चंद पुलिस वालों की करतूत से पुलिस महकमा पहले भी बदनाम हो चुका है। लूट, रंगदारी, फिरौती, हत्या जैसे अपराधों में पुलिसकर्मी जेल जा चुके हैं। लेकिन, थाने से चोरी कराने का अपने आप में यह पहला मामला सामने आया है। जिस थाने में दीवान दूसरों के अपराध का हिसाब करता था, मंगलवार को उसी थाने से जेल भेजा गया है।
जानकारी के मुताबिक, संगीन धाराओं में अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने वाले पुलिसकर्मी कई बार महकमे की बदनामी का कारण बने हैं। गोरखपुर रेंज में ही बीते वर्षों में कई पुलिस वाले इसका उदाहरण हैं, जो अपराध से नाता रख चुके हैं। वर्दी वालों पर जब भी आरोप लगे हैं, संगीन रहे हैं। कोई छोटा मामला नहीं रहा है। कभी हत्या तो कभी अपहरण कर फिरौती, दुष्कर्म जैसे अपराध में इनकी संलिप्तता मिली है।
गोरखपुर में एसएसपी रहे सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। उनके कार्यकाल के दौरान उरूवा थाने में तैनात दरोगाओं पर 18 दिसंबर 2017 को अपहरण कर रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। एक बार फिर लंबे समय बाद उसी तेवर में कार्रवाई होने से महकमे में कई तरह की चर्चाएं हैं। सभी अफसरों की सख्ती की प्रशंसा कर रहे हैं। वहीं, दागदार छवि वाले पुलिसकर्मियों में हड़कंप है। पुलिस वालों ने इस कार्रवाई को ‘जैसे को तैसा’ का नाम भी दे डाला है।
28 जून 2022: पिपराइच थाने में दरोगा अखिल कुमार सिंह, सिपाही आकाश सिंह पर भ्रष्टाचार का केस दर्ज किया गया।
24 जुलाई 2022: खजनी थाने में मऊधरपुर गांव में लखनऊ में तैनात सिपाही प्रमोद यादव और उसके भाई एसएसबी में तैनात रहे भगवान दास यादव पर हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया गया।
27 सितंबर 2021 : रामगढ़ताल इलाके के होटल कृष्णा पैलेस में कानपुर के व्यापारी मनीष गुप्ता की हत्या हुई थी। इस मामले में तत्कालीन इंस्पेक्टर जेएन सिंह, दरोगा अक्षय मिश्रा, राहुल दुबे, विजय यादव, सिपाही कमलेश यादव, प्रशांत सिंह हत्या के आरोपी बनाए गए थे। वर्तमान में सभी जेल में बंद हैं।
21 जनवरी 2021 : स्वर्ण व्यापारी का अपहरण कर नौसड़ के पास 30 लाख रुपये की लूट हुई। पुलिस ने पर्दाफाश कर बस्ती में तैनात दरोगा धर्मेंद्र यादव, सिपाही महेंद्र यादव व संतोष यादव को गिरफ्तार कर लूटे गए जेवर व नकदी को बरामद किया था। जांच में यह भी पता चला कि पुलिसकर्मियों ने इससे पहले 80 लाख के जेवर भी लूटे थे। सभी जेल भेजे गए थे।
22 मई 2019: वरिष्ठ मानसिक रोग विशेषज्ञ डॉक्टर रामशरण श्रीवास्तव से रंगदारी वसूलने पर चौकी इंचार्ज रहे शिव प्रकाश सिंह और कथित पत्रकार प्रणव त्रिपाठी पर केस दर्ज हुआ।
25 दिसंबर 2020: गोला थाने में तैनात दरोगा विवेक चतुर्वेदी के खिलाफ भ्रष्टाचार की धाराओं में केस दर्ज किया गया। उसी दिन पुलिस ने गोवंश तस्करी में देवरिया के सलेमपुर थाने में तैनात सिपाही रामानंद यादव को जेल भेजा था।
18 दिसंबर 2017: उरूवा थाने में तैनात रहे ट्रेनी दरोगा अभिजीत कुमार और रघुनंदन त्रिपाठी को अपहरण कर फिरौती के आरोप में गिरफ्तार किया गया था।
2006 में कुशीनगर जिले के एक कारखाने में युवक की हत्या हुई थी। इसमें तब दरोगा रहे निर्भय नारायण सिंह को गिरफ्तार किया गया था।
2000 में शाहपुर थाने में पूछताछ को लाए गए एक युवक की मौत हो गई थी। आरोप था कि एएसपी ने मारपीट की, इसमें थानेदार भी शामिल थे। पुलिस ने इस मामले में हत्या का केस तत्कालीन थानेदार रहे संजय सिंह पर दर्ज किया था।
चंद पुलिस वालों की करतूत से पुलिस महकमा पहले भी बदनाम हो चुका है। लूट, रंगदारी, फिरौती, हत्या जैसे अपराधों में पुलिसकर्मी जेल जा चुके हैं। लेकिन, थाने से चोरी कराने का अपने आप में यह पहला मामला सामने आया है। जिस थाने में दीवान दूसरों के अपराध का हिसाब करता था, मंगलवार को उसी थाने से जेल भेजा गया है।
जानकारी के मुताबिक, संगीन धाराओं में अपराधियों को सलाखों के पीछे भेजने वाले पुलिसकर्मी कई बार महकमे की बदनामी का कारण बने हैं। गोरखपुर रेंज में ही बीते वर्षों में कई पुलिस वाले इसका उदाहरण हैं, जो अपराध से नाता रख चुके हैं। वर्दी वालों पर जब भी आरोप लगे हैं, संगीन रहे हैं। कोई छोटा मामला नहीं रहा है। कभी हत्या तो कभी अपहरण कर फिरौती, दुष्कर्म जैसे अपराध में इनकी संलिप्तता मिली है।
गोरखपुर में एसएसपी रहे सत्यार्थ अनिरुद्ध पंकज अपने सख्त रवैये के लिए जाने जाते थे। उनके कार्यकाल के दौरान उरूवा थाने में तैनात दरोगाओं पर 18 दिसंबर 2017 को अपहरण कर रंगदारी मांगने का केस दर्ज हुआ था। एक बार फिर लंबे समय बाद उसी तेवर में कार्रवाई होने से महकमे में कई तरह की चर्चाएं हैं। सभी अफसरों की सख्ती की प्रशंसा कर रहे हैं। वहीं, दागदार छवि वाले पुलिसकर्मियों में हड़कंप है। पुलिस वालों ने इस कार्रवाई को ‘जैसे को तैसा’ का नाम भी दे डाला है।