Mainpuri: मुलायम सिंह को कभी नहीं भुला पाएंगी वीर नारियां, शहीद जवानों के सम्मान में लिया था ऐतिहासिक फैसला

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कारगिल युद्ध में मैनपुरी के पांच वीर सपूत देश की खातिर कुर्बान हो गए थे। शौर्य और पराक्रम से उन्होंने पाकिस्तानी सैनिकों के छक्के छुड़ा दिए थे। उनके गांवों में बने वीर स्थल वीर गाथा बयां कर रहे हैं। कारगिल शहीदों की वीर नारियां मुलायम सिंह यादव के निधन की बात सुनकर शोक में डूब गईं। उनका कहना है कि ऐसा नेता जिसके एक निर्णय से ही उन्हें अपने पति के अंतिम दर्शन हो सके थे, नेताजी को हमेशा याद किया जाएगा। वर्ष 1996 से पहले देश के लिए शहीद होने वाले सैनिकों के शव उनके घर नहीं पहुंचाए जाते थे। केवल उनके वस्त्र ही उनके घर पहुंचते थे। मुलायम सिंह यादव ने वर्ष 1996 में रक्षामंत्री बनने के बाद निर्णय लिया था कि शहीदों के शव सरकारी खर्च से उनके घर तक पहुंचाए जाएंगे और पूरे सैन्य सम्मान के साथ उनका अंतिम संस्कार किया जाएगा। मुलायम के इस फैसले की बदौलत ही कारगिल युद्ध के दौरान शहीद होने वाले मैनपुरी के जवानों के शव उनके घर पहुंच सके थे। 

हमेशा याद रहेंगे नेताजी 

कारगिल चोटी पर पाक सैनिकों को मुंहतोड़ जवाब देते हुए बेवर के गांव गढ़िया घुटारा के ग्रेनेडियर सिपाही मुनीष कुमार तीन जून को शहीद हो गए थे। शहीद की पत्नी मंजू देवी वर्तमान में भरथना में बच्चों के साथ रहकर गैस एजेंसी का संचालन करती हैं। मंजू का कहना है कि नेताजी मुलायम सिंह यादव की बदौलत ही उन्हें कारगिल युद्ध में उनके पति के शहीद होने के बाद उनके पति के अंतिम दर्शन हो सके थे। ऐसे महान नेता को भुलाना मुश्किल होगा। 

 

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सैनिकों को बड़ा सम्मान दिला गए नेताजी : सुमन यादव 

गांव अंजनी के ग्रेनेडियर सिपाही प्रवीन कुमार ने दुश्मनों से लोहा लेते हुए वर्ष 1999 में तीन जून को शहादत पाई थी। गांव अंजनी में बना शहीद स्मारक शौर्य गाथा का बखान कर रहा है। वर्ष 2000 में प्रवीन के शहीद स्मारक के उद्घाटन अवसर पर मुलायम सिंह यादव उनके गांव अंजनी पहुंचे थे। सुमन का कहना था कि नेताजी सैनिकों को एक बड़ा सम्मान दिला गए। उनकी बदौलत ही वीर सैनिकों के शव उनकी जन्मभूमि तक पहुंच पा रहे हैं।

सैनिकों के लिए बहुत बड़ा काम कर गए नेताजी : मोमना  

किशनी विकास खंड के गांव दिवन्नपुर साहिनी के ग्रेनेडियर हवलदार अमरुद्दीन दुश्मनों को करारा जवाब देते हुए वर्ष 1999 में तीन जुलाई को देश की सेवा करते हुए देश के लिए कुर्बान हो गए। शहीद की पत्नी मोमना बेगम का कहना है कि मुलायम सिंह यादव ने यदि शहीदों के शव घर पहुंचाने की व्यवस्था ना की होती तो उन्हें अपने पति के अंतिम दर्शन करने का अवसर नहीं मिल पाता। मुलायम सिंह यादव सैनिकों के लिए एक बड़ा काम कर गए।

मंगलवार को मुलायम सिंह यादव पंचतत्व में विलीन हो गए। उनका अंतिम संस्कार उनके पैतृक गांव सैफई में हुआ। मैनपुरी में जगह-जगह श्रद्धांजलि सभाएं हुईं। स्कूलों में अवकाश रहा और बाजार बंद रहे। हजारों की संख्या में समर्थक अपने नेता को अंतिम विदाई देने के लिए मैनपुरी से सैफई पहुंचे। वहां नेताजी मुलायम सिंह यादव को अंतिम विदाई दी। 



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