों की धरपकड़ में जुटी है। लखनऊ से पकड़े एसडीपीआई नेता की निशानदेही पर एसटीएफ रिसिया थाना क्षेत्र के रहने वाले एक पीएफआई सदस्य उसके भाई व एक अन्य को दबोच कर उनसे कड़ी पूछताछ भी कर रही है। गिरफ्तार सदस्य पेशे से शिक्षक है और शहर के सलारगंज मोहल्ला स्थिति एक संस्थान में पढ़ाता था। जांच एजेंसी पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ के साथ ही उनकी गतिविधियों से जुड़े सक्रिय स्थानों की पड़ताल भी कर रही है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों के लोग सिविल ड्रेस में आम लोगों के बीच घुलमिल कर जानकारी जुटाने में लगे हैं।

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एसटीएफ की गिरफ्त में आएशिक्षक की माली हालत पहले काफी खराब बताई जाती थी। पीएफआईसी से जुड़ने के बाद उसकी आर्थिक स्थित में तेजी से सुधार हुआ और वह संपन्न लोगों की श्रेणी में शुमार दिखने लगा। हालांकि रिसिया के बभनी सईदा गांव के ग्रामीण इस संबंध में कोई भी जानकारी सांझा करने से बचते हैं। सभी का बस यही कहना था कि वह काफी दिनों से गांव भी नहीं आया था।

धार्मिक उन्माद मचाने वालों संगठनों के लिए भारत-नेेपाल सीमा पहले से ही काफी पसंदीदा जगह है। दो साल पहले हाथरस कांड केे बाद फैले उन्माद में जरवल निवासी पीएफआई सदस्य को मथुरा में गिरफ्तार किया गया था। बीते दिनों भी जरवल से पीएफआई सदस्य कमरुद्दीन को एसटीएफ गिरफ्तार कर अपने साथ पूछताछ के लिए ले गयी थी। इससे पहले भी जरवल के रहने वाले साहबे आलम को पुलिस आपत्तिजनक बयानबाजी के एक मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। इसी कारण पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों ने जिले में अपना डेरा डाल रखा है। हालांकि एसपी केशव कुमार चौधरी ने पीएफआई से जुड़े किसी भी सदस्य की गिरफ्तारी के संबंध में कोई भी जानकारी से इंकार किया। बताया कि बार्डर व जिले मे संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया गया है।

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नेपाल सीमा से सटे होने के कारण जिले में प्रतिबंधित संगठन पीएफआई की सक्रियता को लेकर खुफिया पुलिस पूरी तरह मुस्तैद है। इसके चलते ही एसटीएफ की रडार पर माने जाने वाले 50 से अधिक स्लीपर सेल बने संदिग्धों की धरपकड़ को पुलिस व एसटीएफ की दबिश का दौर जारी है। नेपाल बार्डर के सटे इलाकों में मौजूद खुफिया एजेंसी के अधिकारी आम लोगों की तरह क्षेत्रीय निवासियों के बीच घुल मिलकर स्लीपर सेल बने संदिग्धों की जानकारी जुटाने में लगे हैं। इसी कारण गुपचुप तौर पर हर दिन दो से तीन लोगों की धरपकड़ कर उनसे पूरी कड़ाई के साथ पूंछताछ भी की जा रही है। इसी कड़ी में रिसिया थाना क्षेत्र से पीएफआई के एक सक्रिय सदस्य को एसटीएफ गिरफ्तार भी कर चुकी है।

केंद्र सरकार द्वारा पीएफआई व उसके सहयोगी संगठनों पर प्रतिबंध लगाए जाने के बाद से ही देश की सुरक्षा से जुड़ी एनआईए, एसटीएफ, आईबी जैसी एजेंसियां जिले में पूरी तरह सक्रिय बनी हैं। सूत्रों के अनुसार खुफिया पुलिस की यह इकाई गुपचुप तौर पर जिले में सक्रिय पीएफआई के 50 से अधिक स्लीपर सेल बने संदिग्धों की धरपकड़ में जुटी है। लखनऊ से पकड़े एसडीपीआई नेता की निशानदेही पर एसटीएफ रिसिया थाना क्षेत्र के रहने वाले एक पीएफआई सदस्य उसके भाई व एक अन्य को दबोच कर उनसे कड़ी पूछताछ भी कर रही है। गिरफ्तार सदस्य पेशे से शिक्षक है और शहर के सलारगंज मोहल्ला स्थिति एक संस्थान में पढ़ाता था। जांच एजेंसी पकड़े गए संदिग्धों से पूछताछ के साथ ही उनकी गतिविधियों से जुड़े सक्रिय स्थानों की पड़ताल भी कर रही है। इसके लिए सुरक्षा एजेंसियों के लोग सिविल ड्रेस में आम लोगों के बीच घुलमिल कर जानकारी जुटाने में लगे हैं।

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एसटीएफ की गिरफ्त में आएशिक्षक की माली हालत पहले काफी खराब बताई जाती थी। पीएफआईसी से जुड़ने के बाद उसकी आर्थिक स्थित में तेजी से सुधार हुआ और वह संपन्न लोगों की श्रेणी में शुमार दिखने लगा। हालांकि रिसिया के बभनी सईदा गांव के ग्रामीण इस संबंध में कोई भी जानकारी सांझा करने से बचते हैं। सभी का बस यही कहना था कि वह काफी दिनों से गांव भी नहीं आया था।

धार्मिक उन्माद मचाने वालों संगठनों के लिए भारत-नेेपाल सीमा पहले से ही काफी पसंदीदा जगह है। दो साल पहले हाथरस कांड केे बाद फैले उन्माद में जरवल निवासी पीएफआई सदस्य को मथुरा में गिरफ्तार किया गया था। बीते दिनों भी जरवल से पीएफआई सदस्य कमरुद्दीन को एसटीएफ गिरफ्तार कर अपने साथ पूछताछ के लिए ले गयी थी। इससे पहले भी जरवल के रहने वाले साहबे आलम को पुलिस आपत्तिजनक बयानबाजी के एक मामले में गिरफ्तार कर चुकी है। इसी कारण पीएफआई पर प्रतिबंध लगने के बाद से ही सुरक्षा एजेंसियों ने जिले में अपना डेरा डाल रखा है। हालांकि एसपी केशव कुमार चौधरी ने पीएफआई से जुड़े किसी भी सदस्य की गिरफ्तारी के संबंध में कोई भी जानकारी से इंकार किया। बताया कि बार्डर व जिले मे संदिग्ध गतिविधियों पर पैनी नजर रखने के लिए पुलिस कर्मियों को निर्देशित किया गया है।



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