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मैनपुरी में मुलायम सिंह यादव की सियासत ऐसी थी कि 1989 से आज तक लोकसभा चुनाव में कोई भी मुलायम या उनके चुने हुए प्रत्याशी को शिकस्त नहीं दे सका। 1996 में मैनपुरी से ही जीतकर मुलायम सिंह यादव केंद्र सरकार में रक्षा मंत्री भी बने। 2019 में आखिरी बार खुद नेताजी ने मैनपुरी सीट से लोकसभा का चुनाव लड़ा और जीता। वर्तमान में वह मैनपुरी सीट से सांसद थे।
मुलायम की बनाई समाजवादी पार्टी की विरासत तो पहले ही अखिलेश यादव संभाल चुके हैं, लेकिन मैनपुरी की विरासत कौन संभालेगा, इसका हर किसी को इंतजार है। खुद मैनपुरी भी अपने उत्तराधिकारी का इंतजार है। सवाल ये भी है कि जो भी मैनपुरी में मुलायम की विरासत संभालेगा, क्या उसका वही रिश्ता मैनपुरी की जनता से बन पाएगा जो मुलायम का था।
मैनपुरी में नेताजी की विरासत संभालने के लिए चार चेहरों पर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं। इसमें सबसे पहला स्थान उनके बेटे और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव का ही आता है। लेकिन सवाल ये है कि अखिलेश यादव करहल सीट से विधायक हैं और सदन में नेता प्रतिपक्ष भी हैं। ऐसे में अगर वह मैनपुरी में मुलायम की विरासत संभालते हैं तो उन्हें ये दोनों पद छोड़ने होंगे।
इसके बाद दूसरे नंबर पर हैं मुलायम सिंह यादव के भतीजे धर्मेंद्र यादव। वह 2004 में नेताजी के सीट छोड़ने पर मैनपुरी सीट से सांसद रह चुके हैं। तीसरे स्थान पर नेताजी के पौत्र तेजप्रताप यादव आते हैं। तेजप्रताप यादव भी 2014 में मैनपुरी सीट से सांसद रह चुके हैं। नेताजी के स्वास्थ्य में गिरावट के मैनपुरी की राजनीति में उनका खास दखल भी है। इसके साथ ही मुलायम सिंह यादव की पुत्रवधू और सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल यादव का नाम भी इस सूची में आता है। हालांकि मैनपुरी की विरासत कौन संभालेगा, इसके लिए अभी और इंतजार करना होगा।
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