निकाय चुनाव की सुगबुगाहट के बीच केंद्र व प्रदेश में सत्तासीन भाजपा अल्पसंख्यकों में अपनी पैठ बनाने की कवायद में जुट गई है। निकाय चुनाव में पूर्वांचल को क्लीन स्वीप करने की खास रणनीति की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए मंगलवार को गृहमंत्री व भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वाराणसी आएंगे।
इस दौरान काशी क्षेत्र के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ वे अलग-अलग बैठक कर पूर्वांचल की नब्ज भी टटोलेंगे। उनके वाराणसी दौरे की तैयारियों को मूर्त रूप देने के लिए पार्टी स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। फिलहाल अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में वर्ष 2014 के आम चुनाव से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बीच हुए मतदान के आंकड़े की समीक्षा भी कराई जा रही है।
वाराणसी में तीन घंटे रहेंगे गृहमंत्री
पूर्वांचल की सियासी नब्ज पर मजबूत पकड़ रखने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को दोपहर बाद वाराणसी पहुंचेंगे। यहां करीब तीन घंटे वे रुकेंगे, ऐसे में पार्टी पदाधिकारी तैयारी में जुटे हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो वाराणसी नगर निगम में संभावित प्रत्याशियों पर चर्चा के साथ ही अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मोर्चा पदाधिकारियों की भूमिका पर चर्चा हो सकती है।
इसके लिए दावेदारों के साथ ही जातीय समीकरण के हिसाब से संभावित नामों की सूची भी तैयार की जा रही है। इसके अलावा गुजरात चुनाव में पूर्वांचल के नेताओं की भूमिका भी तय की जाएगी। दरअसल, गुजरात के कई शहरों में उत्तर भारतीय मतदाता निर्णायक भूमिका में हैं।
ऐसे में वाराणसी के साथ ही पूर्वांचल के अन्य जिलों के पदाधिकारियों को वहां की जिम्मेदारी सौंपी जानी है। पार्टी के एक पदाधिकारी ने बताया कि गृहमंत्री व पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष के वाराणसी आगमन से पहले कई स्तर पर बैठक कर निकाय चुनाव के साथ ही गुजरात चुनाव में भूमिका की कार्ययोजना बनाई जा रही है।
गृहमंत्री अमित शाह के आगमन को लेकर रविवार को एयरपोर्ट पर एएसएल बैठक की गई। इस दौरान जिला प्रशासन और एयरपोर्ट प्रबंधन की ओर से तैयारियों पर चर्चा हुई। गृहमंत्री अमित शाह 11 अक्तूबर को बीएसएफ के विशेष विमान से वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचेंगे। इसके बाद लोकनायक जयप्रकाश की जयंती के अवसर पर होने वाले कार्यक्रम में शामिल होने के लिए हेलीकॉप्टर से बिहार प्रस्थान करेंगे।
वहां से लगभग 3.15 बजे गृहमंत्री वाराणसी एयरपोर्ट पहुंचेंगे और सड़क मार्ग होते हुए सर्किट हाउस के लिए प्रस्थान करेेंगे। गृहमंत्री के आगमन को देखते एयरपोर्ट अधिकारियों ने रनवे एप्रन सहित एयरपोर्ट के आसपास सुरक्षा व्यवस्था का जायजा दुरुस्त करने पर चर्चा की। इस दौरान एयरपोर्ट निदेशक अर्यमा सान्याल, सीआरपीएफ सीनियर कमांडेंट अजय कुमार, स्वास्थ्य विभाग के अधिकारी, आईबी इंस्पेक्टर, संजय रावत आदि मौजूद रहे।
सिताबदियारा के लाला टोला में जेपी जयंती पर भारत सरकार के गृहमंत्री के आगमन पर ज्यादा से ज्यादा भीड़ जुटाने और कार्यक्रम के प्रचार-प्रसार का कार्य सांसद वीरेंद्र सिंह मस्त, सांसद नीरज शेखर और बिहार प्रदेश अध्यक्ष संजय जायसवाल ने रविवार को संभाल लिया। सारण के जिलाधिकारी राजेश मीणा और एसपी संतोष कुमार के अलावा बैरिया सीओ और एसएचओ ने भी कार्यक्रम स्थल का जायजा लिया।
11 अक्तूबर को सिताबदियारा में केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह, केंद्रीय मंत्री अश्वनी चौबे, किशन रेड्डी सहित कई मंत्री जेपी को श्रद्धासुमन अर्पित करने के लिए आ रहे हैं। वहीं, मुख्यमंत्री के भी कार्यक्रम में शामिल होने की संभावना है। इसके चलते यूपी बिहार दोनों तरफ के प्रशासनिक अधिकारी सक्रिय हो गए हैं। उत्तर प्रदेश और बिहार प्रदेश की भाजपा इकाई भी कमर कस कर यहां की तैयारी में जुट गई है।
विस्तार
निकाय चुनाव की सुगबुगाहट के बीच केंद्र व प्रदेश में सत्तासीन भाजपा अल्पसंख्यकों में अपनी पैठ बनाने की कवायद में जुट गई है। निकाय चुनाव में पूर्वांचल को क्लीन स्वीप करने की खास रणनीति की पृष्ठभूमि तैयार करने के लिए मंगलवार को गृहमंत्री व भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह वाराणसी आएंगे।
इस दौरान काशी क्षेत्र के प्रमुख पदाधिकारियों के साथ वे अलग-अलग बैठक कर पूर्वांचल की नब्ज भी टटोलेंगे। उनके वाराणसी दौरे की तैयारियों को मूर्त रूप देने के लिए पार्टी स्तर पर बैठकों का दौर शुरू हो गया है। फिलहाल अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में वर्ष 2014 के आम चुनाव से वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव के बीच हुए मतदान के आंकड़े की समीक्षा भी कराई जा रही है।
वाराणसी में तीन घंटे रहेंगे गृहमंत्री
पूर्वांचल की सियासी नब्ज पर मजबूत पकड़ रखने वाले भाजपा के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह मंगलवार को दोपहर बाद वाराणसी पहुंचेंगे। यहां करीब तीन घंटे वे रुकेंगे, ऐसे में पार्टी पदाधिकारी तैयारी में जुटे हैं। पार्टी के उच्च पदस्थ सूत्रों की मानें तो वाराणसी नगर निगम में संभावित प्रत्याशियों पर चर्चा के साथ ही अल्पसंख्यक बहुल इलाकों में मोर्चा पदाधिकारियों की भूमिका पर चर्चा हो सकती है।