केंद्रीय पुस्तकालय की छत से गिर रहा प्लास्टर – फोटो : अमर उजाला
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छत से प्लास्टर और ईंटें गिर रहीं हैं, अलमारी और रैक भी टूटी हुई। पुस्तकें बदहाल स्थिति में रखी हुई हैं। ये हाल है आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का है। यहां के तीन कमरे गिरासू हैं और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सैकड़ों पुस्तकें नष्ट होने की कगार पर हैं। पिछले महीने निरीक्षण के दौरान राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए मरम्मत की हिदायत दी थी, जो अभी तक सुनी नहीं गई है।
विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में 1.74 लाख पुस्तकों का भंडार है। यहां पर दूसरी मंजिल पर दो और तीसरी मंजिल के एक कमरे की छत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इसकी ईंटें गिर रहीं हैं और सरिया तक टूट गई हैं। मुख्य हॉल का प्लास्टर टूटा हुआ है, इसके नीचे ही छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं।
यहां अलमारियों के शीशे टूटे हैं, कई अलमारियां भी टूटी हुई हैं। खिड़की भी टूटी हुई हैं, जिसमें बंदर आकर भी पुस्तकों को नुकसान पहुंचाते हैं। सीलन और दुर्गंध से भी बुरा हाल है। इससे दीमक भी पनप रही हैं। इससे सैकड़ों पुस्तकें रद्दी हो चली हैं। छत टूटी होने से बारिश का पानी किताबों तक पहुंच रहा है।
मरम्मत में धांधली के आरोप
डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष गौरव शर्मा का कहना है कि पुस्तकालय की मरम्मत के नाम पर राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत 40 लाख रुपये ठिकाने लगा दिए। इसमें धांधली की शिकायत करते हुए प्रदर्शन किए, लेकिन विश्वविद्यालय प्रशासन ने जांच नहीं कराई।
हादसे की आशंका
समाजवादी छात्र सभा के प्रदेश सचिव रवि यादव ने कहा कि रूसा के तहत 40 लाख खर्च होने पर भी पुस्तकालय की दशा ठीक नहीं हुई। पूर्व के अधिकारियों से कई बार शिकायत की, लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। किसी दिन बड़ा हादसा होने की आशंका है, नई कुलपति से भी इसकी मरम्मत की मांग करेंगे।
कुलपति प्रोफेसर आशु रानी ने कहा कि पुस्तकालय का निरीक्षण किया है, इसकी दशा वाकई में खराब है। ये इमारत 95 साल पुरानी है। इसकी एएसआई के अधिकारी और तकनीकी विशेषज्ञों से बातचीत की जा रही है। इसका वैज्ञानिक ढंग से सर्वे कराके रिपोर्ट के आधार पर मरम्मत या कंडम घोषित का निर्णय लिया जाएगा।
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छत से प्लास्टर और ईंटें गिर रहीं हैं, अलमारी और रैक भी टूटी हुई। पुस्तकें बदहाल स्थिति में रखी हुई हैं। ये हाल है आगरा के डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय का है। यहां के तीन कमरे गिरासू हैं और कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सैकड़ों पुस्तकें नष्ट होने की कगार पर हैं। पिछले महीने निरीक्षण के दौरान राज्यपाल ने नाराजगी जताते हुए मरम्मत की हिदायत दी थी, जो अभी तक सुनी नहीं गई है।
विश्वविद्यालय के केंद्रीय पुस्तकालय में 1.74 लाख पुस्तकों का भंडार है। यहां पर दूसरी मंजिल पर दो और तीसरी मंजिल के एक कमरे की छत बुरी तरह से क्षतिग्रस्त है। इसकी ईंटें गिर रहीं हैं और सरिया तक टूट गई हैं। मुख्य हॉल का प्लास्टर टूटा हुआ है, इसके नीचे ही छात्र-छात्राएं अध्ययन करते हैं।
यहां अलमारियों के शीशे टूटे हैं, कई अलमारियां भी टूटी हुई हैं। खिड़की भी टूटी हुई हैं, जिसमें बंदर आकर भी पुस्तकों को नुकसान पहुंचाते हैं। सीलन और दुर्गंध से भी बुरा हाल है। इससे दीमक भी पनप रही हैं। इससे सैकड़ों पुस्तकें रद्दी हो चली हैं। छत टूटी होने से बारिश का पानी किताबों तक पहुंच रहा है।